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यह एक गंभीर मानसिक स्थिति है, जिसके कारण अत्यधिक मूड स्विंग्स होता है। आप एक पल बहुत खुश होते हैं, तो अगले ही पल बेहद दुखी हो जाते हैं। बीच-बीच में सामान्य मूड भी रहता है, लेकिन जब मूड खराब होता है, तो मरीज निराश और हारा हुआ महसूस करते हैं और अपनी दैनिक गतिविधियों में इंट्रेस्ट खो देते हैं। जब मूड अच्छा होता हैं, तो वे उत्साह और ऊर्जावान महसूस करते हैं, जो मामले गंभीर होते हैं, उनमें ये मूड स्विंग्स सप्ताह या साल में दो से चार बार से लेकर कई बार तक हो सकता है।
बायपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) की वजह से रिश्तों में खटास, नौकरी या स्कूल में खराब प्रदर्शन और यहां तक कि आत्महत्या की स्थिति भी आ सकती है। मूड स्विंग्स को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर से परामर्श की जरूरत पड़ सकती है।
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बायपोलर डिसऑर्डर अक्सर किशोर या वयस्क लोगों में देखा जाता है, लेकिन बच्चों को भी बायपोलर डिसऑर्डर हो सकता है। सभी मामलों में से कम से कम आधे मामलों में यह देखा गया है कि यह डिसऑर्डर 25 साल की उम्र से पहले शुरू हो जाता हैं और पूरे जीवन भर चलता हैं। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श लें।
जब किसी को बायपोलर डिसऑर्डर होता है, तो वह असामान्य रूप से तीव्र भावनात्मक अनुभव करता हैं, जिसे “मूड एपिसोड” भी कहते हैं। हर एपिसोड की अवधि अलग होती हैं। प्रत्येक मूड एपिसोड में मरीज सामान्य मूड और व्यवहार की तुलना में एक अलग व्यवहार करता है।
अत्यधिक प्रसन्न अवस्था को एक ‘मैनिक एपिसोड’ कहा जाता है और एक अत्यंत दुखद या निराशाजनक स्थिति को ‘डेप्रेसिव एपिसोड’ कहा जाता है। कभी-कभी, एक मूड एपिसोड में खुशी और डिप्रेशन दोनों के लक्षण शामिल हो सकते हैं या देखे जा सकते हैं। इसे मिक्स स्टेट कहा जाता है। मूड एपिसोड के दौरान मरीज एग्रेसिव और चिड़चिड़े भी हो सकते हैं।
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इन लक्षणों के अलावा अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं।
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ये मूड एपिसोड साल या हर हफ्ते में कई बार हो सकता हैं। यदि आप या आपके प्रियजन ऊपर बताए गए किसी भी लक्षण से पीड़ित हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से संपर्क करें। खुद से इलाज करने में वक्त बर्बाद न करें, क्योंकि किसी भी बीमारी का इलाज शुरुआती स्टेज में आसानी से किया जा सकता है। पेशेंट की स्थिति गंभीर होने पर इलाज में वक्त ज्यादा लग सकता है।
यदि ये लक्षण आपको ख़ुद में दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर से निम्नलिखित स्थिति में संपर्क करें। जैसे:
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बायपोलर डिसऑर्डर होने के कारणों का पूरी तरह से पता नहीं लग पाया है, लेकिन सामान्य तौर पर देखे गए कुछ कारण निम्नलिखित हैं:
हमारा दिमाग शारीरिक परिवर्तनों से गुजर सकता है, जो मस्तिष्क में रसायनों (न्यूरोट्रांसमीटर) के स्तर को प्रभावित करते हैं। ये न्यूरोट्रांसमीटर आपके मूड को प्रभावित करते हैं।
माता-पिता या परिवार में से किसी सदस्य को बायपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) हो, तो आप भी इसकी चपेट में आ सकते हैं।
शोध से हमें ये पता चला है कि ऐसे कई सामाजिक कारण हो सकते हैं, जिसकी वजह से बायपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) हो सकता हैं। इन कारणों में, बचपन में हुआ कोई बुरा हादसा, दर्दनाक घटना या अन्य अनुभव शामिल हो सकते हैं।
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बाइपोलर विकार का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन यह किसी भी कारण से हो सकता है जैसे: –
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यहां प्रदान की गई कोई भी जानकारी किसी भी प्रोफेशनल डॉक्टर की सलाह की जगह प्रयोग नहीं की जा सकती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
सही निदान के लिए आपका मनोचिकित्सक निम्नलिखित परीक्षण कर सकता है :
यह परीक्षण आपके लक्षणों के स्रोत को पता लगाने करने में मदद करता है।
डॉक्टर आपकी भावनाओं, मूड के एपिसोड और व्यवहार पैटर्न के बारे में कई सवाल पूछकर आपकी परेशानी का स्रोत जानने की कोशिश कर सकते हैं।
डॉक्टर नींद, मूड और व्यवहारों के पैटर्न के आधार पर इसका निदान कर सकते हैं।
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बायपोलर डिसऑर्डर का कोई उपचार मरीज सीधे तौर पर ठीक नहीं कर सकता, लेकिन यह मूड स्विंग को स्थिर कर सकता है। उपचार सिर्फ आपके मनोचिकित्सक द्वारा ही निर्धारित किया जा सकता है। स्थिति के आधार पर डॉक्टर कुछ उपचार बता सकते हैं :
ड्रग थेरेपी: डॉक्टर मूड को स्थिर करने के लिए दवा का उपयोग सकता है। यह लक्षणों को कम करने में मदद करेगा। किसी भी डिप्रेस या आत्मघाती एपिसोड को रोकने के लिए मरीज को निर्धारित दवा को लंबे समय तक खाने की आवश्यकता हो सकती है। इन दवाओं में एंटीडीप्रेसेंट, मूड स्टेबलाइजर्स, एंटीसाइकोटिक्स या एंटी-एंजाइयटी की दवाएं शामिल हो सकती हैं।
कंसल्टेशन: अपनी स्थिति के बारे में बात करने से मूड स्विंग्स को समझने में आसानी होगी। एक परामर्शदाता को दिखाने से हालात को बेहतर तरीके से समझने में आसानी होगी।
नशीले पदार्थों का सेवन कम करके : यदि मरीज मादक पदार्थों की लत से पीड़ित हैं, तो इसका इलाज करना बहुत महत्वपूर्ण है। मादक पदार्थ के सेवन की लत डिसऑर्डर को रोकने में बाधा बनती है।
अस्पताल में भर्ती होकर : कुछ गंभीर मामलों में मरीज को नियमित रूप से निगरानी की जरूरत होती है। इसलिए अस्पताल में रहने की आवश्यकता हो सकती है। यह तब आवश्यक है जब आपको मानसिक तौर पर आत्मघाती होने के संकेत मिलते हैं। इस स्तर पर,आप खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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बायपोलर डिसऑर्डर के घरेलू उपाय के साथ ही मेडिकल ट्रीटमेंट भी जरूरी है। इसमें दवा के साथ-साथ परामर्श भी शामिल हैं, जो मैनिक डिप्रेशन का इलाज करने में मदद कर सकता है। उपचार के दौरान दवाओं के साथ-साथ ये बायपोलर डिसऑर्डर के घरेलू उपाय ट्रीटमेंट में मददगार साबित हो सकते हैं।
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कैफीन, शराब, शक्कर, नमक और वसायुक्त आहार।
आयुर्वेद में बायपोलर डिसआर्डर का कोई विशेष उल्लेख नहीं किया गया है। चरक संहिता में उन्माद (mania) यानी पागलपन का वर्णन है, जो मन, बुद्धि, धारणा, ज्ञान, व्यवहार गतिविधियों को प्रभावित करता है। इसमें पांच प्रकार के उन्माद का वर्णन किया गया है। ये विकार लक्षणों और दोष की भागीदारी पर निर्भर करते हैं, जिसे बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) के साथ जोड़ा जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, वात बढ़ने के कारण अति रक्त दाव होता है और पित्त के कारण अवसाद होता है। वात असंतुलन बायपोलर विकार का मुख्य कारण है, क्योंकि अत्यधिक वात से भय, अलगाव, चिंता, घबराहट, तंत्रिका टूटने, मूड में बदलाव, अनिद्रा, कंपन और अस्थिरता की स्थिती पैदा होती है।
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आयुर्वेद के अनुसार, इस विकार में व्यक्ति वात असंतुलन और कम ओजस से ग्रस्त होता है। वात, मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को नियंत्रित करता है, दूसरी तरफ ओजस प्रतिरक्षा, शक्ति और क्षमता को दर्शाता है। यह बायपोलर डिसआर्डर तीन जैविक गुणों (वात, पित्त और कफ) के साथ-साथ चेतना (सत्व, रजस और तमस) के गुणों के असंतुलन के कारण पैदा होता है।
आशा है कि आपको हमारे इस लेख से बायपोलर डिसआर्डर को समझने में मदद मिलेगी। इस विकास से पीड़ित व्यक्ति को मेडिसिन के साथ बाइपोलर डिसऑर्डर के घरेलू उपाय को जारी रखना चाहिए। इससे बेहतर परिणाम की उम्मीद की जा सकती है। सप्लिमेंट या वैकल्पिक चिकित्सा का उपयोग करने से पहले उन्हें अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
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