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जोखिम
निम्नलिखित स्थितियों में बैरेट इसोफैगस का जोखिम बढ़ जाता है:
- हार्टबर्न : अगर आपको पुरानी हार्टबर्न और एसिड रिफ्लक्स की समस्या है, तो यह रोग होने का जोखिम ज्यादा है।
- उम्र : बैरेट इसोफैगस की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन बुजुर्गों में यह होना बहुत ही सामान्य है।
- पुरुष : पुरुषों में भी यह बीमारी होने की संभावना अधिक होती है।
- अधिक वजन : अगर आपका वजन अधिक है तो आपको इस रोग के होने का जोखिम भी अधिक है।
- धूम्रपान : अगर आप धूम्रपान करते हैं तो इस रोग की संभावना बढ़ जाती है।
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उपचार
बैरेट इसोफैगस के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपसे इस बीमारी के लक्षण जानेंगे। हालांकि इसके लक्षण अन्य रोगों के समान हो सकते हैं, इसलिए आपको कुछ टेस्ट कराने के लिए कहा जा सकता है।
एंडोस्कोपी
बैरेट इसोफैगस की बीमारी होने पर आमतौर पर एंडोस्कोपी कराई जाती है। इसके लिए कैमरे के साथ वाली एक ट्यूब गले में डाली जाती है, ताकि बदलते हुए इसोफैगस टिश्यू के बारे में पता चले। सामान्य इसोफैगस में टिश्यू पीले और चमकीले होते हैं। लेकिन बैरेट इसोफैगस की स्थिति में यह टिश्यू लाल और वेलवेटी हो जाते हैं। अगर आपके टिश्यू लाल और वेलवेटी हैं, तो डॉक्टर बायोप्सी से इन टिशूओं को आपके गले से निकाल देंगे। बायोप्सी किये हुए टिश्यू कितने बदले हैं यह जानने के लिए उन्हें पहले जांचा जाता है।
टिश्यू में परिवर्तन की जांच
डॉक्टर इन टिशूओं की जांच करेंगे क्योंकि इसोफैगस में डिसप्लेसिया का निदान करना मुश्किल हो सकता है। आपके टिश्यू को इस तरह से तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है:
- अगर बैरेट इसोफैगस की समस्या है, लेकिन कोशिकाओं में कोई प्रीकैंसरस परिवर्तन नहीं पाए जाएं, तो कोई डिस्प्लेसिया नहीं होता।
- अगर आपके सेल्स प्रीकैंसरस परिवर्तन के कुछ लक्षण दिखाएं तो लौ-ग्रेड डिस्प्लेसिया होता है।
- अगर आपके सेल्स में अधिक परिवर्तन दिखाई दे तो लौ-ग्रेड डिस्प्लेसिया होता है।