लोअर एबडॉमिन की जांच में पेशाब की थैली की करते हैं जांच
पेट के नीचले हिस्से की जांच को लोअर एबडॉमिन की जांच कहा जाता है। ऐसे में हम पेशाब की थैली को छूकर जांच करते हैं कि कहीं मरीज को पेशाब संबंधी परेशानी तो नहीं है, या फिर थैली कहीं सामान्य से फूली तो नहीं है। वहीं लोअर एबडॉमिन में ही जहां शरीर का वेस्ट जहां स्टोर होता है उस जगह को छूकर हम यह जांच करते हैं कि यह हार्ड है या सॉफ्ट, यदि हार्ड हुआ तो मरीज को शौच से संबंधित परेशानी होती है और फिर हम उस बीमारी की जांच करते हैं।
पांव की जांच कर एडिमा का लगाते हैं पता
फिजिकल चेकअप में हम मरीज के पांव की भी जांच करते हैं। पांव की जांच कर हम यह पता लगाते हैं कि कहीं उसे एडिमा की शिकायत तो नहीं। एडिमा की स्थिति में मरीज के पांव की हड्डी के ऊपरी हिस्से में स्वेलिंग होती है। वहीं हाथ से जब हम उसे दबाते हैं तो वो सामान्य की तुलना में तेजी से नहीं बल्कि अपने नैचुरल आकार में आने में समय लेता है। ठीक ऐसा ही हम फाइलेरिया व अन्य बीमारी की जांच को लेकर भी करते हैं।
जब तक मरीज बीमारी नहीं बताएं तब तक नहीं करते प्राइवेट पार्ट की जांच
डॉक्टर अभिषेक बताते हैं कि सामान्य फिजिकल चेकअप में हम मरीज के प्राइवेट पार्ट की जांच नहीं करते। ऐसा हम तभी करते हैं जब मरीज इन पार्ट को लेकर कोई शिकायत करें कि जैसे कि प्राइवेट पार्ट में खुजली, इंफेक्शन या फिर कोई और बीमारी है। जरूरत पड़ने पर ही हम मरीज के प्राइवेट पार्ट की जांच करते हैं।
पुरुष-महिलाओं में अलग अलग होती है स्क्रीनिंग
फिजिकल चेकअप की बात करें तो महिलाओं की स्वास्थ्य जांच में महिलाओं में मेमोग्राम की जांच की जाती है। 50 से 74 साल की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना काफी ज्यादा रहती है। ऐसे में उन्हें मेमोग्राम की जांच की सलाह दी जाती है। इसके अलावा ब्रेस्ट इग्जामिनेशन के तहत ब्रेस्ट में एबनॉर्मल लंप की जांच की जाती है। वहीं महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर टेस्ट कराया जाता है। 21 साल की उम्र के बाद हर तीन साल में इसकी जांच की सलाह दी जाती है। 30 साल की उम्र के बाद हर पांच साल में पैप स्मीयर टेस्ट की सलाह दी जाती है।
वहीं सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन की जांच करने के लिए पेल्विक इग्जामिनेशन किया जाता है। इसके तहत वजायना (vagina), सर्विक्स (cervix) व वुलवा (vulva) की जांच की जाती है। वहीं कई महिलाएं 45 की उम्र के बाद कोलेस्ट्रोल की जांच शुरु करती हैं, लेकिन यह गलत है, ऐसी महिलाएं जिनमें पूर्वजों में हार्ट डिजीज और डायबिटीज के लक्षण थे वैसे लोगों को 20 साल की उम्र के बाद ही कोलेस्ट्रोल की नियमित जांच करवानी चाहिए। वहीं 65 साल के बाद ऑस्टियोपोरोसिस की जांच जरूरी होती है।