क्रायोसर्जरी के दौरान ऊतक को फ्रीज करने और नष्ट करने का काम किया जाता है। इस तरह के उपचार को क्रायोथेरिपी भी कहते हैं।
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पेल्विक एक्सेंट्रेशन (Pelvic exenteration)
अगर कैंसर रेक्टम के पास अन्य अंगों में फैल गया है, तो लोअर कोलन, रेक्टम और मूत्राशय या ब्लैडर (Bladder) को हटा दिया जाता है। वहीं जब महिलाओं में रेक्टल कैंसर सर्जरी की जरूरत पड़ती है तो गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विक्स, ओवरीज और पास के लिम्फ नोड्स को हटा दिया जाता है। पुरुषों में रेक्टल कैंसर सर्जरी के दौरान प्रोस्टेट को भी हटा सकते हैं। ऐसे में मूत्र और मल के बाहर जाने के लिए आर्टिफिशियल ओपनिंग बना दी जाती है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।
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रेक्टल कैंसर सर्जरी (Rectal cancer surgery) के बाद क्या होता है ?
रेक्टल कैंसर सर्जरी (Rectal cancer surgery) के बाद सर्जन रेक्टम के हेल्दी पार्ट्स और कोलन के पार्ट्स को एक साथ सिल देता है। कोलन के हेल्दी पार्ट्स और एनस को भी एक साथ सिला जा सकता है। जब कैंसर एनस के बहुत पास होता है तो स्टोमा ओपनिंग बनाई जाती है, ताकि मल बाहर जा सके। इसे कोलोस्टोमी कहा जाता है। स्टोमा के पास ही एक बैग रखा जाता है, ताकि वेस्ट को इकट्ठा किया जा सके। कुछ केसेज में स्टोमा की जरूरत केवल एनस के ठीक होने तक ही पड़ती है। कुछ मामलों में पूरा रेक्टम हटाने की जरूरत पड़ सकती है।
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रेक्टल कैंसर सर्जरी (Rectal cancer surgery) से पहले और बाद में कीमोथेरिपी
कैंसर के दौरान ट्युमर बनना आम बात होती है। ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए सर्जरी से पहले रेडिएशन या कीमोथेरिपी दी जा सकती है, जिससे कैंसर को दूर करना आसान हो जाता है। साथ ही बाउल कंट्रोल में भी हेल्प मिलती है। सर्जरी से पहले दिए गए ट्रीटमेंट को निओएडजुवेंट थेरिपी (Neoadjuvant therapy) कहा जाता है। कोलोरेक्टल कैंसर सर्जरी के बाद कैंसर सेल्स खत्म हो जाती हैं और उसके बाद जरूरत पड़ने पर रेडिएशन या कीमोथेरिपी दी जा सकती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अगर कोई भी कैंसर सेल्स रह गई हो तो वो पूरी तरफ से समाप्त हो जाएं। सर्जरी के बाद दिए जाने वाले ट्रीटमेंट को अजुवेंट थेरिपी (Adjuvant therapy) कहा जाता है।
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कोलोरेक्टल कैंसर सर्जरी (Rectal cancer surgery) के बाद साइड इफेक्ट्स
कैंसर का ट्रीटमेंट जहां एक ओर मरीज को स्वस्थ्य कर देता है, वहीं दूसरी ओर इसके कुछ साइड इफेक्ट भी देखने को मिलते हैं। कैंसर के ट्रीटमेंट की बहुत-सी विधियां होती हैं, जिनके दुष्प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान खराब सेल्स के साथ ही अच्छी सेल्स भी खत्म हो सकती हैं। कैंसर ट्रीटमेंट के बाद कुछ साइडइफेक्ट भी देखने को मिल सकते हैं,