के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
थायराॅइड ग्रंथि के ऊतकों में होने वाले कैंसर को थायरॉइड कैंसर की बीमारी कहते हैं। थायराॅइड ग्रंथि गर्दन के निचले हिस्से में स्थित बटरफ्लाई के आकार की ग्रंथि है जो एक विशेष तरह के हार्मोन को शरीर में पहुंचाने का काम करती है। थायराॅइड ग्रंथि से निकलने वाला हार्मोन ब्लड प्रेशर, शरीर का तापमान, शरीर का वजन और हृदय की दर को नियंत्रित करने का काम करता है। थायरॉइड कैंसर, थायराॅइड ग्रंथि के ऊतकों में विकसित होता है, जो शुरूआती लक्षण के रूप में गर्दन में गांठ, सूजन, आवाज में भारीपन, वजन बढ़ना, वजन घटना आदि लक्षणों के रूप में दिखाई देता है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में थॉयराइड कैंसर (Thyroid cancer) होने का खतरा ज्यादा रहता है। हालांकि समय के साथ विकसित हो रही तकनीकों से थायरॉइड कैंसर के अधिकांश मामलों में इलाज से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।
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थायरॉइड कैंसर (Thyroid cancer) को थायरॉइड में पाई जाने वाली कोशिकाओं के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। थायराइड कैंसर के प्रकारों में निम्न शामिल है-
थायरॉइड हार्मोन का उत्पादन और भंडारण करने वाली कूपिक कोशिकाओं में होने वाला कैंसर पैपिलरी Thyroid Cancer कहलाता है। वैसे तो पैपिलरी थायरॉइड कैंसर होने की कोई उम्र नही है लेकिन फिर भी इसका खतरा 30 से 50 वर्ष की उम्र के लोगों को ज्यादा रहता है।
यह कैंसर भी हार्मोन का उत्पादन और भंडारण करने वाली कूपिक कोशिकाओं में होता है। फॉलिक्युलर थायरॉइड कैंसर का खतरा अधिकतर 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को रहता है।
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मेड्युलरी थायरॉइड कैंसर की ‘सी’ कोशिकाओं में होता है। थायराइड की ‘सी’ कोशिकाएं कैल्सीटोनिन हार्मोन का उत्पादन करने के लिए उत्तरदायी होती है। जब ब्लड में कैल्सीटोनिन का उच्च स्तर पाया जाता है तब मेड्युलरी थायरॉइड कैंसर का संकेत मिलता है। इस तरह के Thyroid Cancer में डॉक्टर ब्लड में कैल्सीटोनिन के स्तर की जांच करते है।
थायरॉइड की कूपिक कोशिकाओं में होने वाला एनाप्लास्टिक थायरॉइड कैंसर एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है और इसके मामलें दूसरे थायरॉइड कैंसर के मुकाबले बहुत ही कम देखने को मिलते है। अधिकतर एनाप्लास्टिक थायरॉइड कैंसरु होने का खतरा 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के व्यक्ति को रहता है।
थायराइड लिंफोमा एक दुर्लभ प्रकार का Thyroid Cancer है जो थाइराइड की प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाओं में होता है। यह कैंसर आमतौर पर बड़ी उम्र के व्यक्तियों में होता है।
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शुरूआती तौर पर थायरॉइड कैंसर की बीमारी के निम्न लक्षण दिखाई देते हैं-
थायरॉइड कैंसर की बीमारी या गले की गांठ का मुख्य कारण अभी तक अज्ञात है, लेकिन फिर भी विशेषज्ञों द्वारा इसके कुछ कारण बताएं गएं है जो निम्न है-
शुरूआती लक्षणों और शारीरिक परीक्षण (जिसमें गर्दन की जांच कर थायरॉइड के छोटे या बड़े साइज का पता लगाया जाता है) के आधार पर डॉक्टर थायरॉइड कैंसर की बीमारी होने को सुनिश्चित करने के लिए निम्न परीक्षण करने की सलाह देते है-
थायरॉइड कैंसर (Thyroid cancer) की बीमारी के जोखिम को बढ़ाने वाले कारक निम्न है-
थायराॅइड कैंसर की बीमारी का इलाज मरीज की आयु, कैंसर का प्रकार, कैंसर का स्तर और सामान्य स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। सामान्यतौर पर थायरॉइड कैंसर का इलाज निम्न तरह से किया जाता है-
निम्न परिस्थितियों में थायरॉइड कैंसर की बीमारी का इलाज शुरू किया जाता है-
गले में दर्द हमेशा सर्दी-जुकाम का लक्षण नहीं होता है और इन्हें इग्नोर किए बिना जांच कराना जरूरी हो जाता है। अगर समय पर ट्रीटमेंट मिल जाए, तो बड़ी समस्या से बचा जा सकता है। कैंसर की स्टेड बढ़ने पर ट्रीटमेंट अधिर जटिल हो जाता है।
अगर आपको गले में गांठ का अनुभव हो रहा है तो उसे इग्नोर बिल्कु भी न करें। गले में गांठ कैंसर भी हो सकता है। लेकिन ऐसा जरूरी नहीं होता है कि गले में गांठ कैंसर ही हो। अगर आपको ऐसा कुछ भी अनुभव होता है तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। कैंसर का इलाज संभव है लेकिन कैंसर का समय पर इलाज कराने से इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। अगर समय पर इलाज न कराया जाए तो बीमारी बढ़ भी सकती है। अगर आपको गले में गांठ या थायरॉइड कैंसर (Thyroid cancer) की बीमारी के बारे में अधिक जानकारी चाहिए तो डॉक्टर से परामर्श करें। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
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