backup og meta

क्या पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स का मुख्य कारण डायबिटीज है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/12/2021

    क्या पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स का मुख्य कारण डायबिटीज है?

    हमारा नर्वस सिस्टम एक जटिल और खास नेटवर्क की तरह काम करता है। यह हमारे और हमारी आस-पास की दुनिया के बीच कम्युनिकेशन को मैनेज करता है। नर्वस सिस्टम हमारे शरीर में इन चीजों को नियंत्रित करता है:

    • हमारा देखना, सुनना, स्वाद, गंध और सेंसेशन
    • स्वैच्छिक (Voluntary) और अनैच्छिक (Involuntary) कार्यों को, जैसे: मूवमेंट (Movement), संतुलन (Balance) और समन्वय (Coordination)

    नर्वस सिस्टम में समस्या (Problem in Nervous System) के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि नर्वस सिस्टम के कौन से हिस्से में समस्या है और यह किस वजह से हो रही है। आज हम बात करने वाले हैं, पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स (Peripheral Nervous System disorders) के बारे में। जानिए इस बारे में विस्तार से:

    पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स क्या है? (What are Peripheral Nervous System disorders) ?

    पेरीफेरल नर्वस सिस्टम (Peripheral Nervous System) हमारे दिमाग और रीढ़ की हड्डी से शरीर के अन्य हिस्सों को सुचना भेजता है। पेरीफेरल नर्वस, सेंट्रल नर्वस सिस्टम (Central Nervous System) को सेंसरी इनफार्मेशन (Sensory Information) भी भेजती हैं।  पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स (Peripheral Nervous System disorders) किसी ट्रॉमेटिक चोट, इंफेक्शन, मेटाबोलिक समस्याओं, इनहेरिटेड समस्याओं या हानिकारक तत्वों के सम्पर्क में आने से होते हैं।  इनका सबसे मुख्य कारण डायबिटीज है। पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स (Peripheral Nervous System disorders) मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की बाहर की नसों को हुए नुकसान वजह से होते हैं। जिसके कारण कमजोरी, सुन्नता और दर्द हो सकती है, खासतौर पर हमारे हाथों और पैरों में। हालांकि, इससे शरीर के अन्य अंगों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इन्हें पेरीफेरल न्यूरोपथी (Peripheral Neuropathy) भी कहा जाता है।  

    और पढ़ें : सिर्फ दिल की बातें न सुनें, दिल का ख्याल भी रखें

    पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Peripheral Nervous System disorders)

    हमारे पेरीफेरल सिस्टम की हर नर्व का अपना खास काम है, इसलिए इसके लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपकी किस नर्व पर प्रभाव पड़ा है। नर्वस को भी अलग भागों में बांटा गया है, जैसे:

    • सेंसरी नर्वस (Sensory Nerves): जो त्वचा से सेंसेशन महसूस करती हैं जैसे दर्द, छूना या तापमान आदि।
    • मोटर नर्वस (Motor Nerves) : जो मसल मूवमेंट को नियंत्रित करती हैं।
    • ऑटोनोमिक नर्वस (Autonomic Nervous) : जो  ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट, डाइजेशन और ब्लैडर को नियंत्रित करती हैं।

    पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स

    पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर के लक्षण यह हो सकते हैं, जैसे:

    • पैरों या हाथों में सुन्नता, चुभन या झुनझुनी की शुरुआत ,जो टांगों और बाजुओं तक फैल सकती है
    • तेज या जलन वाली दर्द होना
    • अत्यधिक संवेदनशीलता
    • ऐसी गतिविधियों के दौरान दर्द होना, जिनके कारण दर्द नहीं होना चाहिए, जैसे पैरों पर वजन डालने से दर्द होना
    • कोआर्डिनेशन की कमी
    • मांसपेशियों में कमजोरी
    • बिना ग्लव्स या जुराबें पहने हुए भी उनके पहनने का अहसास होना
    • पैरालिसिस अगर मोटर नर्व पर असर हो। 

    अगर ऑटोनोमिक नर्वस पर प्रभाव पड़े तो इसके लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

    • हीट इनटॉलेरेंस (Heat Intolerance)
    • अधिक पसीना आना या बिल्कुल भी पसीना न आना (Excessive Sweating or no Sweat)
    • बोवेल, ब्लैडर या पाचन संबंधित समस्याएं (Bowel, Bladder or Digestive Problems)
    • ब्लड प्रेशर में परिवर्तन (Change in blood pressure)

    पेरीफेरल न्यूरोपैथी एक नर्व (मोनोन्यूरोपैथी), दो या अधिक नर्वस (मल्टीपल मोनोन्यूरोपैथी) या कई नर्वस (पॉलीमोनोन्यूरोपैथी) को प्रभावित कर सकती है। कार्पल टनल सिंड्रोम (Carpal tunnel Syndrome)  मोनोन्यूरोपैथी का एक उदाहरण है। पेरीफेरल नर्वस सिस्टम से प्रभावित अधिकांश लोगों में पॉलीमोनोन्यूरोपैथी होती है।

    योगा की मदद से बीमारियों के इलाज के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें.

    पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स के कारण क्या हैं? (Causes of Peripheral Nervous System disorders)

    पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स (Peripheral Nervous System disorders) में कई स्थितियां नर्व को नुकसान पहुंचाती हैं। कुछ स्वास्थ्य स्थितियों जो इसमें शामिल हो सकती हैं, वो इस प्रकार हैं:

    • ऑटोइम्यून डिजीज (Autoimmune Diseases)  : इसमें शॉग्रेंस सिंड्रोम (Sjogren’s Syndrome), लुपस (Lupus), रूमेटाइड गठिया (Rheumatoid Arthritis) , पुरानी सूजन (Chronic Inflammatory) और वाहिकाशोथ (Vasculitis) आदि शामिल हैं।
    • डायबिटीज (Diabetes ) : आधे से अधिक डायबिटीज से पीड़ित लोगों में किसी न किसी प्रकार का पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर (Peripheral Nervous System disorders) होता ही है।
    • इंफेक्शन (Infection): इन में कुछ खास वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन शामिल हैं, जैसे लाइम डिजीज (Lyme Disease) , दाद (Shingles),  हेपेटाइटिस B और C ( Hepatitis B and C), कुष्ठ रोग (leprosy)
    • इनहेरिटेड डिसऑर्डर्स (Inherited disorders) : चारकोट मैरी टूथ रोग (Charcot Marie Tooth Disorder) जैसा विकार वंशानुगत प्रकार की पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर  है।
    • ट्यूमर (Tumor) : इसमें ग्रोथ, कैंसर (Malignant) और नॉन -कैंसरस (Benign) आदि शामिल हैं। जो नर्वस पर विकसित हो सकते हैं या नर्वस को दबा सकते हैं। साथ ही, शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से संबंधित कुछ कैंसर के परिणामस्वरूप भी यह डिसऑर्डर हो सकते हैं।
    • बोन मेरो डिसऑर्डर्स (Bone Marrow Disorders) : बोन मेरो डिसऑर्डर्स में रक्त में असामान्य प्रोटीन (मोनोक्लोनल गैमोपाथिस), हड्डी का कैंसर और लिम्फोमा (Lymphoma)  आदि शामिल हैं।
    • अन्य बीमारियां (Other Disease): इनमें किडनी और लिवर से संबंधित बीमारियां, कनेक्टिव टिश्यू डिसऑर्डर्स (Connective Tissue Disorder) और अंडरएक्टिव थायराइड (Hypothyroidism) शामिल हैं।

    पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स के अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे:

    • एल्कोहॉल (Alcohol) : अधिक शराब का सेवन और पुअर आहार विकल्प विटामिन की कमी का कारण हो सकते हैं। जिससे पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स  (Peripheral Nervous System disorders) बढ़ते हैं।
    • जहरीले तत्वों के सम्पर्क में आना (Exposure to toxic substances): जहरीले या शरीर के लिए हानिकारक केमिकल के सम्पर्क में आने से भी यह समस्या हो सकती है।
    • दवाइयां (Medicine): कुछ दवाइयां खासतौर पर जिनका प्रयोग कैंसर के उपचार में होता है जैसे कीमोथेरेपी (chemotherapy) से पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स (Peripheral Nervous System disorders) हो सकते हैं।
    • नर्वस पर प्रेशर या ट्रामा (Nervous pressure and Trauma) : ट्रामा जैसे कोई एक्सीडेंट या खेलते हुए चोट लगने से भी पेरिफेरल नर्व को नुकसान हो सकता है। नर्व प्रेशर किसी कास्ट या बैसाखी का उपयोग करने या कोई काम बार-बार करने से भी हो सकता है।

    और पढ़ें : दिल के दर्द में दवा नहीं, दुआ की तरह काम करेगा आयुर्वेद!

    पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स का निदान कैसे होता है? (Diagnosis of Peripheral Nervous System disorders)

    इस बारे में फोर्टिस हॉस्पिटल, मुलुंड की फिजिशियन एंड इंफेक्शन डिजीज स्पेशलिस्ट डा. अनीता मैथवे का कहना है कि पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स (Peripheral Nervous System disorders) के निदान के लिए सबसे पहले डॉक्टर आपसे लक्षणों, मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानेंगे। इसके बाद आपकी शारीरिक जांच की जाएगी। लेकिन, अगर उन्हें इस बात का पता नहीं चलता है कि यह लक्षण पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स (Peripheral Nervous System disorders) के हैं। तो वो आपको अन्य टेस्ट कराने के लिए भी कह सकते हैं, जैसे: 

    • ब्लड टेस्ट्स (Blood tests): ब्लड टेस्ट्स से डॉक्टर आपके विटामिन और ब्लड शुगर के स्तर को माप सकते हैं और यह निर्धारित कर सकते हैं कि आपका थायरॉयड सही ढंग से काम कर रहा है या नहीं।
    • स्क्रीनिंग टेस्ट (Screening test): डॉक्टर आपका सिटी स्कैन (CT scan) या मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging) भी करा सकते हैं ताकि उन्हें पता चले कि आपकी नर्वस प्रेस तो नहीं हुई है या आपको कोई ट्यूमर तो नहीं है।
    • नर्व बायोप्सी (Nerve Biopsy) : कई बार डॉक्टर नर्व बायोप्सी (Nerve Biopsy) भी करा सकते हैं। यह एक माइनर सर्जरी है, जिसमें नर्व टिश्यू के छोटे टुकड़े को निकाल दिया जाता है और उसकी जांच की जाती है।  इसके साथ ही आपको कुछ अन्य टेस्ट के लिए भी कहा जा सकता है, जैसे:
    • इलेक्ट्रोमोग्राफी (Electromyography): एलेक्ट्रोमोग्राफी से उन समस्याओं का पता चलता है जिसके कारण शरीर के नर्व सिग्नल्स (Nerve Signals) हमारी मांसपेशियों में जाते हैं। 
    • नर्व कंडक्शन स्टडी (Nerve Conduction Study): नर्व कंडक्शन स्टडी के माध्यम से डॉक्टर जानेंगे कि आपकी नर्वस सही से सिग्नल ट्रांसमिटेड कर रही हैं या नहीं। यह प्रक्रिया थोड़ी असहज होती है।

    पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स

    पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स के उपचार (Treatment of Peripheral Nervous System disorders)

    पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स (Peripheral Nervous System disorders) का उपचार इसके कारणों पर निर्भर करता है। जैसे अगर इसका कारण डायबिटीज है तो ब्लड ग्लूकोज को कंट्रोल करना जरूरी है। अगर विटामिन की कमी के कारण यह समस्या हो रही है तो विटामिन की कमी को पूरा करने की तरफ ध्यान देना चाहिए। कई उपचारों से इस समस्या में आराम पहुंच सकता है और आप अपनी सामान्य गतिविधियां कर सकते हैं। पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स (Peripheral Nervous System disorders) के उपचार के लिए कई बार ट्रीटमेंट्स का संयोजन प्रयोग किया जाता है, जैसे:

    ओवर द काउंटर दवाइयां (Over The Counter Medicine)

    ओवर द काउंटर दर्द की दवाईयां जैसे एसिटामिनोफेन (Acetaminophen) और नॉन स्टेरॉइडल एंटी इंफ्लेमेटरी दवाइयां, जैसे एस्पिरिन (Aspirin) और आइबूप्रोफेन (Ibuprofen) अधिक दर्द से राहत पहुंचाने में मददगार है। लेकिन अगर आप इन्हें अधिक मात्रा में लेते हैं तो इनका लीवर और पेट पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए इन दवाईयों का अधिक समय तक प्रयोग करने से बचना चाहिए। खासतौर पर अगर आप एल्कोहॉल का अधिक सेवन करते हैं।

    Quiz: दर्द से जुड़े मिथ्स एंड फैक्ट्स के बीच सिर चकरा जाएगा आपका, खेलें क्विज

    प्रिस्क्रिप्शन मेडिकेशन्स (Prescription Medicines)

    कई प्रिस्क्रिप्शन मेडिकेशन्स भी दर्द से राहत दिलाती हैं।  इनमें नारकोटिक्स (Narcotics), कुछ एंटीएपिलेप्टिक मेडिसिन (Antiepileptic Medicines) और कुछ एंटीडिप्रेसेंट्स (Antidepressants) भी शामिल हैं। कुछ अन्य प्रिस्क्रिप्शन मेडिकेशन्स इस तरह से हैं। 

    • साइक्लोऑक्सीजिनेज -2 इनहिबिटर (Cyclooxygenase-2 Inhibitors)
    • ट्रामाडोल (Tramadol)
    • कोर्टिकोस्टेरोइड इंजेक्शन (Corticosteroid Injections)
    • सीज़र मेडिकेशन्स (Seizure Medications)
    • एंटीडिप्रेसेंट्स (Antidepressant)

    और पढ़ें : हाथ को देखकर पता करें बीमारी, दिखें ये बदलाव तो तुरंत जाएं डॉक्टर के पास

    मेडिकल ट्रीटमेंट (Medical treatment)

    पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स के लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर कई मेडिकल ट्रीटमेंट्स का प्रयोग कर सकते हैं, जैसे: 

    प्लाज्माफेरेसिस (Plasmapheresis)

    प्लास्मफेरेसिस  (Plasmapheresis),  एक ब्लड ट्रांसफ्यूज़न (Blood Transfusion) है, जो आपके ब्लडस्ट्रीम से संभावित खराब एंटीबॉडी को हटा देता है। यदि आपकी नर्व ब्लॉक होती है , तो आपके डॉक्टर आपकी नसों में सीधे अनेस्थेटिक (Anesthetic) इंजेक्ट कर सकते हैं।

    ट्रांसक्यूटेनियस  इलेक्ट्रॉनिक नर्व स्टिमुलेशन (Transcutaneous Electronic Nerve Stimulation) 

    ट्रांसक्यूटेनस इलेक्ट्रॉनिक नर्व स्टिमुलेशन सबके लिए काम नहीं करता है। लेकिन बहुत से लोग इसे पसंद करते हैं क्योंकि यह एक ड्रग फ्री थेरेपी है। ट्रांसक्यूटेनस इलेक्ट्रॉनिक नर्व स्टिमुलेशन के दौरान इलेक्ट्रोड को त्वचा पर लगाया जाता है और यह इलेक्ट्रोड त्वचा में कुछ मात्रा में इलेक्ट्रिसिटी भेजता है। इस ट्रीटमेंट का लक्ष्य मस्तिष्क में पैन सिग्नल को फैलाने से नर्वस को बाधित करना है।

    एर्गोनोमिक कास्ट या स्प्लिंट्स (Ergonomic Casts or Splints)

    अगर पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स (Peripheral Nervous System disorders) से आपके कुछ अंगों (पैर, टांगे, बाजुएं, हाथ ) पर प्रभाव पड़ा है, तो यह चीजें आपके काम आ सकती हैं। कास्ट्स उस शरीर के हिस्से को सहारा देती है, जिनमें समस्या है। इससे दर्द से भी राहत मिलती है जैसे कास्ट या स्पलिंट सोते हुए आपकी कोहनी को सही स्थिति में रहने के लिए सहारा देते हैं। ऐसे में आपको कार्पल टनल सिंड्रोम (Carpal Tunnel Syndrome) के दौरान होने वाली बेचैनी से छुटकारा मिलता है।

    पेरीफेरल नर्वस सिस्टम

    खुद की देखभाल और लाइफस्टाइल में बदलाव (Self Care and Change in lifestyle)

    पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स (Peripheral Nervous System disorders) से बचने और छुटकारा पाने के लिए आपको दवाईयों या अन्य उपचारों के साथ ही अपने जीवन में भी परिवर्तन ला कर हेल्दी आदतों को अपनाना होगा जानिए, कैसे करें अपने लाइफस्टाइल में बदलाव:

    रोजाना व्यायाम करना (Exercise)

     रोजाना व्यायाम जैसे वाकिंग रनिंग, कार्डियो आदि करने से आपको इन डिसऑर्डर के कारण होने वाले दर्द से राहत, मसल्स स्ट्रेंथ में सुधार और ब्लड शुगर और डायबिटीज के लेवल को कंट्रोल में रखने में मदद मिलती है।

    धूम्रपान न करें (Don’t Smoke)

    धूम्रपान ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित कर सकता है। जिससे पैर की समस्याओं और अन्य न्यूरोपैथी जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है। शराब भी इस समस्या को बढ़ा सकती है। इसलिए, अगर आप धूम्रपान करते हैं तो छोड़ दें और शराब की मात्रा भी सीमित रखें। 

    स्वस्थ भोजन खाएं (Eat Healthy)

     अच्छा पोषण आपको आवश्यक विटामिन और खनिज से मिलता है। अपने आहार में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन शामिल करें। फल सब्जियां और साबुत अनाज अवश्य खाएं। ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं।

    तनाव से बचे (Stay away from Depression)

    तनाव भी पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स (Peripheral Nervous System Disorders) को बढ़ाने का काम कर सकता है इसलिए, तनाव से बचे उसके लिए स्वस्थ आदतों का पालन करें, सकारात्मक और खुश रहें इसके साथ ही नींद भी जरूरी है दिन में आठ घंटे की नींद अवश्य लें

    अन्य तरीके (Other Ways)

    कुछ लोग पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स (Peripheral Nervous System disorders) में कुछ अन्य तरीकों से भी राहत महसूस कर सकते हैं जैसे कायरोप्रैक्टिक देखभाल (Chiropractic Care), एक्यूपंक्चर (Acupuncture), मालिश (Massage), योग (Yoga) आदि आप डॉक्टर की सलाह के बाद इन तरीकों को भी अपना सकते हैं

    और पढ़ें : सीने में दर्द, पैरों में सूजन और थकावट कहीं आपको दिल से बीमार न बना दे!

    अगर आप पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स से बचना चाहते हैं तो अपने ब्लड ग्लूकोज के स्तर को जांचते रहें। इससे आपको इन डिसऑर्डर्स से बचने में मदद मिलेगी। इस डिसऑर्डर को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है उन समस्याओं को मैनेज करना जिनसे इनका जोखिम बढ़ सकता है जैसे डायबिटीज, संधिशोथ आदि। इसके साथ ही हानिकारक केमिकल के संपर्क में आने से बचे। इसके लक्षणों पर नजर रखें और समय पर इलाज कराएं। अगर आपको कोई समस्या होती है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/12/2021

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement