लो फाइबर डायट को निम्न बीमारियों से ग्रसित लोगों को अपनाने की सलाह दी जाती है :
- इंफ्लमेटरी बॉवेल डिजीज, क्रोहन डिजीज और अल्सरेटिव कोलाइटिस।
- बोवेल ट्यूमर।
- कीमोथेरिपी में प्रयुक्त किए जाने वाले रेडिएशन के कारण पेट और आंतों में जलन की समस्या होना।
- कोलोनोस्कोपी या पेट की किसी सर्जरी के पहले या बाद में।
- आंतों का सकरा या पतला हो जाना।
- बॉवेल डिजीज सिंड्रोम या डीवर्टीकुलोसिस।
उपरोक्त बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति को कम फाइबर का सेवन करने के लिए कहा जाता है। एक दिन में लगभग 10 से 15 ग्राम ही फाइबर का सेवन करना होता है। इसके साथ ही इस डायट में मिनरल, विटामिन, कैल्शियम, पोटैशियम, फोलिक एसिड और विटामिन सी आदि की मात्रा को भी थोड़ा कम कर दिया जाता है। बहुत सारे फूड के पैकेट पर न्यूट्रिएंट्स की मात्रा लिखी होती है।
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लो रेसिड्यू डायट काम कैसे करती है?
लो फाइबर डायट में एक सीमा में ही फाइबर का सेवन कर सकते हैं। प्रतिदिन सिर्फ 10 से 15 ग्राम फाइबर का ही सेवन किया जाता है। जबकि बिना किसी पेट संबंधी बीमारी के एक नॉर्मल व्यक्ति 25 से 38 ग्राम फाइबर का सेवन रोजाना करता है। आपको डेयरी के प्रोडक्ट्स और कुछ तरह के कार्बोहाइड्रेट का सेवन इस डायट में न करने की सलाह दी जाती है। ताकि आपके पेट में किसी तरह का कोई दर्द न हो।
अगर आपके डॉक्टर या डायटीशियन आपको बताते हैं कि आपको लो रेसिड्यू डायट की जरूरत है तो आपको उसे फॉलो करना पड़ेगा, लेकिन ऐसा हो सकता है कि लो फाइबर डायट को फॉलो करते हुए विटामिन सी और फॉलिक एसिड की शरीर में कमी हो जाए। इसके साथ ही गट बैक्टीरिया भी बदल सकते हैं। किसी को लो फाइबर डायट को कब तक और कितनी मात्रा में फॉलो करना होगा, ये बात व्यक्ति के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।
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लो रेसिड्यू डायट में क्या खाना चाहिए?
लो फाइबर डायट में आपको निम्न चीजें खानी होती हैं :
- बिना नट्स और बीज के सफेद ब्रेड।
- व्हाइट राइस, व्हाइट पास्ता या क्रैकर्स।
- रिफाइंड अनाज, जिसमें एक ग्राम से कम फाइबर हो।
- व्हाइट रिफाइंड आटे से बना पैनकेक या वैफेल।
- अच्छे से पकी हुई सब्जियां और बिना छिलके व बीज के फल।
- पका हुआ मीट, चिकन, मछली और अंडे।
- दूध से निर्मित पदार्थ, जैसे- योगर्ट, पुडिंग, आइस्क्रीम, चीज़, क्रीम, बटर आदि।
- बिना बीज का सलाद।
लो फाइबर डायट में क्या नहीं खाना चाहिए?
लो फाइबर डायट में आपको निम्न चीजें नहीं खानी चाहिए :
- गेंहू या गेंहू से बने ब्रेड, अनाज और पास्ता
- ब्राउन राइस
- ओट्स
- काशा
- जौ
- क्विनोआ
- सूखे फल
- बीज और छिलके का साथ कच्चे फल, जैसेड- बेरीज
- कच्चे या कम पकी हुई सब्जियां, जैसे- कॉर्न
- सूखी फलियां, मटर या दालें
- पीनट बटर
- नारियल
- पॉपकॉर्न
आप उपरोक्त फूड का यदि सेवन करना चाहते हैं तो इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर लें। लो फाइबर डायट को लंबे समय तक लेने की सलाह डॉक्टर नहीं देगा। हो सकता है कि डॉक्टर आपको कुछ समय बाद इस डायट को न अपनाने की सलाह दे।
लो फाइबर डायट प्लान कैसे बनाएं?
लो रेसिड्यू डायट प्लान तैयार कराने के लिए आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। नीचे बताई गई डायट प्लान मात्र एक नमूना है, जिसे बिना डॉक्टर के परामर्श के फॉलो नहीं करें।
ब्रेकफास्ट के दौरान लो फाइबर डायट
- एक गिलास दूध
- एक अंडा
- एक स्लाइस सफेद टोस्ट के साथ जेली
- आधा कप आड़ू
लो रे स्नैक
एक कप योगर्ट, बिना बीज और नट्स का सेवन आप लो रे
लंच के दौरान लो फाइबर डायट
- एक से दो कप चिकन नूड्ल्स
- क्रैकर्स
- टूना मछली का सैंडविच, वह भी सफेद ब्रेड और मायोनीस के साथ
- एप्पल सॉस
- आईस टी
स्नैक
- सफेद टोस्ट, ब्रेड या क्रैकर्स
- दो स्लाइस चीज या आधा कप कॉचेज चीज
- जूस या आइस टी
डिनर
- एक कटोरी मीट, चिकन या मछली
- आधा कप व्हाइट राइस
- आधा कप पकी हुई सब्जियां, जैसे- गाजर या हरी बींस
- गर्म चाय
- व्हाइट रिफाइंड आटे से बना डिनर रोल बटर के साथ
उपरोक्त बताए गए लो रेसिड्यू डायट प्लान के फूड्स को खुद ही तैयार करें। खाने को अच्छी तरह से पकाएं। पाक कला का अच्छी तरह इस्तेमाल करें। खाने को रोस्टिंग और ग्रिलिंग न करें। इससे खाना सूखा और कड़ा हो जाता है।
हमेशा याद रखें कि इस डायट को फॉलो करने से आपको कम मात्रा में शौच हो सकती है और आपके आंट में मूवमेंट भी कम रहती है। जिससे आपको कब्ज की समस्या हो सकती है। कब्ज की समस्या से बचने के लिए ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें। ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी पिएं।
लो फाइबर डायट प्लान को फॉलो करने के बाद से आपके आंत में मूवमेंट कम होगा। जिससे आपको पेट संबंधी समस्याओं से निजात मिलेगा। इसके साथ ही जब आपका पाचन तंत्र धीरे-धीरे दुरुस्त हो जाएगा तो डॉक्टर आपको धीरे-धीरे फाइबर डायट पर शिफ्ट कर सकते हैं। इसका ये मतलब नहीं है कि आपको सिर्फ फाइबर खाना है या फाइबर की मात्रा को बढ़ा देना है। आपको ये करना है कि फाइबर की मात्रा पहले की तुलना में संतुलित रूप से लेनी होगी।
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लो फाइबर डायट लेने के नुकसान क्या हैं?
लो फाइबर डायट लेने से हमें कई तरह के पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं, जिससे शरीर में कई तरह के विटामिन और मिनरल की कमी हो जाती है। अगर आपको किसी तरह की परेशानी है और डॉक्टर ने आपको इस डायट को लेने की सलाह दी है तो आप इसे लेना शुरू कर सकते हैं। बिना डॉक्टर की सलाह के लो रेड्यूस डायट का सेवन बिल्कुल भी न करें।आप जब भी लो रेसिड्यू डायट को फॉलो करें तो अपने डॉक्टर के परामर्श पर ही शुरू करें।
उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से लो फाइबर डायट या लो रेड्यूस डायट के बारे में जानकारी मिल गई होगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए तो आप आहार विशेषज्ञ से जानकारी ले सकते हैं। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।