इसकी जगह क्या पी सकते हैं?
एल्कोहॉल की जगह कई तरह के जूस, टी और शेक का सेवन किया जा सकता है।
5.प्याज और लहसुन
प्याज में फ्रक्टंस (Fructans) पाया जाता है। यह सॉल्यूबल फाइबर होता है जो ब्लोटिंग का कारण बन सकता है। फ्रक्टंस लहसुन, गेहूं आदि में भी पाया जाता है। प्याज और लहसुन कम मात्रा में खाने पर भी ये ब्लोटिंग और दूसरे डायजेस्टिव ईशूज का कारण बन सकता है।
इसकी जगह क्या खा सकते हैं?
प्याज की जगह अजवाइन, सौंफ आदि का उपयोग कर सकते हैं। लहसुन की जगह दूसरे मसाले प्याज पत्ती और तुलसी का यूज किया जा सकता है।
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6.दालें
दालों में फाइबर, प्रोटीन और हेल्दी कार्ब्स पाया जाता है। इसके साथ ही इसमें मिनरल्स, आयरन, कॉपर और मैग्नीज पाया जाता है। हाय फाइबर कंटेंट के कारण यह कुछ लोगों में ब्लॉटिंग का कारण बन सकता है। जो लोग अधिक मात्रा में फाइबर का सेवन नहीं करते हैं उनमें ऐसा अक्सर होता है। दालों में भी (FODMAPs) होता है जो कि गैस और ब्लोटिंग का कारण बनता है। दाल को बनाने से पहले उसे पानी में भिगोकर रखना डायजेस्टिव सिस्टम के लिए इसे आसान बनाता है।
इसकी जगह क्या खा सकते हैं?
ऐसा माना जाता है कि लाइट कलर की दालों की तुलना में डार्क कलर की दालों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। जिनसे ब्लोटिंग अपेक्षाकृत कम होती है।
7.फलियां (Beans)
फलियों में प्रोटीन और कार्ब्स उच्च मात्रा में पाया जाता है। ये फाइबर का भी अच्छा सोर्स हैं। साथ ही विटामिन्स और मिनरल्स भी इसमें भरपूर मात्रा में होते हैं। हालांकि ज्यादातर बीन्स में अल्फा गैलेक्टोसाइड्स (alpha-galactosides) पाया जाता है। यह भी FODMAPs ग्रुप से संबंधित है। जो ब्लोटिंग और गैस का कारण बनती है। इसको बनाने पहले थोड़े समय के लिए भिगोकर रखने से ब्लोटिंग और गैस का असर कम होता है।
इसकी जगह क्या खाएं?
बींस की जगह आप मीट या किनोआ खा सकते हैं।
8.गेहूं
गेहूं के उपयोग को लेकर कुछ सालों से कंट्रोवर्सी चल रही है क्योंकि इसमें ग्लूटन नामक प्रोटीन पाया जाता है। कंट्रोवर्सी भले ही हो, लेकिन गेहूं का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है। भारतीय घरों में गेहूं का उपयोग रोटी बनाने में होता है जिसका उपयोग लगभग प्रतिदिन किया जाता है। ब्रेड, पास्ता, पिज्जा आदि में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही बिस्कुट, पेनकेक आदि में व्हीट यूज होता है। जो लोग सिलिएक डिजीज (Celiac disease) या ग्लेटन सेंसिटिव होते हैं उनके लिए व्हीट का यूज ब्लोटिंग, गैस, डायरिया और स्टमक पेन का कारण बन सकता है।
इसकी जगह क्या खा सकते हैं?
ग्लूटन फ्री व्हीट के कई अल्टरनेटिव मौजूद हैं जिनमें ओट्स, किनोआ, बाजरा और ज्वार का आटा आदि शामिल हैं।
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9.दूध, दही और मक्खन

डेयरी प्रोडक्ट्स में पोषक तत्वों की मात्रा काफी ज्यादा होती हैं। इसके साथ ही ये प्रोटीन और कैल्शियम का अच्छा सोर्स है। डेयरी प्रोडक्ट्स में दूध, चीज, दही और मक्खन आदि शामिल हैं। हालांकि 75 प्रतिशत से ज्यादा लोग लैक्टोज को ब्रेक डाउन करने में मुश्किल का सामना करते हैं। यह शुगर है जो मिल्क में पाई जाती है। इस कंडिशन को लेक्टॉज इंटॉलरेंस कहा जाता है। अगर आप लेक्टॉज इंटॉलरेंस का शिकार हैं तो यह कई प्रकार की डायजेस्टिव प्रॉब्लम्स का कारण बन सकती है। जिसमें ब्लोटिंग, गैस, क्रैम्प और डायरिया शामिल है।