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ब्लोटिंग (पेट फूलना) का कारण बनते हैं ये फूड्स, जानें इनकी जगह क्या खा सकते हैं?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/01/2022

    ब्लोटिंग (पेट फूलना) का कारण बनते हैं ये फूड्स, जानें इनकी जगह क्या खा सकते हैं?

    ब्लोटिंग उसे कहते हैं जब खाना खाने के बाद आपका पेट फूला हुआ या बढ़ा हुआ फील होता है। इसका कारण गैस या दूसरी डायजेस्टिव प्रॉब्लम्स हो सकते हैं। हालांकि, ब्लोटिंग किसी गंभीर मेडिकल कंडिशन का संकेत हो सकती है। जैसे अगर आप अक्सर ब्लोटेड फील करते हैं तो यह इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (irritable bowel syndrome (IBS)) का लक्षण भी हो सकता है, लेकिन अक्सर यह डायट की वजह से होती है। ब्लोटिंग के कारण पेट में दर्द और डिसकंफर्ट का एहसास हो सकता है।

    ब्लोटिंग का कारण क्या है? (Causes of Bloating)

    ब्लोटिंग का सामान्य कारण कॉन्स्टिपेशन है। कई लोगों को तो यह पता भी नहीं होता कि उन्हें कब्ज है। कॉन्स्टिपेशन एब्डोमिनल पेन और ब्लोटिंग की वजह बनता है। बॉवेल मूवमेंट का कम होने के साथ ही, बॉवेल मूवमेंट के बाद पेट खाली ना होने का एहसास, हार्ड स्टूल और स्टूल पास करने में मुश्किल होना भी कब्ज का ही संकेत है। ब्लोटिंग का दूसरा कारण कुछ फूड आयटम्स हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।

    1.ब्रोकली और दूसरी क्रूसीफेरस वेजिटेबल्स बनती हैं ब्लोटिंग की वजह

    ब्रोकली भी बनती है ब्लोटिंग की वजह

    ब्रोकली के कई सारे फायदे हैं। ये फाइबर, विटामिन सी, विटामिन के, आयरन और पौटेशियम का अच्छा सोर्स है, लेकिन ये ब्लोटिंग का कारण बन सकती है। क्योंकि इसमें FODMAPs (fermentable oligosaccharides, disaccharides, monosaccharides and polyols) फर्मेंटेबल, ऑलिगोसैकेराइड्स, डिससेकेराइट्स, मोनोसैकराइड्स और पॉलीज पाया जाता है। जो कुछ लोगों में ब्लोटिंग का कारण बनता है। ब्रोकली के साथ ही पत्तागोभी, फूलगोभी और ब्रूसल्स स्प्राउट्स के साथ भी यही परेशानी है।

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    इसकी जगह क्या खाएं?

    ब्रोकली (Broccoli) के कई दूसरे अल्टरनेटिव्स हो सकते हैं। जिसमें पालक, खीरा, जुकुनी, शंकरकंद शामिल है।

    2.जौ का आटा

    जौ का आटा बेहद फायदेमंद माना जाता है। इसमें कई सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह फाइबर, विटामिन्स, मिनरल्स जैसे कि मोलीबडेनम (molybdenum), मैग्नीज (manganese) और सेलेनियम (selenium) शामिल है। इसमें पाए जाने वाले हाई फाइबर के चलते यह उन लोगों के लिए ब्लोटिंग का कारण बन सकता है जिन्हें ज्यादा फाइबर खाने की आदत नहीं होती। इसके साथ ही जौ में ग्लूटन भी पाया जाता है जो पेट से जुड़ी परेशानियों का कारण बन सकता है।

    इसकी जगह क्या खाएं?

    जौ की जगह आप ओट्स, ब्राउन राइस, क्विनोआ खा सकते हैं।

    3.सेब

    सेब दुनिया का सबसे प्रसिद्ध फल है। इसमें फाइबर, विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, लेकिन यह कुछ लोगों में ब्लॉटिंग और दूसरी डायजेस्टिव प्रॉब्लम्स का कारण बन सकता है। इसका कारण फ्रक्टोज और हाय फाइबर है। फ्रक्टोज (Fructose) और फाइबर दोनों बड़ी आंत (Large intestine) में फर्मेंटेड हो जाते हैं। जो गैस और ब्लोटिंग का कारण बनते हैं। कच्चे सेब (Apple) की जगह पके हुए सेब को पचाना आसान होता है।

    इसकी जगह क्या खाएं?

    अगर आपको सेब बहुत पसंद है, लेकिन यह ब्लोटिंग का कारण बन रहा है तो आपको इसे छोड़ना ही होगा। इसकी जगह आप केला, अंगूर, संतरा, स्ट्रॉबेरी और ब्लूबेरीज को खा सकते हैं।

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    4.एल्कोहॉल

    ब्लोटिंग का कारण शराब

    शराब के वैसे भी कई सारे नुकसान हैं, इसके साथ ही यह ब्लॉटिंग का कारण भी बन सकती है। इसका सेवन गेस्ट्रोइंस्टेस्टाइनल लाइनिंग में इंफ्लामेशन का कारण भी बन सकता है। बीयर गट बैक्टीरिया को सबसे ज्यादा इरिटेट करती है क्योंकि यह एक कार्बोनेटेड बेवरेज है। इसके साथ ही इसमें यीस्ट भी पाया जाता है जो गट में पाए जाने वाले बैक्टीरिया का भोजन होता है। यह फर्मेंटेबल कार्बोहाइड्रेट्स कुछ लोगों में ब्लोटिंग का कारण बनता है।

    इसकी जगह क्या पी सकते हैं?

    एल्कोहॉल की जगह कई तरह के जूस, टी और शेक का सेवन किया जा सकता है।

    5.प्याज और लहसुन

    प्याज में फ्रक्टंस (Fructans) पाया जाता है। यह सॉल्यूबल फाइबर होता है जो ब्लोटिंग का कारण बन सकता है। फ्रक्टंस लहसुन, गेहूं आदि में भी पाया जाता है। प्याज और लहसुन कम मात्रा में खाने पर भी ये ब्लोटिंग और दूसरे डायजेस्टिव ईशूज का कारण बन सकता है।

    इसकी जगह क्या खा सकते हैं?

    प्याज की जगह अजवाइन, सौंफ आदि का उपयोग कर सकते हैं। लहसुन की जगह दूसरे मसाले प्याज पत्ती और तुलसी का यूज किया जा सकता है।

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    6.दालें

    दालों में फाइबर, प्रोटीन और हेल्दी कार्ब्स पाया जाता है। इसके साथ ही इसमें मिनरल्स, आयरन, कॉपर और मैग्नीज पाया जाता है। हाय फाइबर कंटेंट के कारण यह कुछ लोगों में ब्लॉटिंग का कारण बन सकता है। जो लोग अधिक मात्रा में फाइबर का सेवन नहीं करते हैं उनमें ऐसा अक्सर होता है। दालों में भी (FODMAPs) होता है जो कि गैस और ब्लोटिंग का कारण बनता है। दाल को बनाने से पहले उसे पानी में भिगोकर रखना डायजेस्टिव सिस्टम के लिए इसे आसान बनाता है।

    इसकी जगह क्या खा सकते हैं?

    ऐसा माना जाता है कि लाइट कलर की दालों की तुलना में डार्क कलर की दालों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। जिनसे ब्लोटिंग अपेक्षाकृत कम होती है।

    7.फलियां (Beans)

    फलियों में प्रोटीन और कार्ब्स उच्च मात्रा में पाया जाता है। ये फाइबर का भी अच्छा सोर्स हैं। साथ ही विटामिन्स और मिनरल्स भी इसमें भरपूर मात्रा में होते हैं। हालांकि ज्यादातर बीन्स में अल्फा गैलेक्टोसाइड्स (alpha-galactosides) पाया जाता है। यह भी FODMAPs ग्रुप से संबंधित है। जो ब्लोटिंग और गैस का कारण बनती है। इसको बनाने पहले थोड़े समय के लिए भिगोकर रखने से ब्लोटिंग और गैस का असर कम होता है।

    इसकी जगह क्या खाएं?

    बींस की जगह आप मीट या किनोआ खा सकते हैं।

    8.गेहूं

    गेहूं के उपयोग को लेकर कुछ सालों से कंट्रोवर्सी चल रही है क्योंकि इसमें ग्लूटन नामक प्रोटीन पाया जाता है। कंट्रोवर्सी भले ही हो, लेकिन गेहूं का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है। भारतीय घरों में गेहूं का उपयोग रोटी बनाने में होता है जिसका उपयोग लगभग प्रतिदिन किया जाता है। ब्रेड, पास्ता, पिज्जा आदि में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही बिस्कुट, पेनकेक आदि में व्हीट यूज होता है। जो लोग सिलिएक डिजीज (Celiac disease) या ग्लेटन सेंसिटिव होते हैं उनके लिए व्हीट का यूज ब्लोटिंग, गैस, डायरिया और स्टमक पेन का कारण बन सकता है।

    इसकी जगह क्या खा सकते हैं?

    ग्लूटन फ्री व्हीट के कई अल्टरनेटिव मौजूद हैं जिनमें ओट्स, किनोआ, बाजरा और ज्वार का आटा आदि शामिल हैं।

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    9.दूध, दही और मक्खन

    डेयरी प्रोडक्ट्स में पोषक तत्वों की मात्रा काफी ज्यादा होती हैं। इसके साथ ही ये प्रोटीन और कैल्शियम का अच्छा सोर्स है। डेयरी प्रोडक्ट्स में दूध, चीज, दही और मक्खन आदि शामिल हैं। हालांकि 75 प्रतिशत से ज्यादा लोग लैक्टोज को ब्रेक डाउन करने में मुश्किल का सामना करते हैं। यह शुगर है जो मिल्क में पाई जाती है। इस कंडिशन को लेक्टॉज इंटॉलरेंस कहा जाता है। अगर आप लेक्टॉज इंटॉलरेंस का शिकार हैं तो यह कई प्रकार की डायजेस्टिव प्रॉब्लम्स का कारण बन सकती है। जिसमें ब्लोटिंग, गैस, क्रैम्प और डायरिया शामिल है।

    इसकी जगह क्या खाएं?

    लैक्टॉज फ्री मिल्क प्रोडक्ट्स मार्केट में उपलब्ध हैं। इसके अलावा आप कोकोनट मिल्क, आल्मंड मिल्क, सोया और राइस मिल्क का सेवन कर सकते हैं।

    अब तक तो आपने जाना उन फूड्स के बारे में जो ब्लॉटिंग का कारण बनते हैं। आइए अब उन फूड्स के बारे में जान लीजिए जो ब्लोटिंग को दूर कर देते हैं। ब्लोटिंग को हिंदी में पेट फूलना कहते हैं। इस दौरान ऐसा एहसास होता है कि पेट बाहर की तरफ निकल गया है। कई बार इसका कारण वाटर रिटेंशन भी होता है। जब आपकी बॉडी ज्यादा पानी होल्ड कर लेती है। ऐसा अक्सर ज्यादा नमक वाला खाना खाने के कारण होता है। ऐसे कई फूड्स हैं जो गैस, वाटर रिटेंशन के कारण होने वाली ब्लोटिंग को दूर कर सकते हैं।

    1.वॉटरमेलन (Watermelon)

    तरबूज में पानी की मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए यह ब्लोटिंग को दूर करने और बॉडी को रीहाइड्रेड करने में मदद करता है। यह प्रतिवादी (counterintuitive) की तरह दिखाई देता है, लेकिन यह बॉडी में होने वाला ज्यादा फ्लूइड बॉडी में रहने वाली अधिक नमक की मात्रा को बाहर निकाल देता है जो बॉडी में पानी को होल्ड करके रखने का कारण बनता है।

    2.स्ट्रॉबेरीज (Strawberries)

    स्ट्रॉबेरीज में भी पानी अधिक मात्रा में पाया जाता है, लेकिन इसमें कुछ हेल्दी फ्रूट फाइबर भी होते हैं जो डायजेशन को इम्प्रूव करके ब्लोटिंग और गैस को कम करते हैं।

    3.केला (Banana)

    केले में पौटेशियम पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह नमक के प्रभाव को कम करता है। पर्याप्त पौटेशियम लेने से ब्लड प्रेशर कम होता है भले ही आप उच्च नमक वाला आहार ले रहे हों।

    4.खीरा

    खीरे में क्रंच उसमें पाए जाने वाले पानी के कारण होता है। ब्लोटिंग को दूर करने के लिए आप इसका सेवन कर सकते हैं। 

    5.सौंफ की चाय (Fennel Tea)

    सौंफ की चाय  डायूरेटिक्स (DIURETICS) की तरह काम करती है और बॉडी से एक्सट्रा फ्लूइड को निकाल ब्लोटिंग और गैस से राहत प्रदान करती है।

    उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और ब्लोटिंग से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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