गर्भावस्था में कार्पल टनल सिंड्रोम के कारण क्या हैं?
गर्भावस्था में कार्पल टनल सिंड्रोम के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं। इन कारणों में शामिल है:
- गर्भवती महिलाओं कार्पल टनल सिंड्रोम की समस्या होती है, क्योंकि उनके हॉर्मोन लेवल में बदलाव होता रहता है।
- कार्पल टनल सिंड्रोम में कलाई में सूजन के कारण कार्पल टनल पतली हो जाने की वजह से मध्य नाड़ी (मिडल वेन) पर दबाव पड़ता है, जिससे दर्द और अन्य लक्षण नजर आने लगते देते हैं।
- हाथ और कलाई को एक ही तरीके से बार-बार हिलाना, जैसे कि टाइप करना, लिखना और कंप्यूटर के माउस का उपयोग करना कार्पल टनल सिंड्रोम (CTS) का कारण बन सकता है।
[mc4wp_form id=”183492″]
गर्भावस्था में कार्पल टनल सिंड्रोम से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
गर्भावस्था में कार्पल टनल सिंड्रोम से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं। इन उपायों में शामिल है:
- प्रेग्नेंसी में हाथ के सहारे सोने की आदत न डालें।
- अगर हाथों में झुनझुनाहट महसूस होती है, तो हाथ को मूव करें और तब तक हिलाएं जबतक झुनझुनाहट खत्म न हो जाए।
- हाथ या आर्म को एक ही स्थिति में न रखें।
- हाथ और कलाई को मूव करते रहें।
- इलाज में देरी न करें।
- कलाई और हाथ की एक्सरसाइज के लिए दिन के दौरान कलाई की पट्टी (splints) को हटा दें।
- अपनी कलाई को बर्फ से लगभग 10 से 15 मिनट तक एक घंटे में दो बार सिंकाई करें।
- रात में होने वाले दर्द से बचने के लिए अपने हाथ को बेड के बगल में लटका कर सोएं।
- कलाई पर स्पलिंट बांधें। ये आपको रात में होने वाले दर्द से राहत देता है। इसके साथ ही कलाई में लचक आने से भी बचता है।
- नॉन स्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लमेटरी ड्रग (NSAID) लें, जैसे- आईब्यूप्रोफेन या नैप्रॉक्सेन दवाएं कार्पल टनल सिंड्रोम से दर्द में राहत देती है। इन दवाओं के सेवन से पहले डॉक्टर से संपर्क करें। अपनी मर्जी से इन दवाओं के सेवन से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और आप अन्य शारीरिक परेशानी से पीड़ित हो सकते हैं।
हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए जिस तरह से वर्कआउट करना जरूरी है ठीक उसी तरह से गर्भावस्था में कार्पल टनल सिंड्रोम की परेशानी से बचने के लिए आसान एक्सरसाइज किया जा सकता है। गर्भावस्था में कार्पल टनल सिंड्रोम से बचने के लिए विशेष कर कलाई और उंगलियों से जुड़ी एक्सरसाइज करना बेहद लाभकारी होता है। हालांकि गर्भवती महिलाओं को इस परेशानी से बचने के लिए गर्दन, हाथों, कंधों और बांहों की सामान्य एक्सरसाइज को फिटनेस एक्सपर्ट और डॉक्टर के सलाह अनुसार करना चाहिए।
गर्भावस्था में कार्पल टनल सिंड्रोम से बचने के लिए प्रेग्नेंट लेडी को हाथ, कलाई और उंगलियों को सही तरह से स्ट्रेच कैसे करना चाहिए यह अवश्य जानना चाहिए। वैसे गर्भावस्था में कार्पल टनल सिंड्रोम की समस्या शुरू होने के साथ ही शिशु के जन्म के बाद कुछ दिनों में ठीक हो जाती है लेकिन, अगर यह समस्या ठीक न हो तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। प्रायः डॉक्टर नई मॉम को इंजेक्शन, दवा और स्टेरॉइड्स की मदद से इस परेशानी को दूर करने में सक्षम होते हैं। अगर इससे परेशानी दूर नहीं होती है, तो सर्जरी की आवश्यकता होती है।
और पढ़ें – प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में क्या हॉर्मोनल बदलाव होते हैं?
ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य विशेषज्ञ सर्जरी की सलाह देते हैं। सर्जरी दो तरह से की जाती है। जैसे:-
- ओपन कार्पल टनल सर्जरी
- एंडोस्कोपी कार्पल टनल सर्जरी
गर्भवती महिलाओं में कार्पल टनल सिंड्रोम की समस्या होना आम है लेकिन सीटीसी के लिए सर्जरी हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं है। यह सर्जरी उम्र, सेहत और अन्य शारीरिक स्थितियों को देखर की जा सकती है।
शिशु के जन्म के बाद भी अगर सीटीसी की समस्या होती है और सर्जरी की जाती है, तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे: –
- कार्पल टनल सिंड्रोम सर्जरी कराने के बाद रोजाना 10 से 15 मिनट के लिए बर्फ से सिकाई करें।
- हल्के कपड़े पहनने चाहिए ताकि सर्जरी वाले स्थान पर कोई परेशानी न हो।
- फोन को हाथों मे लेकर ज्यादा देर तक बात करने से बचें।
- कोशिश करें कि कुछ दिनों तक सर्जरी वाले स्थान पर पट्टी बांधे रखें।
अगर आप गर्भावस्था में कार्पल टनल सिंड्रोम से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।