यह कई लोगों के लिए महंगा और अप्रभावी है। यह चुनिंदा शहरों में ही उपलब्ध है। अगर आप पाते हैं कि इस टेस्ट आपके पास उपलब्ध है और आप इसे करवाना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि आप ऐसा करने से पहले अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लें। अपने डॉक्टर से इस टेस्ट के बारे में सवाल पूछें। जब आप इसके बारे में पूरी तरह से आश्वस्त हो तभी इस टेस्ट करवाएं। और पढ़ें: प्रेग्नेंसी में रागी को बनाएं आहार का हिस्सा, पाएं स्वास्थ्य संबंधी ढेरों लाभ
डाउन सिंड्रोम क्या होता है?
डाउन सिंड्रोम एक जेनेटिक डिसऑर्डर है। भ्रूण की प्रत्येक कोशिका 46 गुणसूत्रों से बनती है, जो 23 गुणसूत्र के दो अलग-अलग जोड़े होते हैं। एक भ्रूण को बनाने के लिए 23 गुणसूत्रीय दो कोशिकाएं एक साथ आकर मिलती हैं। जोकि एक 46 जोड़ी जायगोट बनता है। इसके बाद ही यह भ्रूण का रूप लेता है। कुछ मामलो में कोशिकाओं के विभाजन के दौरान गुणसूत्रों का एक अतिरिक्त जोड़ा दोनों गुणसूत्र के जोड़ो में से किसी एक में मिल जाता है। यहां गुणसूत्र के दो जोड़े होने के बजाय तीन जोड़े हो जाते हैं। इस प्रकार की अनियमित्ता के चलते बच्चे में सामान्य शारीरिक और जन्मजात बदलाव पैदा होते हैं। इन्हें डाउन सिंड्रोम कहा जाता है। ऐसे बच्चे मानसिक रूप से विकलांग भी हो सकते हैं।
इस टेस्ट कराने से गर्भवती महिला पहले से किसी भी तरह की कॉम्प्लिकेशन के बारे में जान सकती है। इसके लिए डॉक्टर बहुत कम सलाह देते हैं। इस टेस्ट कराने से पहले वह पेशेंट की हिस्ट्री भी पूछते हैं। अगर आपको इसके बारे में और जानकारी चाहिए तो अपने डॉक्टर से इसके बारे में और जानकारी ले सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में इस टेस्ट के बारे में बताया गया है। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई प्रश्न है तो आप कमेंट कर पूछ सकते हैं।