के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
मस्कुलोस्केलेटल ट्यूबरकुलोसिस (Musculoskeletal Tuberculosis) टीबी का ही एक प्रकार है जो हड्डियों और जोड़ों की टीबी होती है। उसे बोन टीबी भी कहते हैं। टीबी एक संक्रामक रोग है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलॉसिस (Mycobacterium Tuberculosis (Mtb)) नामक बैक्टीरिया की वजह से फैलता है। टीबी प्रमुख रूप से श्वास तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करती है। लेकिन खून के माध्यम से ये शरीर के अन्य अंगों में भी फैल जाती है। ऐसी टीबी को एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी (Extrapulmonary Tuberculosis) कहते हैं। वहीं कई मरीजों में एक बार में कई जगहों पर टीबी हो जाती है जिसे मल्टीफोकल स्केलेटल ट्यूबरकुलोसिस (Multifocal Skeletal Tuberculosis) कहते हैं।
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हड्डियों और जोड़ों की टीबी (मस्कुलोस्केलेटल ट्यूबरकुलोसिस) किसी भी उम्र के व्यक्ति को और कभी भी हो सकती है। ये शरीर की किसी भी हड्डी को अपना शिकार बना सकती है। अधिक जानाकारी के लिए डॉक्टर सलाह जरूर लें। इंडियन जर्नल ऑफ रूमेटोलॉजी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में तपेदिक (टीबी) वैश्विक मामलों में से एक-चौथाई के लिए जिम्मेदार है। हर साल टीबी के लगभग 2.8 लाख नए मामले सामने आते हैं। जिनमें फेफड़े का टीबी का सबसे मुख्य रूप से शामिल होता है। हालांकि, इनमें 10 फीसदी मामले एक्स्ट्रा-पल्मोनरी टीबी (EPTB) के भी होते हैं।
संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में टीबी के कुल मामलों के 20 फीसदी मामले ईपीटीबी (EPTB) के होते हैं। इनमें ओस्टियोआर्टिकुलर टीबी के मामले 1 फीसदी से 5 फीसदी तक होते हैं। वहीं, 50 फिसदी स्पाइनल टीबी के मामले में सेप्टिक आर्थराइटिस 28.3 फीसदी, ओस्टियोमाइलाइटिस 10.1 फीसदी, टेनोसिनोवाइटिस 4.0 फीसदी, बर्साइटिस 2 फिसदी और पाइमोयोसिटिस के 2 फीसदी मामले होते हैं।
हड्डियों और जोड़ो की टीबी आमतौर पर धीरे-धीरे क्रोनिक मोनोआर्थराइटिस (Chronic Monoarthritis) के रूप में सामने आता है जो जोड़ों, घुटनों और कूल्हे को संक्रामक रूप से प्रभावित करता है। इसके अलावा गठिया (Arthritis) की समस्या से परेशान लोगों में हड्डियों और जोड़ो की टीबी होना सबसे सामान्य हो सकता है। टीबी सीधे मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम को संक्रमित कर सकता है और दूसरी ओर, गठिया के रोगियों को कई कारणों की वजह से भी हड्डियों और जोड़ो की टीबी के संक्रमण होने का जोखिम भी बढ़ जाता है। हड्डियों और जोड़ो की टीबी (मस्कुलोस्केलेटल ट्यूबरकुलोसिस) की अभिव्यक्तियों को चार समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
इसके अलावा हड्डियों और जोड़ों की टीबी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। हालांकि, इसके लक्षण देरी से दिखाई देते हैं जिस वजह से अक्सर इसके उपचार में देरी भी हो जाती है।
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हड्डियों और जोड़ों की टीबी (मस्कुलोस्केलेटल ट्यूबरकुलोसिस) का प्रमुख लक्षण शरीर के कई हिस्सों में दर्द क्योंकि सामान्य तौर पर इस टीबी में रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है। इसके अलावा बुखार (Fever) और वजन कम (Weight loss) होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कई मामलों में अजीब सी सूजन होती है, जिसमें किसी तरह की जलन या दर्द नहीं होता है। इस तरह की टीबी में कोई भी लक्षण हड्डियों से सीधे नहीं जुड़े होते इसी वजह से ऐसी टीबी का पता लगाना बेहद कठिन होता है।
इसके अलावा भी इस तरह की टीबी के कुछ और लक्षण हो सकते हैं। अगर आपको इन्हें लेकर कोई परेशानी है, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करना ना भूलें
अगर आपको उपरोक्त में से कोई भी लक्षण नजर आते हैं, तो डॉक्टरी सलाह जरूरी है। ध्यान रहे कि हर बीमारी में लोगों का शरीर अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया देता है। ऐसे में सबसे बेहतर है कि अपनी स्थिति के बारे में डॉक्टर से बात करें।
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प्रमुख रूप से माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलॉसिस (Mycobacterium Tuberculosis [MTB]) बैक्टीरिया टीबी का सबसे बड़ा कारण है। वहीं दूसरे अंगों में संक्रमण टीबी हो जाने के बाद फैलता है। टीबी का बैक्टीरिया खून के जरिए हड्डियों और अन्य अंगों पर जाकर बैठ जाता है। इसके बाद ये उसक जगह पर घाव पैदा करने लगता है जिसे ट्यूबर्कल (Tubercle) कहते हैं। इन सूक्ष्म घावों को (Microscopic Lesions) कहते हैं। ये दो तरह के होते हैं Caseating Exudative और Proliferating। व्यक्ति को किस तरह के घाव होते हैं ये उसके शरीर और रोग प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करता है।
मस्कुलोस्केलेटल ट्यूबरकुलोसिस किसी भी उम्र में हो सकती है। इंफेक्शन (Infection) के जरिए ये कभी भी आपकी हड्डियों तक पहुंच सकती है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
आमतौर पर हड्डियों और जोड़ों की टीबी का पता देर से चलता है, क्योंकि इस लक्षण कई बार नजर नहीं आते या समझ नहीं आते। इस बीमारी का समय पर पता चलना भी जरूरी है जिससे व्यक्ति को विकलांग होने से बचाया जा सके। अब नई तकनीक जैसे सीटी स्कैन,एमआरआई MRI के माध्यम से आसानी से इस बीमारी का पता चल जाता है।
हड्डियों और जोड़ो की टीबी के लक्षण निम्नलिखित हैं। जैसे?
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इस तरह होता है इलाज
अगर किसी व्यक्ति को रीढ़ (Spine) की हड्डी में टीबी हुई है तो उसे ट्रीटमेंट के बाद 12 से 16 हफ्तों के लिए आराम की सलाह दी जाती है। हो सकता है कि इस पूरी अवधि में व्यक्ति को बिस्तर पर ही रहना पड़े। इस दौरान बैठने या खड़े होने पर पाबंदी होती है। बस उसे करवट लेने में मदद की जा सकती है। अगर इसमें जरा सी भी लापरवाही होती है तो दोबारा सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
हड्डियों और जोड़ों की टीबी से बचने के उपाय
अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना ना भूलें।
नोट: अगर आप पहली बार एक्सरसाइज करने की शुरुआत कर रहें हैं, तो फिटनेस एक्सपर्ट से सलाह लेकर करें। इस दौरान ध्यान रखें कि अगर एक्सरसाइज करने के दौरान बॉडी डिहाइड्रेट होती है। इसलिए एक्सरसाइज करने के दौरान बीच-बीच में पानी पीएं।
बीमारियों को दूर रखने के लिए नियमिति रूप से योगासन करें। नियमित रूप से योग करने से बॉडी पेन से निजात मिल सकता है। नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें और योगा एक्सपर्ट से जानिए योग से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
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