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स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस: तनाव के कारण होने वाले गैस्ट्राइटिस के लक्षणों और उपचार के बारे में जानें

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 04/02/2021

    स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस: तनाव के कारण होने वाले गैस्ट्राइटिस के लक्षणों और उपचार के बारे में जानें

    स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस(Stress Induced Gastritis) को स्ट्रेस-रिलेटेड इरोसिव सिंड्रोम, स्ट्रेस अल्सर सिंड्रोम के रूप में भी जाना जाता है। स्ट्रेस यानी तनाव और गैस्ट्राइटिस कहने को तो दो शब्द हैं लेकिन इन दोनों का आपस में गहरा संबंध है। क्या आप जानते हैं कि आपका डाइजेस्टिव सिस्टम आपकी भावनाओं को समझ सकता है? हर व्यक्ति अलग तरीके से तनाव का अनुभव करता है, लेकिन यह हमेशा हमें समान तरीके से प्रभावित करता है। स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस(Stress Induced Gastritis) की स्थिति में भी आपको मेडिकल हेल्प की जरूरत पड़ सकती है। समस्या यह है कि इस स्थिति में अधिकतर लोग इसके लक्षणों को नोटिस ही नहीं कर पाते।

    जब आप तनाव में होते हैं तो लक्षण हमेशा स्पष्ट नहीं होते हैं। कभी-कभी, आप सिर्फ बिना किसी कारण से अपसेट महसूस करते हैं। जब आप हर समय तनाव में रहते हैं, तो कई बार इस तनाव के कारण पेट में गड़बड़ी महसूस करने लगते हैं। जानिए क्या है स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस(what is Stress Induced Gastritis)? इसके लक्षणों और उपचार के बारे में भी जानें।

    क्या है स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस (what is Stress Induced Gastritis)? 

    स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस(Stress Induced Gastritis) पेट की एक ऐसी स्थिति है, जिसके कारण सामान्य गैस्ट्राइटिस की तरह पेट में सूजन नहीं होती। लेकिन, हार्टबर्न, जलन और पेट का भरा हुआ महसूस होना जैसे समान लक्षण इसमें हो सकते हैं। इस तरह की गैस्ट्राइटिस इमोशनल इश्यूज जैसे तनाव, चिंता और घबराहट द्वारा हो सकती है या इनसे गैस्ट्राइटिस की समस्या बढ़ सकती है। जैसा की हम सब जानते हैं कि हमारा शरीर और दिमाग दोनों अलग से काम नहीं करते हैं। एक हिस्से में जो होता है वह दूसरे को प्रभावित करता है। वैसे ही तनाव या चिंता का असर हमारे पेट पर भी पड़ सकता है

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    स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस का इलाज(Stress Induced Gastritis treatment) संभव है और इसका उपचार डाइट में बदलाव, एंटासिड दवाइयों आदि से हो सकता है। इसके साथ ही सामान्य रूप से नर्वस और भावनाओं को नियंत्रित करना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भी उपचार का एक अनिवार्य हिस्सा है।

    स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस

    स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस के लक्षण(Stress Induced Gastritis symptoms)

    स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस(Stress Induced Gastritis) के मुख्य लक्षण हैं पेट में दर्द होना। लेकिन, इसके कुछ अन्य लक्षण इस प्रकार हैं:

    हार्टबर्न

    हार्टबर्न तब होता है जब पेट का एसिड पेट से अन्नप्रणाली(esophagus) तक बढ़ जाता है। यह पहले लक्षणों में से एक है जो स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस(Stress Induced Gastritis) की तरफ इशारा करते हैं।

    पेट में दर्द

    पेट में लगातार दर्द होना स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस का लक्षण(Stress Induced Gastritis symptom) हो सकता है। अगर ऐसा है तो यह भी स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस (Stress Induced Gastritis) के कारण हो सकता है।

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    सूजन और मतली

    इस लक्षण में पेट फूल जाता है, जिससे यह “ड्रम’ जैसा दिखता है। यही नहीं, आपको उलटी भी हो सकती है।

    गले और कंधे में दर्द

    गले और कंधे में दर्द इस बात का इशारा है कि आप तनाव में हैं। ऐसा होने पर मांसपेशियां सख्त हो जाती है और उनमें दर्द होता है।

    परेशान और बेचैनी

    यह दोनों भी तनाव और गैस्ट्राइटिस के लक्षण हैं। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति का मूड एक जैसा नहीं रहता। वो बिना किसी कारण के निराश और उदास महसूस करता है।

    नींद में समस्या

    उदासी और परेशानी की तरह ही नींद में समस्या होना भी स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस(Stress Induced Gastritis) का लक्षण हो सकता है।

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    भोजन संबंधी विकार

    भोजन संबंधी विकार भी स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस(Stress Induced Gastritis) से जुड़े लक्षण हो सकते हैं। ऐसा होने पर व्यक्ति या तो बहुत अधिक खाता है या बिलकुल ही खाना बंद कर देता है

    स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस का उपचार (Stress Induced Gastritis treatment)

    स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस के उपचार(Stress Induced Gastritis treatment) के लिए सबसे पहले डॉक्टर पीड़ित व्यक्ति से लक्षणों के बारे में जानेंगे। अधिकतर मामलों में घरेलू उपचार, अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव ला कर ही रोगी का उपचार हो सकता है। स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस का उपचार(Stress Induced Gastritis treatment) किस तरह से होता है जानिए: 

    दवाइयां

    • एंटासिड दवा का उपयोग स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस(Stress Induced Gastritis) को कम करने के लिए किया जाता है।
    • ऐसी दवा जो पेट में एसिडिटी का बनना कम करने में मदद करती हैं, जैसे ओमेप्राजोल(Omeprazole) या पैंटोप्राजोल(Pantoprazole) स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस(Stress Induced Gastritis) के उपचार के लिए उचित है और इनका उपयोग डॉक्टर की सलाह के बाद ही किया जाना चाहिए।

    हालांकि, इन दवाइयों के लगातार उपयोग की सलाह नहीं दी जाती है। इसलिए, रोगी के उन इमोशनल इश्यूज का उपचार किया जाता है, जो इस परेशानी के लक्षणों को बढ़ाते हैं। मनोचिकित्सक की सलाह, थेरेपी, रिलैक्सेशन टेक्निक्स, संतुलित डाइट या नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां भी इसमें फायदेमंद हो सकती हैं

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    थेरेपी

    भावनात्मक दृष्टिकोण से, किसी अन्य चीज़ से पहले थेरेपी का उपयोग करना एक अच्छा विचार है। मनोचिकित्सक की सलाह के बाद थेरेपी लेने से आप अपनी परेशानी का सही कारण की पहचान कर सकते हैं। कभी-कभी थेरेपी का एक या दो बार उपयोग करने के बाद ही आपको आराम मिल जाता है। लेकिन, समस्या गहरी होने पर आपको नियमित थेरेपी की जरूरत पड़ सकती है। 

    रिलैक्सेशन टेक्निक्स

    रिलैक्सेशन टेक्निक्स से भी आपको स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस(Stress Induced Gastritis) से छुटकारा मिल सकता है। ये कदम शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरह से मदद करते हैं। इससे पाचन को विनियमित होने और मांसपेशियों को आराम मिलने में मदद होती है। इसके साथ ही मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलती है और हमें मानसिक संतुलन को बनाए रखने में आसानी होती है।

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    स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस डायट(Stress Induced Gastritis)

    स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस(Stress Induced Gastritis) में अपने आहार का खास ध्यान रखें और साथ ही कुछ अन्य बातों का ख्याल रखना भी जरूरी है, जैसे:

    • स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस(Stress Induced Gastritis) में राहत के लिए ऐसे आहार की सलाह दी जाती है जो आसानी से पच जाए और जो आपको शांत रखें जैसे हरी सब्जियां, फल आदि। फाइबर युक्त आहार लेने की भी सलाह दी जाती है।

    स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस

    • इसके साथ ही अधिक से अधिक पानी पीना इस परेशानी और इससे जुडी अन्य समस्याओं को दूर करने में सहायक है। पानी के साथ अन्य पेय पदार्थों को भी अपनी डाइट में जगह अवश्य दें।
    • डेयरी उत्पादों के सेवन से बचे। डेयरी उत्पाद भारी होते हैं और जल्दी नहीं पचते। इसलिए इन्हें खाने से आपके स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस के लक्षण(Stress Induced Gastritis symptoms) बदतर हो सकते हैं। 
    • अधिक वसा या चीनी युक्त खाद्य पदार्थों अदि का सेवन करने से पेट में परेशानी हो सकती है जैसे चॉकलेट, मिठाई, सॉफ्ट ड्रिंक आदि।
    • अल्कोहलिक ड्रिंक्स न लेने से भी आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं। इसके साथ ही अगर आपको यह परेशानी है तो स्मोकिंग करने से भी बचे
    • मिर्च-मसाले, तले-भुने आहार का सेवन न करें। इनसे भी आपकी समस्या और इसके लक्षण बढ़ सकते हैं
    • स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस(Stress Induced Gastritis) से राहत पाने के लिए आपको कुछ अन्य चीजों का भी ध्यान रखना चाहिए जैसे भोजन करने के बाद एकदम से न लेटे। भोजन करते हुए कुछ भी न पीएं। भोजन को धीरे-धीरे और अच्छे से चबाकर ही खाएं। 

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    • गैस्ट्रिटिस के लिए एक सबसे अच्छा घरेलू उपचार कैमोमाइल चाय को माना जाता है। इस चाय का सूदिंग प्रभाव पाने के लिए इसे दिन में 2 से 3 बार लिया जाना चाहिए। अन्य प्राकृतिक हर्बल उपचारों में वेलेरियन, लैवेंडर चाय आदि शामिल हैं।
    • ऐसे खाद्य पदार्थों से भी दूर रहें जो एसिडिटी का कारण बनते हैं और इस समस्या को बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही कैफीन युक्त पेय पदार्थों का सेवन भी न करें।
    • शारीरिक दृष्टिकोण से, स्वस्थ आहार इस समस्या से बचने का सबसे अच्छा तरीका है। लेकिन इसके साथ ही, आपको पर्याप्त आराम करना चाहिए, जिसका मतलब है कि दिन में कम से कम 8 घंटे की नींद अवश्य लें। शारीरिक रूप से एक्टिव रहें। योग, व्यायाम और मैडिटेशन करें। खुद को सकारात्मक रखें। अपने लाइफस्टाइल में परिवर्तन ला कर आप अपने शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में भी बदलाव नोटिस करेंगे।

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    कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस(Stress Induced Gastritis) कैंसर बन सकता है लेकिन, ऐसा सच नहीं है। यह स्थिति कैंसर के विकास की संभावना से जुड़ी हुई नहीं है।स्ट्रेस इंड्यूस्ड गैस्ट्राइटिस(Stress Induced Gastritis) के बारे में महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके लक्षणों को पहचानते हुए इसका उपचार सही समय पर हो जाना चाहिए। जब आप बहुत लंबा इंतजार करते हैं, तो छोटी समस्या भी कई बार बड़ी जटिलता का कारण बन सकती है। ऐसे में, जैसे ही आपको इसके लक्षण नजर आएं, तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और अपना इलाज कराएं।

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