विटामिन-डी गर्भ में पल रहे बच्चे की हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में मदद करता है। गर्भावस्था के दौरान रेकमेंडेड डायट्री अलाउंस एक दिन में 600 आईयू है। विटामिन डी-3 शरीर की हड्डियों के विकास के साथ-साथ उसकी मजबूती और कैल्शियम का अब्सॉर्पशन करने में हमारी मदद करता है। विटामिन डी-3 कोशिकाओं के विकास और व्हाइट ब्लड सेल्स को बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
विटामिन-डी के सोर्स:
- वसायुक्त मछली (जैसे सैल्मन, टूना, मैकेरल)
- फिश लिवर ऑयल
- पनीर
- अंडे की जर्दी
- यूवी-एक्सपोज्ड मशरूम
- फोर्टिफाइड जूस तथा अन्य पेय
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ओमेगा 3 फैटी एसिड को जरूर शामिल करें दूसरी तिमाही की डायट में
दूसरी तिमाही प्रेग्रेंसी के डायट में ओमेगा-3 फैटी एसिड से मां और शिशु दोनों को फायदा पहुंचता है। यह हृदय, मस्तिष्क, आंखों, इम्यून सिस्टम और सेंट्रल नर्वस सिस्टम को सुचारू रखता है। ओमेगा -3 प्री-टर्म डिलिवरी, प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम को कम करता है और पोस्टपार्टम डिप्रेशन की संभावना को कम करता है। गर्भावस्था के दौरान ओमेगा -3 वसा का दैनिक सेवन 1.4 ग्राम है।
ओमेगा- 3 फैटी एसिड के सोर्स:
- ऑयली फिश (सैल्मन, मैकेरल, टूना, हेरिंग और सार्डिन)
- फिश ऑयल
- अलसी का बीज
- चिया सीड्स
- मेथी
- पालक
- फ्लैक्ससीड्स
- सोयाबीन
- अखरोट
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दूसरी तिमाही की डायट में आवश्यक हैं तरल पदार्थ
गर्भवती महिलाओं को अधिक पानी की आवश्यकता होती है जिससे बॉडी हाइड्रेट रहती है। गर्भावस्था के दौरान पानी की कमी प्रेग्नेंसी की जटिलताओं को बढ़ा सकती है। जैसे कि न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट और ब्रेस्ट-मिल्क में कमी। गर्भवती महिला को दिन में कम-से-कम 8 से 12 गिलास पानी पीना चाहिए।
दूसरी तिमाही की डायट में मुझे किन चीजों को शामिल नहीं चाहिए?
दूसरी तिमाही प्रेग्नेंसी के डायट महत्वपूर्ण है। हालांकि, गर्भावस्था के छठे और 14वें सप्ताह के दौरान कुछ आहार से बचना चाहिए।
- बैक्टीरिया और साल्मोनेला और टॉक्सोप्लाज्मोसिस के साथ कंटैमिनेशन के रिस्क के कारण कच्चे और बिना पके मांस से बचना चाहिए।
- उच्च स्तर की मर्करी वाली या पुरानी मछली के सेवन से बचना चाहिए।
- साल्मोनेला के संपर्क में आने के कारण गर्भावस्था के दौरान कच्चे अंडे का सेवन करने से बचना चाहिए।
- कुछ प्रकार के आयातित नरम पनीर में लिस्टेरिया होता है जिसे बचा जाना चाहिए।
- अनपाश्चराइज्ड दूध या डेयरी प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से गर्भावस्था में बचना चाहिए। क्योंकि उसमें लिस्टेरिया भी हो सकता है।
- गर्भावस्था के दौरान कैफीन का सेवन मॉडरेशन में किया जा सकता है।
- गर्भावस्था के दौरान शराब से पूरी तरह बचना चाहिए।
- सब्जियां और फल जो कम पके हुए होते हैं वे सुरक्षित नहीं होते। क्योंकि वे बैक्टीरिया से दूषित हो सकते हैं, जैसे कि टॉक्सोप्लाज्मा, जो मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।
स्वस्थ खाने का मूल सिद्धांत हर किसी के लिए सामान्य होता है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान, कुछ आवश्यक पोषक तत्वों पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है, जिसमें आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम, फोलेट और ओमेगा -3 वसा शामिल हैं। अतः आप अपने डायट में इन्हें शामिल करें ताकि आप और होने वाला शिशु स्वस्थ हो।
हम उम्मीद करते हैं कि दूसरी तिमाही की डायट पर आधारित यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। अगर आपको दूसरी तिमाही की डायट के संबंध में कोई सवाल है तो अपने डॉक्टर या डायटीशियन से संपर्क करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान और उपचार प्रदान नहीं करता।