अगर सुबह उठने के बाद आपकी आंख नहीं खुल पा रही है या चिपकी सी लग रही है तो इसका मतलब है कि आपको कंजंक्टिवाइटिस हो गया है। हमारी आंखों में कंजंक्टिवा एक साफ म्यूकस झिल्ली होती है, जो हमारी आईलिड के सफेद भाग के अंदर की तरफ पाया जाता है।
पीले रंग का आंख से कीचड़ आना
पीले रंग का आंख से कीचड़ आना आपकी आंखों में गुहेरी के कारण हो सकता है। आंखों की पलकों पर गुहेरी होने पर पलकों के द्वारा आंखों के किनारे पर पस जैसा पीले रंग का कीचड़ दिखाई देता है। आंखों की पलकों पर स्टाइ के कारण जो फुंसी हो जाती है, पलक झपकाने के कारण उस पर दबाव पड़ने से पस बाहर आने लगता है।
स्टाइ के लक्षण सामने आने पर डॉक्टर के पास जाने चाहिए। डॉक्टर द्वारा दी गई आई ड्रॉप या एंटीबैक्टीरियल क्रीम दिया जाएगा। अगर इससे भी आपको आराम नहीं मिलता है, तो डॉक्टर सूजन वाली जगह पर बारीक सा छेद कर सकते हैं, जिससे पस बाहर निकल जाए और आपको आराम मिले।
पीले या सफेद रंग के कीचड़ के बॉल्स
पीले या सफेद रंग का बॉल की तरह आंख से कीचड़ आना डाइसैरोसाइटिस के लक्षण हो सकते हैं। नैसोलैक्रिमल थैली या आंसू निकलने के सिस्टम में संक्रमण को ही डाइसैरोसाइटिस कहा जाता है। जिससे आंखों से पीले या सफेद रंग का कीचड़ आने लगता है। यदि आपको डैक्रीकोस्टाइटिस है, तो आपके चेहरे में दर्द, लालिमा और पलक व नाक के आसपास सूजन की शिकायत हो सकती है। यह स्थिति गंभीर हो सकती है, इसलिए आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं से इंफेक्शन का इलाज करते हैं।
गाढ़ा क्रस्टी म्यूकस
पलकों का मोटा होना और आंखों से गाढ़ा क्रस्टी म्यूकस ब्लेफेराइटिस नामक स्थिति के कारण हो सकता है। ब्लेफेराइटिस कभी-कभी आपकी त्वचा पर पाए जाने वाले बैक्टीरिया के कारण होता है। बैक्टीरिया पलकों और आईलिड को संक्रमित कर सकता है, जिससे आईलिड पर लालिमा और सूजन हो सकती है। पलकें मोटी हो जाती हैं और पलकों पर डैंड्रफ जैसा दिखने लगता है।
ब्लेफेराइटिस का इलाज अक्सर आईलिड को स्क्रब करने के बाद गर्म सिंकाई करके किया जाता है। आईलिड स्क्रब कई अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है। आंखों को बंद कर के साफ गीले कपड़े की मदद से आंखों को पीछे की तरफ सर्कुलर मोशन में स्क्रब करें। बेबी शैंपू की मदद से भी आंखों को स्क्रब कर सकते हैं। बेबी शैंपू आपकी आंखों में लगेगा भी नहीं।
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रेशेदार सफेद रंग का आंख से कीचड़ आना
आंखों से रेशेदार, सफेद म्यूकस आना एलर्जी कंजंक्टिवाइटिस का संकेत हो सकता है। आंखों की एलर्जी से आपको खासी परेशानी हो सकती है। एलर्जी के कारण जब रेशेदार और सफेद रंग की आंख से कीचड़ आना शुरू होता है तो हमारी पलकें एक दूसरे में चिपक सकती हैं। जिससे आपको काफी अजीब महसूस होता है और आप अपनी आंखों से म्यूकस को हमेशा खींचते रहते हैं। जब आंखों की एलर्जी गंभीर हो जाती है, तो आई ड्रॉप के अलावा ओरल दवाओं के साथ इलाज किया जाता है।
पानी जैसा आंखों से कीचड़ आना
आंख में कीचड़ की थोड़ी मात्रा के साथ आंसू आना वायरल कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण हो सकते हैं। वायरल कंजंक्टिवाइटिस में विभिन्न प्रकार के लक्षण सामने आ सकते हैं, जैसे- पलक में सूजन, धुंधला दिखाई दोना, आंखों में लालपन और आंखों में गया हुआ महसूस होना। वायरल कंजंक्टिवाइटिस अक्सर ऊपरी रेस्पायरेटरी वायरल बीमारियों के कारण होने वाली समस्या है। सूजन और आंखों में जलन के कारण आंख से ज्यादा आंसू आते हैं।
छोटा और सूखा कीचड़
जागने के बाद आपकी आंखों के कोनों में पाए जाने वाले कीचड़ के छोटे, सूखे कण ड्राई आई सिंड्रोम की ओर इशारा करती हैं। इंसान के आंसू पानी, म्यूकस और तेल से बने होते हैं। जब आंसू में पानी कम हो जाता है, तो सुबह में म्यूकस और तेल एक साथ चिपक जाते हैं। इसके बाद वे हवा के संपर्क में आने पर सूख जाते हैं।
आंखों से कीचड़ आने का घरेलू इलाज क्या है?
आंख से कीचड़ आना और उसके कारण के बारे में आप जान चुके हैं। आइए आब जानते हैं कि इसके घरेलू इलाज क्या हैं?
कोलॉस्ट्रम (Breast Milk)

अक्सर नवजात शिशु को ही आंखों में संक्रमण होता है। मां का दूध नवजात शिशु में हुए आई इंफेक्शन के लक्षणों को ठीक करता है। कोलॉस्ट्रम में हाई लेवल के एंटीबॉडी होते हैं जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं और नवजात शिशु में कंजंक्टिवाइटिस को कम करते हैं। एक ड्रॉपर की मदद से बच्चे की आंखों में ब्रेस्ट मिल्क की कुछ बूंदे डालें। इसके पांच मिनट बाद इसे धो दें। ऐसा दिन में दो बार करें।
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ग्रीन टी बैग
ग्रीन टी का एक्सट्रैक्ट बायोएक्टिव कम्पाउंड्स से भरपूर होता है। जिसमें एंटी-इंफ्लमेटरी गुण होते हैं। ग्रीन टी बैग्स का उपयोग करने से आंखों की सूजन कम होती है, लेकिन अभी तक कोई साइंटिफिक प्रूफ नहीं मिला है कि जिससे आई इंफेक्शन का इलाज किया जा सकता है। आप इस्तेमाल किए हुए दो ग्रीन टी बैग लें। उसे फ्रिज में रखें, इसके बाद 15 से 20 मिनट के लिए आपनी आंखों पर रखें। इससे आपको राहत मिलेगी और फिर आंखों को धो लें। ऐसा दिन में दो बार करने से आपकी आंखों की सूजन और दर्द कम हो जाएगा।
शहद

शहद का उपयोग आंखों के संक्रमण जैसे ब्लेफेराइटिस, केराटाइटिस और केरैटोकंजंक्टिवाइटिस के इलाज के लिए किया जाता है। शहद में एंटी-इंफ्लमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। यह आई इंफेक्शन को कम करने में मदद करता है। एक कप पानी उबालें और इसमें शहद की कुछ बूंदें मिलाएं। इसे ठंडा होने दें। दोनों आंखों में ड्रॉपर की मदद से एक बूंद डालें। पांच मिनट बाद आंखों को धो लें। ऐसा दिन में दो से तीन बार करें।
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हल्दी
हल्दी का उपयोग” width=”602″ height=”370″ />
हल्दी में करक्यूमिन बायोएक्टिव कम्पाउंड के रूप में पाया जाता है। इसके एंटी-इंफ्लमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण आई इंफेक्शन के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। आई इंफेक्शन के लिए हल्दी एक अच्छा घरेलू इलाज हो सकता है।
एक कप पानी उबालें और इसमें एक चम्मच हल्दी मिलाएं। इसे थोड़ी देर के लिए ठंडा होने दें। इस घोल में एक साफ कपड़े को भिगाएं। इस कपड़े से गर्म सिंकाई करें। इस प्रक्रिया को दोनों आंखों पर बारी-बारी से दोहराएं और आंखों को गुनगुने पानी से धुल लें। ऐसा दिन में एक बार करें।
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लेमन जूस

कभी-कभी किसी चीज से एलर्जी या मौसम में बदलाव के कारण आंखों में संक्रमण हो सकता है। अपने एंटी-इंफ्लमेटरी और एंटीऑक्सिडेंट गुणों के कारण, नींबू का रस आई इंफेक्शन और उनके लक्षणों से लड़ने में मदद कर सकता है, लेकिन ध्यान रखें कि डॉक्टर से पूछने के बाद ही आई इंफेक्शन में लेमन जूस लें। नींबू से रस निकालें। इसे एक गिलास गर्म पानी में डालें और अच्छी तरह मिलाएं। फिर इसे पी लें। ऐसा दिन में एक बार करें।
एसेंशियल ऑयल

टी ट्री, पेपरमिंट और रोजमेरी के एसेंशियल ऑयल में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इसलिए, वे माइक्रोबियल इंफेक्शन को रोकने में मददगार हो सकते हैं। एक बड़े कटोरे में पानी गर्म करें और उसमें एसेंशियल ऑयल की 3-4 बूंदें डालें। खुद को एक तौलिए से कवर करें और कटोरे के ऊपर झुककर 5 से 6 मिनट तक भांप लें। ऐसा दिन में दो बार करें। आंखों के आस-पास एसेंशियल ऑयल को न लगने दें वरना आंखों में जलन हो सकती है।