- हड्डियों के ऊपरी हिस्सों के आसपास सूजन या गांठ होना
- हड्डी और जोड़ों में दर्द (Joints pain) महसूस होना
- जोड़ों में दर्द लगातार बना रहना
- कैंसर (Cancer) की वजह से थकान महसूस होना
- शरीर का वजन (Body weight) कम होना
- हड्डियों (Bone) का सुन्न होना
- किसी भी अज्ञात कारणों से हड्डी टूटना
इन ऊपर बताये गए लक्षणों के अलावा अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। इसलिए परेशानी महसूस होने पर जल्द से जल्द से डॉक्टर से संपर्क करें।
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ऑस्टियो सार्कोमा कैंसर का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Osteosarcoma cancer)
इस कैंसर का निदान निम्नलिखित तरह से किया जाता है। जैसे:
- ट्यूमर टेस्ट
- ब्लड सैंपल टेस्ट
- सीटी स्कैन (CT Scan)
- एमआरआई (MRI)
- एक्स-रे
- ट्यूमर बायोप्सी
आवश्यकता पड़ने पर ऊपर बताये गए टेस्ट के अलावा अन्य जांच की भी सलाह दी जा सकती है।
क्या है ऑस्टियो सार्कोमा कैंसर का इलाज? (Treatment for Osteosarcoma cancer)
ऑस्टियोजेनिक सार्कोमा कैंसर बच्चों और वयस्कों दोनों में हो सकता है। बच्चे और बड़ों का इलाज अलग-अलग तरह से किया जा सकता है। इलाज के दौरान डॉक्टर यह ध्यान रखते हैं कि ट्यूमर तेजी से बढ़ रहा है या उसकी रफ्तार धीमी है और फिर इलाज निम्नलिखित तरह से की जाती है। जैसे:
- सर्जरी की मदद से इन्फेक्टेड एरिया को निकाल दिया जाता है
- बीमारी की गंभीरता और मरीज की सेहत को ध्यान में रखते हुए कीमोथेरिपी या रेडियो थेरिपी दी जाती है।
कैंसर पेशेंट को लगातार डॉक्टर के संपर्क रहना और डॉक्टर द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पालन करना आवश्यक होता है।
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ऑस्टियो सार्कोमा कैंसर (Osteosarcoma cancer) के जोखिम और जटिलताएं क्या हैं?
रिसर्च के अनुसार:-
- वैसे लोग जिनकी उम्र 10 से 30 साल हो
- ऑस्टियोजेनिक सार्कोमा कैंसर उन बच्चों में ज्यादा होता है, जिनकी हाइट उम्र से ज्यादा बढ़ जाती है
- महिलाओं की तुलना में पुरुषों में यह कैंसर ज्यादा होता है
- किसी अन्य कैंसर के इलाज में रेडिएशन थेरिपी भी ऑस्टियोजेनिक सार्कोमा कैंसर की संभावना बढ़ा देता है
- कुछ खास तरह की हड्डियों की बीमारी
ऐसे लोगों में ऑस्टियोजेनिक सार्कोमा कैंसर (Osteosarcoma cancer) के जोखिम ज्यादा देखे जाते हैं या इन लोगों में अगर ऑस्टियोजेनिक सार्कोमा कैंसर है, तो अत्यधिक सावधानी बरतनी पड़ती है।
एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म ‘दिल बेचारा’ में सुशांत का एक डायलॉग है “जन्म कब लेना है और मरना कब है, ये हम डिसाइड नहीं कर सकते हैं। लेकिन, जीना कैसे है ये हम डिसाइड कर सकते हैं।” इसलिए अपनी जीवनशैली को हमेशा हेल्दी बनायें रखें। सकारात्मक विचारधारा अपनाएं।
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मुंबई पुलिस के अनुसार सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड की वजह डिप्रेशन है। डिप्रेशन में होने की वजह से ही उन्होंने खुदकुशी की है। डिप्रेशन (अवसाद) एक ऐसी मानसिक परेशानी है, जिसका अगर समय पर पता न चले या जानकारी न मिले तो यह स्थिति अत्यधिक गंभीर हो सकती है। इन दिनों डिप्रेशन की परेशानी लगातार बढ़ते जा रही है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार भारत में डिप्रेस्सेड लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। भारत की कुल जनसंख्या में 6.5 प्रतिशत लोग डिप्रेशन के शिकार हैं। डब्लूएचओ की रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि साल 2020 तक ये संख्या बढ़कर 20 प्रतिशत तक हो सकती है। इसलिए अगर आप ऐसी किसी भी परेशानी से गुजर रहें हैं, तो अपने दोस्तों से बात करें, अपने परिवार या करीबियों से बात करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
अगर आप ऑस्टियो सार्कोमा कैंसर (Osteosarcoma cancer) रोग, डिप्रेशन (Depression) या तनाव (Tension) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझें। किसी भी शारीरिक परेशानी को नजरअंदाज न करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।