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वाटर इंटॉक्सिकेशन : क्या ज्यादा पानी पीना हो सकता है नुकसानदेह?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Shivam Rohatgi द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/08/2020

    वाटर इंटॉक्सिकेशन : क्या ज्यादा पानी पीना हो सकता है नुकसानदेह?

    शरीर में मौजूद हर कोशिका को सही ढंग से काम करने के लिए पानी की जरूरत होती है। हालांकि, पानी के अत्यधिक सेवन से जल विषालुता जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

    किसी भी व्यक्ति के लिए गलती से पानी का अधिक सेवन करना मुश्किल होता है लेकिन कुछ मामलों में ऐसा हो सकता है। आमतौर पर ऐसा किसी स्पोर्ट्स खेलने या इंटेंस ट्रेनिंग के दौरान ज्यादा पानी पीने के कारण होता है। जल विषालुता के लक्षण बेहद आम होते हैं जिनमें कंफ्यूजन, भ्रम, जी मचलना और उल्टी शामिल हैं।

    कुछ गंभीर मामलों में जल विषालुता के कारण मस्तिष्क में सूजन हो सकती है जो की आगे चल के एक घातक स्थिति बन सकती है।

    इस लेख में आज हम आपको बताएंगे की वाटर इंटॉक्सिकेशन क्या होती है और इसके लक्षण व कारण क्या है। इसके साथ ही बताएंगे कि दिन में कितना पानी पीना सुरक्षित होता है जिससे जल विषालुता न हो।

    जल विषालुता क्या है?

    जल विषालुता, वाटर इंटॉक्सिकेशन के नाम से भी जाना जाता है। जब कोई व्यक्ति ज्यादा पानी का सेवन कर लेता है तो उसे वाटर इंटॉक्सिकेशन हो सकता है। लेकिन ऐसा क्या कारण है जिसकी वजह से यह इतना खतरनाक हो सकता है? हम सभी ने आजतक यही सुना है कि पानी पीने से शरीर का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है लेकिन आज हम आपको बता दें की पानी भी आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है।

    दरअसल ज्यादा पानी पीने से खून में पानी की मात्रा बढ़ जाती है और सोडियम व अन्य इलेक्ट्रोलाइट का स्तर कम होने लगता है। अगर सोडियम का स्तर 135 मिलीमोल (millimoles) प्रति लीटर से कम हो जाता है तो इस स्थिति को हाइपोनैट्रेमिया कहा जाता है।

    सोडियम कोशिकाओं के बाहर और अंदर फ्लुइड्स के स्तर को नियंत्रित बनाए रखने में मदद करता है। जब ज्यादा पानी पीने से सोडियम का स्तर गिर जाता है तो फ्लुइड्स कोशिकाओं के बाहर से अंदर की ओर जाने लगते हैं जिसके कारण सूजन हो सकती है। मस्तिष्क की कोशिकाओं में सूजन होने पर स्थिति बेहद खतरनाक और जानलेवा हो सकती है।

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    वाटर इंटॉक्सिकेशन के लक्षण

    वाटर इंटॉक्सिकेशन के लक्षण आमतौर पर तब दिखाई देने लगते हैं जब आप कुछ घंटों में 3 से 4 लीटर पानी का सेवन कर लेते हैं। इसके संभावित लक्षणों में निम्न शामिल हैं –

    • जी मचलना
    • उल्टी
    • सिरदर्द
    • नस चढ़ना
    • थकान
    • नींद आना
    • मांसपेशियों में कमजोरी

    कुछ दुर्लभ मामलों में जल विषालुता के कारण मिर्गी या बेहोशी की हालत भी हो सकती है। अगर व्यक्ति को समय रहते इलाज मुहैया नहीं करवाया गया तो ज्यादा पानी के कारण स्थिति जानलेवा हो सकती है।

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    ज्यादा पानी पीने का खतरा

    ज्यादा मात्रा में पानी पीने के कारण व्यक्ति को कई प्रकार के लक्षण दिखाई दे सकते हैं, अगर इन लक्षणों को समय पर नहीं पहचाना गया मस्तिष्क में सूजन हो सकती है जिसके कारण जान भी जा सकती है। जल विषालुता के लक्षणों में शामिल हैं –

    • सिरदर्द
    • उल्टी होना
    • जी मचलना

    इसके अलावा कुछ गंभीर मामलों में निम्न प्रकार के लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं –

  • बेहोशी
  • मांसपेशियों में ऐंठन या कमजोरी
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • सांस लेने में तकलीफ होना
  • धुंधला दिखाई देना
  • भ्रमित होना
  • मस्तिष्क में तरल पदार्थ बनने को सेरेब्रल एडिमा कहा जाता है। यह मस्तिष्क के साथ-साथ नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित कर सकता है।

    जल विषालुता के कुछ गंभीर मामलों में मिर्गी का दौरा, ब्रेन डैमेज, कोमा और मृत्यु भी हो सकती है।

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    पानी पीने की सही मात्रा क्या है?

    जल विषालुता पानी की कितनी मात्रा के कारण होती है, इस बात का अभी तक पता नहीं चल पाया है। लेकिन आज पानी की सही मात्रा से आप वाटर इंटॉक्सिकेशन के जोखिम को कम कर सकते हैं। इसके अलावा जल विषालुता होने कि आशंका व्यक्ति के सेक्स, उम्र और स्वास्थ्य स्थिति पर भी निर्भर करती है।

    एक स्वस्थ वयस्क की किडनी प्रति दिन 20 से 28 लीटर पानी को बाहर निकालने की क्षमता रखती है। हालांकि, प्रत्येक घंटे में किडनी केवल 1 लीटर पानी को ही फ्लश कर सकती है। प्रति घंटे 1 लीटर से ज्यादा पानी पीने के कारण किडनी के लिए यह प्रक्रिया मुश्किल हो जाती है।

    बुजुर्ग और बच्चों की किडनी की क्षमता वयस्क के मुकाबले कम होती है। यानी की बच्चों और बुजुर्गों को प्रत्येक घंटे में 1 लीटर से कम पानी का सेवन करना चाहिए। इस उम्र के ग्रुप में वाटर इंटॉक्सिकेशन का खतरा अधिक रहता है।

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    ज्यादा पानी पीना कैसे रोकें 

    जरूरत से ज्यादा पानी पीने के उपाय में मुख्य रूप से खुद पर काबू करना शामिल होता है। हम सभी का शरीर किसी प्रणाली की तरह काम करता है। जब हमें इसी प्रणाली के अनुसार भूख और प्यास लगती है। बिना प्यास के पानी पीने से जल विषालुता जैसी समस्या खड़ी हो सकता है। ऐसे में पानी केवल तभी पिएं जब आपको प्यास लगे।

    आमतौर पर पानी का सेवन केवल प्यास लगने पर करें। इसके बाद जब आपकी प्यास बुझ जाए तो दुबारा पानी की जरूरत महसूस होने पर ही पानी पिएं। साफ पेशाब कोई बुरा संकेत नहीं होता बल्कि यह दर्शाता है कि आपके शरीर को पानी की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, गहरे रंग के पेशाब आने पर पानी का सेवन करना अनिवार्य हो सकता है। इसके अलावा आप चाहें तो सही मात्रा और समय पर पानी पीने के लिए एंड्राइड एप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

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    Shivam Rohatgi द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/08/2020

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