के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
क्रॉन्स डिजीज आंत से संबंधित एक बीमारी है। जिसमें आंतों में जलन और दर्द महसूस होता है। इस बीमारी से प्रायः छोटे आंत का आखिरी भाग प्रभावित होता है। क्रॉन्स डिजीज के इलाज के लिए की जाने वाली सर्जरी को ही क्रॉन्स डिजीज सर्जरी कहते हैं। क्रॉन्स डिजीज में आंत की दीवार मोटी हो जाती है, जो भोजन को ब्लॉक कर देता है और उसे आगे बढ़ने नहीं देता है। इसके अलावा छोटी आंत प्रभावित हिस्सा भोजन के पोषक तत्वों को अवशोषित नही करता है। ऐसा होने पर पेट दर्द, डायरिया, वजन घटना, आंत में छेद आदि समस्या हो जाती है। जब ये समस्या ज्यादा बढ़ जाती है और दवाओं से ठीक नहीं होती तो इस सर्जरी का सहारा लिया जाता है। इस सर्जरी के जरिए डॉक्टर प्रभावित हिस्से को काट कर आंत से अलग कर देता है। अगर आपको इनमें से कोई समस्या है, तो आपके डॉक्टर आपको ये सर्जरी कराने की सलाह दे सकते हैं।
आंत की समस्या होने पर पहले डॉक्टर इस बीमारी के लक्षणों के आधार पर दवाएं देते हैं। दवाओं से आराम न होने पर ही सर्जरी का फैसला लेते हैं। डॉक्टर आपकी समस्या की पहले पूरी तरह जांच करेंगे और अगर उन्हें इस सर्जरी की जरूरत लगेगी, तो ही आपको वो इसे कराने की सलाह देंगे।
आपको सर्जरी कराने से पहले इसके बारे में पूरी जानकारी ले लेनी चाहिए। इसकी प्रक्रिया से लेकर इसके नुकसान तक के बारे में आपको पूरी जानकारी होनी चाहिए। आपको बता दें कि क्रॉन्स डिजीज सर्जरी कोई स्थायी इलाज नहीं है। सर्जरी के बाद कुछ समय के लिए बीमारी से आपको राहत मिलती है। लेकिन, आंतों के टिश्यू एक दूसरे से जुड़े होने के कारण क्रॉन्स डिजीज दोबारा हो जाती है। सर्जरी के बाद नियमित रूप से दवाएं लेने से इस बीमारी के दोबारा होने का खतरा कम हो जाता है।
सर्जरी चाहे कोई भी हो, हर सर्जरी के कुछ न कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। ठीक इसी तरह क्रॉन्स डिजीज सर्जरी के भी कुछ साइडइफेक्ट्स सामने आ सकते हैं।
ज्यादातर मामलों में सर्जरी करना जरूरी होता है। क्रॉन्स डिजीज होने पर कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं। जैसे फिस्टूला (पाचन प्रक्रिया सही से न होने पर डाइजेस्टिव सिस्टम के बीच में एक चैनल का बन जाना) या आंतों में सिकुड़न (Intestinal Narrowing)। इन सभी परेशानियों का इलाज किया जाता है।
आपको क्रॉन्स डिजीज सर्जरी कराने के बाद कुछ सामान्य समस्याओं को सामना करना पड़ सकता है, जैसे :
हालांकि, इनके अलावा भी कुछ समस्याएं सामने आ सकती हैं, जो गंभीर हो सकती हैं। ये समस्याएं कभी-कभी गंभीर मामलों में देखने को मिलती हैं। नीचे पढ़ें कौन-सी हैं वो अन्य समस्याएं :
सर्जरी कराने से पहले आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। डॉक्टर से मिल कर आपको अपनी दवाओं (जो आप पहले से ले रहे हो), एलर्जी और हेल्थ कंडिशन के बारे में बात करनी चाहिए। इसके साथ ही आप अपने एनेस्थेटिस्ट से भी मिलें और सर्जरी के दौरान बेहोश या सुन्न करने की प्रक्रिया प्लान करें। साथ में आप अपने डॉक्टर से जान लें कि आपको सर्जरी से पहले क्या खाना पीना चाहिए। परिवार के लोगों को भी आप डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों के बारे में बता दें।
आपको इस सर्जरी को कराने से पहले इसकी प्रक्रिया के बारे में भी पूरी जानकारी ले लेनी चाहिए। आपको बता दें कि क्रॉन्स डिजीज सर्जरी करने में लगभग 90 मिनट का समय लगता है। सबसे पहले एनेस्थेटिस्ट पेट का सुन्न करते हैं। इसके बाद डॉक्टर प्रभावित स्थान पर पेट में एक चीरा या कट लगाते हैं। फिर डॉक्टर छोटी आंत का क्रॉन्स डिजीज से प्रभावित भाग काट कर निकाल देते हैं। कभी-कभी बड़ी आंत का भी थोड़ा हिस्सा काटना पड़ता है। इसके बाद आंतों को आपस में जोड़ देते हैं। कभी-कभी जोड़ने की स्थिति नहीं होने पर कोलॉनोस्टमी या इलियॉस्टमी करते हैं। फिर पेट में किए गए चीरे के स्थान पर टांका लगाते हैं। आइए अब जानते हैं कि इस सर्जरी को कराने के बाद क्या होता है।
इन सभी बातों के अलावा अगर आपको किसी भी तरह की समस्या आती है तो अपने सर्जन और डॉक्टर से जरूर मिलें और परामर्श लें।
सर्जरी चाहे कोई भी हो, आपको इसके बाद बाद अपनी खास देखभाल करने की जरूरत होती है। अगर सर्जरी कराने के बाद शरीर के साथ कोई लापरवाही बरती जाएगी, तो आपके शरीर को हानि हो सकती है और सर्जरी के बाद रिकवरी करने में दिक्कतें पैदा सकती है। हालांकि,
इस आर्टिकल में हमने आपको क्रॉन्स डिजीज सर्जरी से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। इसमें हमने आपको इस सर्जरी को करने की प्रक्रिया से लेकर इसके साइड इफेक्ट्स और सर्जरी के बाद मरीज का ख्याल रखने तक के बारे में बताया है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस सर्जरी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने सर्जन से जरूर पूछ लें।
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