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मूड डिसऑर्डर के बारे में हर छोटी- बड़ी जानकारी पाएं यहां

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/09/2021

    मूड डिसऑर्डर के बारे में हर छोटी- बड़ी जानकारी पाएं यहां

    मानसिक परेशानियों को या तो हम  नजरअंदाज करते हैं या फिर किसी से इस बारे में बात करने में शर्म महसूस करते हैं। यह भी एक कारण है कि डिप्रेशन यानी तनाव कुछ समय से एक बड़ी समस्या बन कर उभरा है। अगर मूड में बदलाव हमारी रोजाना के जीवन को प्रभावित करे, तो यह मूड डिसऑर्डर्स (Mood Disorders) जैसे तनाव या बायपोलर डिसऑर्डर की तरफ इशारा हो सकता है। मूड डिसऑर्डर (Mood Disorder) एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जो मुख्य रूप से व्यक्ति की भावनात्मक स्थिति को प्रभावित करती है। इस मेडिकल कंडीशन का निदान होने पर उपचार संभव है। अगर आप मूड या व्यवहार में बदलाव को लेकर परेशान हैं, तो सबसे पहले जरूरी है, इन मूड डिसऑर्डर्स (Mood Disorders) के लक्षणों को पहचानना और सही उपचार कराना।

    मूड डिसऑर्डर क्यों होता है (What is mood Disorder)? 

    मूड डिसऑर्डर (Mood Disorder) का कारण क्या है या यह मानसिक समस्या क्यों होती है? डॉक्टर्स या शोधकर्ताओं के पास इसका सही जवाब नहीं है। लेकिन, ऐसा माना जाता है कि कुछ बायोलॉजिकल और एनवायर्नमेंटल फैक्टर इसका कारण हो सकते हैं। इसके साथ ही अगर आपके परिवार में किसी को यह समस्या हो, तो हो सकता है कि आप भी इसकी चपेट में आ जाएं। मूड डिसऑर्डर्स (Mood Disorders) आपके काम और स्कूल लाइफ पर भी बुरा प्रभाव डालते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि कुछ दवाएं, मादक पदार्थ या बीमारियां इसका कारण बन सकती हैं। 

    मूड डिसऑर्डर्स

    कितने प्रकार के मूड डिसऑर्डर्स होते हैं (Types of Mood Disorder)? 

    मूड डिसऑर्डर्स (Mood Disorders) दो प्रकार के होते हैं डिप्रेशन और बायपोलर डिसऑर्डर। यह दोनों ही एक बड़ी समस्या माने जा रहे हैं।  आजकल हर उम्र के लोगों में तनाव या डिप्रेशन जैसी समस्याएं आम हैं। जानिए, इन दोनों डिसऑर्डर्स के बारे में।

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    डिप्रेशन (Depression)

    डिप्रेशन सबसे सामन्य मेंटल डिसऑर्डर है। कोई दुःख या उदासी इसका मुख्य कारण है। जैसे किसी प्रियजन की मृत्यु, नौकरी न मिलना या रिश्तों में समस्या आदि। डिप्रेशन भी निम्नलिखित प्रकार के होते हैं।

    • पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) : पोस्टपार्टम डिप्रेशन गर्भवती महिलाओं को होता है। यह उनमें प्रेगनेंसी के दौरान या डिलीवरी के बाद देखा जा सकता है।
    • रसिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर (Persistent Depressive Disorder) : यह डिप्रेशन का गंभीर प्रकार है, जो दो सालों तक रह सकता है। समय के दौरान लक्षणों की गंभीरता में कभी-कभी कमी आ सकती हैं।
    • सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (Seasonal Affective Disorder): यह डिप्रेशन का एक ऐसा प्रकार है जो साल के कुछ मौसमों में ही देखने को मिलता है। यह आमतौर पर शरद ऋतु के अंत या सर्दियों की शुरुआत से शुरू होता है और बसंत और गर्मियों तक रहता है।
    • मानसिक अवसाद (Psychotic Depression) : यह एक प्रकार का गंभीर डिप्रेशन है, जिसे साइकोटिक दु: स्वप्न (hallucinations) या भ्रम के साथ जोड़ा जाता है। 
    • किसी मेडिकल कंडीशन, दवा, या मादक द्रव्यों के सेवन से संबंधित अवसाद

    बायपोलर डिसऑर्डर (Manic-Depressive Disorder)

    बायपोलर डिसऑर्डर को डिप्रेशन से लेकर उन्माद (mania) तक के समय को माना जाता है। इस समस्या में प्रभावित व्यक्ति के मूड स्विंग्स होने सामान्य है। बायपोलर डिसऑर्डर को मैनिक डिप्रेशन या बायपोलर अफेक्टिव डिसऑर्डर भी कहा जाता है। इसके प्रकार निम्नलिखित हैं:

    • बायपोलर I (Bipolar Disorder I)- यह बायपोलर का सबसे गंभीर प्रकार है। इसके मैनिक एपिसोड कई दिनों तक रहते हैं और कई बार अस्पताल जाने तक कि नौबत आ सकती है। कभी-कभी उन्माद (Mania) और अवसाद दोनों के लक्षण एक ही समय में देखने को मिल सकते हैं।
    • बायपोलर II डिसऑर्डर (Bipolar Disorder II) – इस डिसऑर्डर में बायपोलर I के जैसे ही डिप्रेशन साइकिल पैदा होते हैं। जो व्यक्ति इस तरह की समस्या से पीड़ित होता है वो हाइपोमेनिया का अनुभव भी कर सकता है।
    • साइक्लोथाइमिया डिसऑर्डर (Cyclothymia Disorder) – इस प्रकार के बायपोलर विकार को कभी-कभी बायपोलर डिप्रेशन के एक उग्र रूप के रूप भी माना जाता है। साइक्लोथाइमिया वाले लोग लगातार अनियमित मूड स्विंग का अनुभव करते हैं।
    • अन्य बायपोलर डिसऑर्डर (Other Bipolar Disorder) – इस प्रकार के बायपोलर डिसऑर्डर में लोगों के मूड में असमान्य परिवर्तन होते रहते हैं।

    mood disorders

    सामान्य मूड डिसऑर्डर  के लक्षण क्या हैं (Symptoms of Mood Disorder)?

    मूड डिसऑर्डर के लक्षण (Symptoms of Mood Disorder) उसके प्रकार पर निर्भर करते हैं। यह लक्षण हलके से लेकर तीव्र तक हो सकते हैं। सामान्य मूड डिसऑर्डर (Mood Disorder) के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

    • ज्यादातर समय उदास महसूस करना
    • ऊर्जा की कमी या सुस्ती
    • बेकार या निराशा
    • भूख कम लगना या अधिक खाना
    • वजन कम या वजन अधिक होना
    • पसंद की गतिविधियों में रुचि कम होना 
    • बहुत अधिक या बहुत कम नींद लेना
    • मृत्यु या आत्महत्या के बारे में लगातार विचार आना
    • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई

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    बायपोलर डिसऑर्डर  के लक्षणों में अवसाद और उन्माद दोनों शामिल हो सकते हैं। हाइपोमेनिक या मैनिक एपिसोड के लक्षण इस प्रकार हैं:

    • बेहद उर्जावान या उत्तेजित महसूस करना
    • उग्रता, बेचैनी, या चिड़चिड़ापन
    • जोखिम उठाने वाला व्यवहार, जैसे बहुत अधिक पैसा खर्च करना या लापरवाही से वाहन चलाना
    • एक साथ कई काम करने की कोशिश करना
    • अनिद्रा या सोने में परेशानी

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    मूड डिसऑर्डर के लिए कौन से ट्रीटमेंट उपलब्ध है (Treatment of Bipolar Disorder)? 

    मूड डिसऑर्डर (Mood Disorder) के निदान के लिए डॉक्टर आपसे आपकी मेडिकल हिस्ट्री, फॅमिली हिस्ट्री और लक्षणों के बारे में जानेंगे। आपके डॉक्टर यह भी आपसे पूछेंगे कि कहीं आपको कोई बीमारी तो नहीं है। यह समस्या किसी बीमारी या दवाई के कारण भी हो सकती है। इसके साथ ही आपसे आपकी स्लीपिंग, ईटिंग हैबिट्स और अन्य व्यवहारों के बारे में भी जाना जाएगा। मूड डिसऑर्डर (Mood Disorder)का इलाज आपके खाने-पीने की आदतें बदल कर और आपके लाइफस्टाइल में परिवर्तन ला कर किया जाता है। इसके साथ ही मरीज को कुछ दवाईयां और थेरेपीस भी दी जाती हैं जो इस प्रकार हैं।

    • एंटीडेप्रेस्सेंट मेडिकेशन्स  (Antidepressant medications) : यह दवाईयां मूड को सुधारती हैं।
    • एंटीसाइकोटिक दवाएं (Antipsychotic medications) : यह पैटर्न या अलटर्ड परसेप्शन के माध्यम से इलाज करती हैं।
    • कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (Cognitive Behavioral Therapy) : यह थेरेपी जो पैटर्न्स और व्यवहार के माध्यम से काम करती है।
    • फैमिली थेरेपी  (Family therapy) : जो सपोर्ट और अंडरस्टैंडिंग को विकसित करने में मदद करती है। 
    • साइकोडायनामिक थेरेपी (Psychodynamic therapy): पुराने मामलों को खोजने और समझने और मौजूदा विचारों और व्यवहारों के साथ रिश्तों पर काम करने के लिए इस थेरेपी का प्रयोग किया जाता है।
    • मूड-स्थिर करने वाली दवाएं (Mood-stabilizing medications)

    अगर मूड डिसऑर्डर्स पर किसी भी दवाई या साइकोथेरेपी का प्रभाव नहीं पड़ता है तो उन्हें अन्य उपचारों की जरूरत हो सकती है. जैसे :

    • इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी (Electroconvulsive therapy)
    • लाइट थेरेपी (Light therapy)
    • ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (Transcranial magnetic stimulation)

    पारंपरिक खानपान, योग एवं स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी के लिए क्लिक करें-

    मूड डिसऑर्डर में खानपान कैसा होना चाहिए (Diet in Mood Disorder)?

    आपने ऐसा सुना होगा कि पौष्टिक और संतुलित आहार शरीर के लिए जरूरी है। लेकिन यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी उतना ही आवश्यक है। संतुलित आहार खाने से डिप्रेशन, एंग्जायटी और बायपोलर डिसऑर्डर में मदद मिलती है। मूड डिसऑर्डर्स (Mood Disorders) की स्थिति में आपको अपने आहार में कुछ चीजों को शामिल करना चाहिए, जबकि कुछ चीजों का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। जानिए इस बारे में विस्तार से:

    क्या खाना चाहिए (What to Eat)

    • ग्रीन टी (Green Tea ) : ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट्स और अमीनों एसिड होते हैं, जो स्ट्रेस को दूर करने और आराम दिलाने में सहायक है।
    • ओमेगा 3 फैटी एसिड्स (Omega 3 fatty acids) : ओमेगा 3 फैटी एसिड्स दिमाग के कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब आप इनका सेवन करते हैं, तो दिमाग से सेरोटोनिन serotonin निकलता है। जो मूड स्विंग्स और डिप्रेशन के लक्षणों को कम करता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड्स अलसी के सीड्स और अखरोट में पाया जाता है।
    • साबुत आनाज (Whole Grain): साबुत का आपके दिमाग पर अच्छा प्रभाव पड़ सकता है।
    • डार्क चॉकलेट (डार्क चॉकलेट): ऐसा माना जाता है कि डार्क चॉकलेट भी स्ट्रेस को कम करने में लाभदायक होती है

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    क्या न खाएं (What not to Eat)

    अगर आप मूड डिसऑर्डर्स (Mood Disorders) से बचना चाहते हैं, तो इन चीजों के सेवन से बचें:

    • उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थ 
    • अधिक नमक और चीनी वाला आहार
    • प्रोसेस्ड फ़ूड
    • जंक फ़ूड
    • कैफीन युक्त चीज़ें 

    मूड डिसऑर्डर्स

    मूड डिसऑर्डर के दौरान लाइफस्टाइल में क्या बदलाव किये जाने चाहिए? 

    लाइफस्टाइल में बदलाव करने से आप डिप्रेशन, एंग्जायटी और मूड डिसऑर्डर्स (Mood Disorders) से छुटकारा पा सकते हैं। कुछ मामलों में जीवनशैली में बदलाव करने से ही आप इन समस्याओं से राहत पा सकते हैं। जानिए क्या बदलाव लाने चाहिए इस समस्या से बचने के लिए:

    एक्सरसाइज (Exercise)

    एक्सरसाइज एक ऐसी चीज है, जिसे आपको अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बना लेना चाहिए। शोध के मुताबिक एक्सरसाइज मूड को सुधारने और डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में लाभदायक है। इसके साथ ही एक्सरसाइज करने से आपका आत्मविश्वास बढ़ेग व सोशल कनेक्शन और रिश्ते भी सुधरेंगे जिसे भी तनाव कम होने में मदद मिलेगी। इस बारे में फोर्टिस हॉस्पिटल के चीफ इंंटेंसेविस्ट, मुंबई के डॉक्टर संदीप पाटिल का कहना है कि एक्सरसाइज के दौरान अधिक मूड स्विंग होना सही नहीं है। जिन लोगों एनाफिलेक्सिस एलर्जी है, उन्हें तो अपनी हेल्थ विशेष ध्यान देना चाहिए। एनाफिलेक्सिस एलर्जी की एक दुर्लभ स्थिति है, जिसके होने पर पित्ती, बेहोशी (Fainting), उल्टी और सांस लेने में कठिनाई (Breathing Problem) जैसे लक्षणों  का कारण बन सकती है। ऐसा होने पर तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है। कुछ मामलों में, यह व्यायाम से ठीक पहले खाए गए कुछ खाद्य पदार्थों के कारण हो सकती है, जैसे मूंगफली (Peanut), अंडे (Egg) या कोई भी अन्य खाद्य पदार्थ, जिससे किसी व्यक्ति को एलर्जी हो।

    आहार (Diet)

    मस्तिष्क शरीर के सबसे अधिक सक्रिय भागों में से एक है और इसे कार्य करने के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। एक खराब आहार न्यूरोट्रांसमीटर का उत्पादन करने के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान नहीं कर सकता है और चिंता या अवसाद के लक्षणों को उकसा सकता है। इसलिए सही और संतुलित आहार मूड डिसऑर्डर्स (Mood Disorders) से राहत पाने के लिए जरूरी है।

    अल्कोहल (Alcohol)

    डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति को अल्कोहल का सेवन नहीं करना चाहिए, ऐसा माना जाता है कि इससे यह समस्या बढ़ सकती है।

    पर्याप्त नींद (Enough Sleep)

    सही और पर्याप्त नींद का भी हमारे मूड पर अच्छा असर होता है। हमें अवसाद और चिंता को कम करने में मदद करने वाली नींद की आवश्यकता होती है। अच्छी गुणवत्ता वाली नींद प्राप्त करना हमारी प्राथमिकता में से एक है।

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    विचार और भावनाएं (Thoughts and Feelings)

    नेगेटिव विचार और भावनाएं न केवल आपको परेशान कर सकती है बल्कि यह शरीर के हार्मोन बैलेंस को भी प्रभावित कर सकती है। जिससे मूड डिसऑर्डर (Mood Disorder) हो सकता है। इसके साथ ही इम्यून सिस्टम और अन्य शरीर के भाग भी प्रभावित हो सकते हैं। पॉजिटिव थिंकिंग से हमारे दिमाग खुश होता है जिससे डिप्रेशन और अन्य मानसिक समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है।

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    मूड डिसऑर्डर्स में कौन सी एक्सरसाइजेज करनी चाहिए (Exercises in Mood Disorder)? 

    शोधकर्ताओं का कहना है कि अधिक शारीरिक रूप से सक्रिय लोग कम सक्रिय लोगों की तुलना में अधिक उत्साह से भरपूर होते हैं। रोजाना व्यायाम करने से आप न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी फिट रह सकते हैं। मूड डिसऑर्डर्स (Mood Disorders) को दूर करने के लिए कुछ व्यायाम बहुत लाभदायक हैं जैसे:

    रनिंग (Running)

    ऐसा कहा जाता है कि रनिंग या वाक एंटी-डिप्रेसेंट्स की तरह काम करती हैं। जिससे आप तनाव और डिप्रेशन आदि समस्याओं से बच सकते हैं। इसलिए, मूड डिसऑर्डर्स (Mood Disorder) की समस्या से राहत पाने के लिए दिन में कुछ समय रनिंग या वाक के लिए अवश्य निकालें।

    मूड डिसऑर्डर्स

    पिलाटे (Pilate)

    पिलेट्स के मानसिक स्वास्थ्य लाभों को अक्सर अनदेखा किया जाता है और ऐसा माना जाता है कि यह  पीठ और कोर स्ट्रेंथ के लिए फायदेमंद है। लेकिन पिलाटे से स्ट्रेस कम होता है और आराम मिलता है। यही नहीं इस व्यायाम का फोकस ब्रीदिंग और रिलैक्सेशन पर होता है, जिससे नींद भी अच्छी आती है। 

    योगा (Yoga)

    योगा का मुख्य फायदा यह है कि यह मेंटल हेल्थ और अच्छा बनाता है और शरीर और दिमाग दोनों को स्वस्थ करने में मददगार है। यह किसी दवा या थेरेपी से अधिक प्रभावी है। योग के गरुड़ासन Garudasana , पश्चिमोत्तानासन Paschimottanasana , सेतु बन्धासना और प्राणायाम (Prannayam) मूड डिसऑर्डर्स (Mood Disorders) को दूर करने में लाभदायक हैं

    रेजिस्टेंस ट्रेनिंग (Resistance Training)

    वजन उठाना या बॉडी वेट एक्सरसाइजेज का आप क्या महसूस करते हो इस पर बहुत अधिक असर होता है। मांसपेशियों को बनाने और एंग्जायटी दूर करने में भी यह लाभदायक हैं। यह सबूत भी मौजूद हैं कि यह व्यायाम कॉग्निशन में सुधार करने में मदद करता है और हमारे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के काम में सुधार कर सकता है।

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    मूड डिसऑर्डर्स (Mood Disorders) से पीड़ित अधिकतर लोग अपने लाइफस्टाइल में कुछ बदलावों के बाद ही फर्क महसूस करते हैं। लेकिन, सबसे जरूरी है इस समस्या के लक्षणों को समझना और सही समय पर इलाज कराना। मानसिक समस्याओं को नजरअंदाज न करें। क्योंकि, इनमें भी उतनी ही देखभाल और सही इलाज की जरूरत पड़ती है जिनकी की शारीरिक समस्याओं में।

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