बाइपोलर विकार के मुख्य कारण :
इस बीमारी का मुख्य कारण सही रूप से बता पाना कठिन है। वैज्ञानिक समझते हैं कि कई बार शारीरिक रोग भी मन में उदासी तथा मेनिया का कारण बन सकते हैं। कई बार अत्यधिक मानसिक तनाव इस बीमारी की शुरुआत कर सकता है।
बाइपोलर विकार के लक्षण
जैसा ऊपर बताया गया है इस बीमारी के दो रूप होते हैं
एक रूप उदासी (डिप्रेशन):- इसमें मरीज के मन में अत्यधिक उदासी, कार्य में अरुचि, चिड़चिड़ापन, घबराहट, आत्मग्लानि, भविष्य के बारे में निराशा, शरीर में ऊर्जा की कमी, अपने आप से नफरत, नींद की कमी, सेक्स इच्छा की कमी, मन में रोने की इच्छा, आत्मविश्वास की कमी लगातार बनी रहती है। मन में आत्महत्या के विचार आते रहते हैं। मरीज की कार्य करने की क्षमता अत्यधिक कम हो जाती है। कभी-कभी मरीज का बाहर निकलने का मन नहीं करता है। किसी से बातें करने का मन नहीं करता। इस प्रकार की उदासी जब दो हफ्तो से अधिक रहे तब इसे बीमारी समझकर परामर्श लेना चाहिए।
दूसरा रूप ‘मेनिया’ या मन में तेजी के लक्षण:- इस प्रकार के रूप में मरीज के लक्षण कई बार इतने अधिक बढ़ जाते हैं कि मरीज का वास्तविकता से संबंध टूट जाता है। मरीज को बिना किसी कारण कानों में आवाजें आने लगती है। मरीज अपने आपको बहुत बड़ा समझने लगता है। मरीज मन में अत्यधिक तेजी के कारण इधर उधर भागता रहता है, नींद तथा भूख कम हो जाती है।
दोनों रूप के बीच मरीज अक्सर उदासी (डिप्रेशन) के बाद सामान्य हो जाता है। इसी प्रकार तेजी (मेनिया) के बाद भी सामान्य हो जाता है। मरीज काफी समय तक, सालों तक सामान्य रह सकता है तथा अचानक उसे उदासी या तेजी की बीमारी आ सकती है।
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बाइपोलर विकार की जटिलताएं
बाइपोलर विकार को अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो इसके गंभीर स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं, जो शरीर के हर क्षेत्र को प्रभावित कर सकते हैं। इनमें निम्न शामिल हो सकते हैं –
- दवाओं और शराब आदि के सेवन से समस्या
- आत्महत्या करने का प्रयास या उसके बारे में सोचना,
- अलगाव और अकेलापन,
- स्कूल व अन्य कार्यों में खराब प्रदर्शन,
- ऑफिस या स्कूल से अक्सर अनुपस्थिति रहना।