इसकी जगह क्या खाएं?
बींस की जगह आप मीट या किनोआ खा सकते हैं।
8.गेहूं
गेहूं के उपयोग को लेकर कुछ सालों से कंट्रोवर्सी चल रही है क्योंकि इसमें ग्लूटन नामक प्रोटीन पाया जाता है। कंट्रोवर्सी भले ही हो, लेकिन गेहूं का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है। भारतीय घरों में गेहूं का उपयोग रोटी बनाने में होता है जिसका उपयोग लगभग प्रतिदिन किया जाता है। ब्रेड, पास्ता, पिज्जा आदि में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही बिस्कुट, पेनकेक आदि में व्हीट यूज होता है। जो लोग सिलिएक डिजीज (Celiac disease) या ग्लेटन सेंसिटिव होते हैं उनके लिए व्हीट का यूज ब्लोटिंग, गैस, डायरिया और स्टमक पेन का कारण बन सकता है।
इसकी जगह क्या खा सकते हैं?
ग्लूटन फ्री व्हीट के कई अल्टरनेटिव मौजूद हैं जिनमें ओट्स, किनोआ, बाजरा और ज्वार का आटा आदि शामिल हैं।
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9.दूध, दही और मक्खन
डेयरी प्रोडक्ट्स में पोषक तत्वों की मात्रा काफी ज्यादा होती हैं। इसके साथ ही ये प्रोटीन और कैल्शियम का अच्छा सोर्स है। डेयरी प्रोडक्ट्स में दूध, चीज, दही और मक्खन आदि शामिल हैं। हालांकि 75 प्रतिशत से ज्यादा लोग लैक्टोज को ब्रेक डाउन करने में मुश्किल का सामना करते हैं। यह शुगर है जो मिल्क में पाई जाती है। इस कंडिशन को लेक्टॉज इंटॉलरेंस कहा जाता है। अगर आप लेक्टॉज इंटॉलरेंस का शिकार हैं तो यह कई प्रकार की डायजेस्टिव प्रॉब्लम्स का कारण बन सकती है। जिसमें ब्लोटिंग, गैस, क्रैम्प और डायरिया शामिल है।
इसकी जगह क्या खाएं?
लैक्टॉज फ्री मिल्क प्रोडक्ट्स मार्केट में उपलब्ध हैं। इसके अलावा आप कोकोनट मिल्क, आल्मंड मिल्क, सोया और राइस मिल्क का सेवन कर सकते हैं।
अब तक तो आपने जाना उन फूड्स के बारे में जो ब्लॉटिंग का कारण बनते हैं। आइए अब उन फूड्स के बारे में जान लीजिए जो ब्लोटिंग को दूर कर देते हैं। ब्लोटिंग को हिंदी में पेट फूलना कहते हैं। इस दौरान ऐसा एहसास होता है कि पेट बाहर की तरफ निकल गया है। कई बार इसका कारण वाटर रिटेंशन भी होता है। जब आपकी बॉडी ज्यादा पानी होल्ड कर लेती है। ऐसा अक्सर ज्यादा नमक वाला खाना खाने के कारण होता है। ऐसे कई फूड्स हैं जो गैस, वाटर रिटेंशन के कारण होने वाली ब्लोटिंग को दूर कर सकते हैं।