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यात्रा से तनाव मुक्ति पाना ही है जीवन का उद्देश्य
विभिन्न सांस्कृतिक सेटिंग्स और सामाजिक आर्थिक बैकग्राउंड के लोगों से मिलने से बहुत से ऐसे लोगों का सामना करना पड़ सकता है, जिन्हें सहायता की जरूरत होती है। इससे आपके अंदर दया की भावना पैदा हो सकती है। तनाव मुक्ति के लिए यात्रा आपको ज्यादा मोटीवेटेड बनने में मदद कर सकता है। यह आपके दिमाग को आपकी तनावपूर्ण घटनाओं से भी निकाल कर स्ट्रेस फ्री करता है।

खुद के लिए समय मिलता है (Get time for yourself)
यदि आपको किताबें पढ़ने का शौक है, तो आप यह जरूर ही जानते होंगे कि दूसरों को समय देने के साथ-साथ स्वयं को भी समय देना कितना अधिक आवश्यक होता है। इसलिए किसी के साथ या अकेले ट्रैवल करना बेहद जरूरी होता है। क्योंकि ट्रैवल करने से आपको अपने लिए समय मिलता है। इससे आपको कई शारीरिक और मनोवैज्ञानिक लाभ होते हैं। इससे आप पॉजिटिव महसूस करते हैं। इसलिए, जब आप अपनी दिनचर्या में वापस आते हैं, तो आप तरोताजा और स्ट्रेस फ्री महसूस करते हैं।
सोच का दायरा बढ़ाएं
जब आप नई जगह पर जाते हैं, नए लोगों से मिलते हैं, तो आप काफी कुछ नया भी सीखते हैं। ऐसे में आपकी सोच का दायरा बढ़ता है और आप अपने विचारों को अच्छी तरह से व्यक्त करने में समर्थ होते हैं। क्योंकि सोचने के लिए हमारे मन का शांत होना बहुत जरूरी होता है। यदि किसी व्यक्ति के मन में किसी प्रकार की हलचल होती है, तो वह सही तरीके से सोच और समझ नहीं पाता है। ऐसे में यात्रा के दौरान हमें अपने लिए समय मिलता है, जिसमें हमारी सोच का दायरा बढ़ता है।
अच्छी यादें बनती हैं
वो कहते हैं न ‘यात्रा आपको यादों के अनमोल खजाने देती है।’ तो ये बात सच है, इन यादों को अपने अंदर बसाकर इन्हें किसी भी समय पर दोहराया जा सकता है। जब भी आप तनाव महसूस करें, तो आप उन पलों को फिर से याद कर मुस्कुरा सकते हैं और इस वजह से तनाव में भी आप स्ट्रेस फ्री फील करते हैं। यात्रा स्ट्रेस से छुटकारा दिलाने के साथ-साथ बहुत सी खूबसूरत यादें भी बनाता है।

यात्रा से कॉर्टिसोल (Cortisol) घटता है और आप स्ट्रेस फ्री (stress free) होते हैं
हां, इस बात की आपको शायद जानकारी न हो, लेकिन हम आपको बता दें कि रिलेक्स फील करने और स्ट्रेस फ्री होने पर कॉर्टिसोल का लेवल शरीर में कम होता है। अब आप सोच रहे होंगे कि कॉर्टिसोल क्या होता है? कॉर्टिसोल हार्मोन होता है जो सभी व्यक्तियों के लिए बहुत जरूरी होता है। कॉर्टिसोल को स्ट्रेस हार्मोन भी कहा जाता है। यानी अधिक चिंता के कारण स्ट्रेस हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है, वहीं जब इंसान रिलेक्स फील करता है और खुद को परेशानी से बाहर पाता है तो कॉर्टिसोल का लेवल भी ठीक हो जाता है।
काॅर्टिसोल के अधिक बने रहने पर कई तरह की समस्याएं जैसे कि हाई बीपी, हाई ब्लड शुगर, शरीर में ज्यादा फैट जमा होना और इंफेक्शन से लड़ने की कम क्षमता आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अब आप सोच सकते हैं कि किस तरह से ट्रेवलिंग आपको बहुत सी समस्याओं से बचाने का काम करती है।
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