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Colon cancer: कोलन कैंसर क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और उपाय

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Suniti Tripathy द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/02/2022

    Colon cancer: कोलन कैंसर क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और उपाय

    कोलन कैंसर (Colon cancer) लार्ज इंटेस्टाइन का कैंसर है। कोलन हमारे डायजेस्टिव सिस्टम के अंतिम छोर को कहते हैं। ज्यादातर कोलन कैंसर छोटी कोशिकाओं के थक्कों के जमने से शुरू होते हैं। इन्हें अडेनोमेटस पोलिप्स ( Adenomatous Polyps ) भी कहा जाता है।

    कुछ समय बीतने पर यही कैंसर का रूप ले लेते हैं। आमतौर पर कोलन कैंसर बुजुर्ग लोगों में अधिक देखा जाता है। इसकी शुरुआत कई बार रेक्टम से भी होती है। इसलिए इसे कोलोरेक्टल कैंसर (Collateral cancer) भी कहते हैं।

    कोलन कैंसर कोलन कैंसर (Colon Cancer) होना कितना आम है?

    कोलन कैंसर बहुत आम बीमारी है और ये किसी को भी हो सकती है, लेकिन अधिकतर बढ़ती उम्र के साथ इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। इस विषय पर और अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से मिलें।

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    कोलन कैंसर के लक्षण क्या हैं? (Colon Cancer Symptoms)

    कोलन कैंसर के लक्षण इस प्रकार हैं:

    बहुत से लोगो में कैंसर की शुरुआत में कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देंगे। कैंसर के साइज और जगह के हिसाब से लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। किसी भी लक्षण के दिखने पर डॉक्टर से जरूर मिले।

    आपको डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?

    अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देता है तो तुरंत अपने नजदीकी डॉक्टर से मिले। हर शरीर अलग स्थिति में अलग प्रतिक्रिया देता है इसलिए अपनी स्थिति के हिसाब से सही इलाज के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिले।

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    कोलन कैंसर के क्या कारण हो सकते हैं? (Colon Cancer Causes)

    कोलन कैंसर के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं। जैसे:

    • ज्यादातर मामलों में कोलन कैंसर का कारण साफ नहीं है। जब कोलन की स्वस्थ कोशिकाओं के डीएनए ( DNA ) में खराबी आ जाती है, तब कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। स्वस्थ कोशिकाएं साधारण रूप से बढ़ती और विभाजित होती हैं, लेकिन जब उन कोशिकाओं का डीएनए (DNA) खराब हो जाता है, तब वे असाधारण रूप से विभाजित होने लगती हैं। इससे ट्यूमर बनता है।
    • समय के साथ कैंसर कोशिकाओं में बढ़ोतरी हो सकती है और वे दूसरे हिस्सों तक भी पहुंच सकती है, जिससे आसपास के सामान्य टिशूज प्रभावित होंगे।
    • एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने वाले जीन म्यूटेशन भी इस कैंसर का कारण हो सकते हैं
    • हालांकि जीन म्यूटेशन से जुड़े कोलन कैंसर का प्रतिशत बहुत कम है, लेकिन फिर भी कई बार ये कोलन कैंसर का महत्त्वपूर्ण कारण हो सकते हैं।

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    एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने वाले कैंसर (Cancer) के लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं :

    हेरेडिटरी नॉनपोलीपोसिस कोलोरेक्टल कैंसर (HNPCC) को लिंच सिंड्रोम (Lynch Syndrome) के नाम से भी जानते हैं। HNPCC सिंड्रोम से ग्रस्त लोगो में कैंसर होने की सम्भावना सामान्य मरीजों के मुकाबले ज्यादा होती है। माना जाता है की ऐसे लोग 50 वर्ष की उम्र से पहले ही कैंसर से ग्रस्त हो सकते हैं।

    फेमिलियल ऐडीनोमेटस पॉलीपोसिस (FAP) एक प्रकार का बहुत कम पाया जाने वाली बीमारी है। इसकी वजह से आपके कोलन और रेक्टम में हजारो पोलिप्स बन जाएँगे। जिन लोगो में FAP का खतरा ज्यादा होता है उनमें कोलन कैंसर 40 वर्ष से पहले ही हो जाता है।

    FAP, HNPCC कुछ इनहेरिटेड कैंसर के मुख्य लक्षण हैं। इनका पता जेनेटिक टेस्टिंग से लगाया जा सकता है। अगर आप अपने परिवार में हुए कोलन कैंसर की हिस्ट्री को लेकर परेशान हैं, तो डॉक्टर से पता कर लें की आपमें इस कैंसर के होने की कितनी संभावना है।

    आपकी डायट और कोलन कैंसर के बीच क्या रिश्ता है? (Colon Cancer And Diet)

    कोलन कैंसर और डायट

    वेस्टर्न डायट ( Western Diet) लेने वाले लोगो में कोलन कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। वेस्टर्न डायट फैट्स में ज्यादा होती है और उसमें फाइबर कम होता है। ऐसे लोग जिन्हें शुरू से वेस्टर्न डायट लेने की आदत नहीं है और वो अचानक से जगह के बदलाव या फिर किसी और कारण की वजह से वेस्टर्न डायट लेने लगते हैं। ऐसे लोगो में कोलन कैंसर (Colon cancer) का खतरा अधिक होता है।

    ये साफ नहीं है कि ऐसा क्यों होता है। आशंका लगाई जाती है कि अधिक वसा (Fats) और कम फाइबर ( Low Fiber) युक्त डायट की वजह से कोलन में रहने वाले माइक्रोब्स प्रभावित हो जाते हैं। इस विषय पर बहुत शोध हो रहा है और साइंटिस्ट इनके बारे में पता लगा रहे हैं।

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    कोलन कैंसर (Colon Cancer) इन कारणों की वजह से हो सकता है

    • बुढ़ापा : ज्यादातर लोग जिनमें कोलन कैंसर की समस्या होती है, वो 50 साल की उम्र से ज्यादा है। कोलन कैंसर बहुत से युवाओं में भी पाया जा सकता है पर इसकी संभावना बहुत कम है।
    • अफ्रीकन अमेरिकन जाति : बहुत सारी जातियों में कोलन कैंसर की संभावना बाकी जातियों के मुकाबले ज्यादा होती है।
    • कोलोरेक्टल या पोलिप्स की हिस्ट्री होना : अगर आपको पहले ही रेक्टल कैंसर या एडिनोमेटस पोलिप्स है, तो आपको कोलन कैंसर होने की संभावना अधिक है।
    • क्रोनिक इंफ्लेमेटरी डिजीज : जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस ( Ulcerative Colitis) , क्रोन्स डिजीज का होना भी कोलन कैंसर का एक मुख्य कारण हो सकता है।
    • पारिवारिक कोलन कैंसर की हिस्ट्री होना भी इस कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है।
    • कम फाइबर और ज्यादा वसा वाला खाना कोलन कैंसर की संभावना को बढ़ा देता है।
    • बहुत ज्यादा आलस कोलन कैंसर को बढ़ावा देता है।
    • डायबिटिक लोगो में भी कोलन कैंसर की संभावना ज्यादा होती है।
    • मोटापे से पीड़ित लोगो में कोलन कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है।
    • बहुत ज्यादा धूम्रपान करने या एल्कोहॉल का सेवन करने वाले लोगों में भी कोलन कैंसर की संभावना ज्यादा होती है।
    • अगर आपने पहले कैंसर ठीक करने के लिए रेडिएशन थेरिपी करवाई है, तो भी आपको कोलन कैंसर हो सकता है।

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    यहां दी जानकारी किसी भी चिकित्सा परामर्श का विकल्प नहीं है।

    कोलन कैंसर की जांच कैसे की जा सकती है? (Colon Cancer Diagnosis)

    • कोलन कैंसर की जांच के लिए डॉक्टर आपका पूरा फिजिकल चेकअप करेंगे साथ ही परिवार की मेडिकल हिस्ट्री भी चेक करेंगे। कोलोनोस्कोपी और बेरियम एनीमा एक्स-रे के बाद ही इलाज सही ढंग से शुरू किया जा सकता है।
    • कोलोनोस्कोपी की प्रक्रिया में एक लम्बी ट्यूब में कैमरा लगाकर रेक्टम में डाला जाएगा, जिससे की रेक्टम में होने वाली गतिविधियों को देखा जा सके। यदि कोलन में पोलिप्स दिखते हैं, तो उन्हें निकालकर पैथोलोजिस्ट को बायोप्सी के लिए भेज दिया जाता है, जिससे कि कैंसरस कोशिकाओं के होने का पता लगाया जा सके।
    • बेरियम अनेमा शुरू होने के कुछ घंटे पहले डॉक्टर आपको कुछ भी खाने या पीने के लिए मना करेंगे।
    • प्रक्रिया की शुरुआत में रेक्टम में बेरियम तरल सोल्यूशन डालेंगे। बेरियम के लार्ज इंटेस्टाइन के किनारो पर लग जाने के बाद एक्स रे लिया जाएगा। एक्स-रे में बेरियम सफेद रंग का और पोलिप्स काले या गहरे रंग के दिखाई देंगे।

    अगर कोलन कैंसर की जांच बायोप्सी के बाद की जाती है, तो उस स्थिति में डॉक्टर आपको एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और फेफड़ों का सीटी स्कैन करवाने कहेंगे। जिससे कि पता लगाया जा सके की कैंसर कितनी गहराई तक पहुंच चुका है। डॉक्टर्स कार्सिनोएम्ब्र्योनिक एंटीजन टेस्ट (CEA) भी करवा सकते है। कार्सिनोएम्ब्र्योनिक एंटीजन कैंसर कोशिकाओं से निकलने वाले पदार्थ को कहते हैं।

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    कोलन कैंसर  का इलाज कैसे किया जा सकता है? (Colon cancer treatment)

    कैंसर का इलाज करने के लिए कोई एक तरीका कारगर नहीं है। ये कैंसर के प्रकार, कैंसर स्टेज, उम्र , हेल्थ स्टेटस और कैंसर की गहराई पर निर्भर करता है। कोलन कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरिपी , सर्जरी या रेडिएशन थेरिपी कर सकते हैं।

    सर्जरी (Surgery) 

    • कोलन के एक हिस्से या फिर पूरे कोलन को निकालने के लिए की जाने वाली सर्जरी कोलेक्टोमी कहलाती है। कोलेक्टोमी के दौरान कैंसर से ग्रस्त भाग को आसपास के हिस्सों को हटाया जाएगा जिससे दोबारा कैंसर बनने की आशंका न रह जाए।
    • आसपास के लिम्फ नोड्स को भी निकाल दिया जाएगा। कोलेक्टोमी कितनी गंभीर है इसके आधार पर कोलन का स्वस्थ हिस्सा रेक्टम से जोड़ दिया जाएगा। एब्डोमेन में पाए जाने वाले स्टोमा से जोड़े जाने पर ये प्रक्रिया कोलोस्टोमी कहलाती हैं। इस सर्जरी प्रोसीजर के बाद निकलने वाला मल रेक्टम से जाने के बजाय कोलोस्टोमी बैग से बाहर जाएगा।
    • छोटे कैंसर के लिए कोलेक्टोमी के बजाय एंडोस्कोपी भी की जा सकती है।
    • बड़े पोलिप्स को निकालने के लिए लैप्रोस्कोपी भी की जा सकती है।

     सर्जरी की मदद से भी कैंसर निकाला जा सकता है। इस सर्जरी में कोलन का ब्लॉकेज हटाया जाता है, जिससे दर्द कम हो और खून न बहे।

    कीमोथेरिपी (Chemotherapy)

    कीमोथेरिपी में केमिकल्स की मदद से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है, जिससे कैंसर न हो। ये प्रक्रिया ज्यादातर कोशिकाओं के विभाजन के स्टेज में की जाती है, जिससे कैंसर कोशिकाओं का डीएनए (DNA) नष्ट किया जा सके। कैंसर को बनाने वाले मोलेक्युल्स को खत्म करके उसकी बढ़त को रोका जा सकता है।

    कीमोथेरिपी से हम पूरे शरीर में फैले हुए कैंसर (मैलिग्नेंट कैंसर ) का भी इलाज कर सकते है, क्योंकि रासायनिक दवाएं पूरे शरीर में आराम से फैलाई जा सकती हैं। इलाज साइकल्स में होता है, जिससे कि एक साइकिल के बाद दूसरी साइकिल रिकवर होने का समय मिल सके। इस इलाज के बहुत से हानिकारक प्रभाव भी देखे जा सकते है, जैसे कि जी घबराना, बाल झड़ना, थकान होना, उल्टियां होना। कई बार कीमोथेरिपी के साथ और तरीको को भी इलाज़ प्रक्रिया में शामिल किया जाता है। इसे कॉम्बिनेशन थेरिपी (Combination Therapy) कहते हैं।

    शोध में पाया गया है कि रोजाना कम मात्रा में एस्प्रिन लेने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर (जैसे की कोलन कैंसर) के मरीजो को इलाज में सहायता मिलती है। हालांकि एस्प्रिन का इस्तमाल कितना गुणकारी है इसका अभी तक कोई प्रमाण नहीं है। इसलिए ये इलाज का वैकल्पिक भाग है।

    रेडिएशन (Radiation)

    रेडिएशन थेरिपी को रेडियोथेरिपी (Radiotherapy or Radiation therapy) कहते हैं। इस प्रक्रिया में हम अत्यधिक ऊर्जावान किरणों की मदद से कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। इस थेरिपी में धातु से निकलने वाली किरणों का उपयोग होता है, जिन्हे गामा रेज ( Gamma Rays) के नाम से जाना जाता है। गामा किरणों से इलाज ही एक मात्र तरीका है, जिसमें ट्यूमर सिकुड़ जाता है।

    रेडिएशन थेरिपी का इस्तमाल कैंसर की शुरआती स्टेजेस में नहीं किया जाएगा, लेकिन बाद की स्टेजेस में जब कैंसर रेक्टम  के हिस्सों से होते हुए लिम्फ नोड्स तक पहुंच जाएगा तब रेडिएशन थेरिपी से ही उसका इलाज संभव है।

    रेडिएशन थेरिपी के कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे सनबर्न, सनटैन, घबराहट होना, उल्टियां आना, डायरिया होना या थकान लगना। इलाज के बाद अक्सर बहुत से मरीजो को भूक न लगने की और वजन घटने की भी परेशानी होती है।

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    कोलन कैंसर (Colon cancer) से बचने के लिए जीवनशैली में बदलाव क्या करें और किन-किन घरेलू उपायों को अपनाएं?

    अपनी जीवनशैली में ये बदलाव करके आप जल्द ही कोलन कैंसर की परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं :

    • अपने कैंसर स्टेज की जानकारी रखें और कौन-सा इलाज बेहतर होगा इसका निर्णय डॉक्टर की सलाह से लें।
    • लोकल वेबसाइट और लाइब्रेरी में भी कैंसर के विषय में पढ़े। इससे आपको अच्छी जानकारी मिलेगी और आप अपने इलाज में इसका उपयोग कर सकते हैं।
    •  इलाज के प्रभाव के बारे में जानें।
    • कैंसर की बीमारी में मरीजो को मानसिक और भावनात्मक रूप से सहारे की जरूरत पड़ती है। इसलिए अपने परिवार और दोस्तों के करीब रहें। इससे सहायता मिलेगी और आप बेहतर महसूस करेंगे।
    • किसी ऐसे को अपने पास रखें जो आपकी बाते सुने और समझे। आपके डर, आशाओं और शंकाओ को सुने और आपके दर्द में आपका साथ दे, जिससे आप भावनात्मक रूप से मजबूत महसूस करे। इसके लिए आप किसी दोस्त , काउंसलर या फिर कैंसर सपोर्ट सोसाइटी सदस्यों की सहायता ले सकते हैं।
    • सपोर्ट ग्रुप्स की जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से जानकारी ले सकते हैं।
    • किसी भी और सवाल या जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से मिले और सलाह लें।

    अगर आप कोलन कैंसर (Colon cancer) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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