एंग्जायटी के कारण (Causes of Anxiety)
नीचे दिए गए फैक्टर्स, इस बीमारी के कारण माने जाते हैं।
- अनुवांशिकता- चिंता जैसी बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती है। अक्सर देखा गया है कि अगर पेरेंट्स इस बीमारी से ग्रसित होते हैं, तो बच्चे भी इसकी चपेट में आ जाते हैं।
- हॉर्मोनल इम्बैलेंस- सेरोटॉनिन और डोपामाइन हॉर्मोन का असंतुलन चिंता का कारण बनता है।
- पर्सनैलिटी के प्रकार- कुछ निश्चित प्रकार की पर्सनैलिटीज में चिंता की अधिक संभावना रहती है। उदाहरण के लिए ऐसे लोग जिनकी सेल्फ इस्टीम लो होती है और परेशानियों के साथ समन्वय नहीं बिठा पाते।
- सोशल फैक्टर्स- जो लोग दुर्व्यवहार, हिंसा और गरीबी के संपर्क में होते हैं, वे इस प्रकार के विकारों से ग्रस्त रहते हैं।
- मेडिकल कंडीशन- कुछ मेडिकल कंडीशन भी इसके लिए जिम्मेदार होती हैं। जिसमें एंडोक्राइन और कार्डियो पल्मोनरी डिसऑर्डर शामिल हैं।
- कुछ लोग ड्रग्स और स्टेरॉइड का सेवन करते हैं, यह भी चिंता और तनाव होने का कारण बन सकता है। इनका सेवन बंद कर देने पर भी व्यक्ति चिंता और तनाव से ग्रसित हो सकता है। हालांकि चिंता का आयुर्वेदिक इलाज संभव है। जो बेहद आसान भी है।
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चिंता का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment of anxiety)
चिंता का आयुर्वेदिक इलाज संभव है। नीचे दी गईं प्रक्रियाओं को अपनाकर आप इस बीमारी से काफी हद तक निजात पा सकते हैं। चलिए जानते हैं इनके बारे में..
शिरोधारा
शिरोधारा शब्द संस्कृत से आया है। जिसमें ‘शिरो’ का मतलब है सिर और ‘धारा’ का मतलब है फ्लो। यह पारंपरिक आयुर्वेदिक बॉडी थेरेपी है। जिसमें गर्म तेल की एक स्थिर धारा को लगातार माथे पर डाला जाता है, ताकि तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) को शांत किया जा सके।
आयुर्वेदिक शिक्षण के अनुसार तेल का कोमल लेकिन निरंतर उपयोग मस्तिष्क और पिट्यूटरी ग्रंथि के हेल्दी ब्लड सर्कुलेशन को स्टिमुलेट करता है। साथ ही इसमें उपयोग की गई कुछ निश्चित जड़ी-बूटियां चिंता के लक्षण, माइग्रेन, इंसोम्निया और दूसरे नर्वस सिस्टम के रोगों से राहत प्रदान करती हैं।
शिरोधारा मुख्य रूप से मनोमय कोश पर असर करता है। (हमारा शरीर पांच कोशों में विभाजित है)। यह सिर से पैर तक दिमाग और बॉडी को आराम देने के लिए डिजाइन किया गया है। साथ ही इससे हमारे नर्वस सिस्टम को खुद से रिपेयर होने का मौका मिलता है। अध्ययनों से पता चलता है कि शिरोधारा से शांति, सुकून और आराम प्राप्त होता है, जैसे कि मेडिटेशन से होता है। चिंता का आयुर्वेदिक इलाज करवाना चाहते हैं, तो इस उपाय को अपना सकते हैं। यह चिंता को दूर करने का एक प्रभावी और आसान उपाय है।
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साम वृती प्राणायाम
साम वृती बिगनर्स के लिए अच्छी ब्रीदिंग टेक्नीक है, जिसे आप कभी भी कर सकते हैं। इसको करने से हमारा शरीर और माइंड दोनों एक लय में आते हैं, जिसकी वजह से तनाव और अवसाद में कमी आती है। स्टडीज के अनुसार सांस से संबंधित योगा प्रैक्टिस काफी हद तक ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम को शांत करने में कारगर है। इनसे स्ट्रेस हॉर्मोन के स्तर में कमी आती है। जिससे शांति का एहसास होता है।
इसको करने के लिए क्रॉस लेग पुजिशन में बैठें, अपनी कमर सीधी रखें। अपनी आंखों को बंद करें और अपनी नैचुरल श्वसन प्रक्रिया पर ध्यान केन्द्रित करें। अब चार तक गिनते हुए सांस को अंदर लें और चार तक गिनते हुए ही सांस को छोड़ें। सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को मैच करें। आप प्रैक्टिस के साथ काउंट को बढ़ा सकते हैं। लेकिन सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को मैच करें। ऐसा करने से आपका बॉडी और माइंड रिलैक्स होगा और तनाव और चिंता कम होगी। यह भी चिंता का आयुर्वेदिक इलाज है।
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ईटिंग शेड्यूल को व्यवस्थित करें
ऐसा कहा जाता है कि ‘ब्रेकफास्ट इज द स्प्रिचुअल मील, लंच इज द जॉयफुल मील, डिनर इज द जेंटल मील’,
कल्पना करें कि आपका डायजेस्टिव सिस्टम एक बर्निंग स्टोव की तरह है और उसको जलने और ढंग से काम करने के लिए ही हीट चाहिए, जो कि उसे सिर्फ हेल्दी फूड से नहीं ब्लकि टाइम पर खाने से मिलती है। हम सभी जानते हैं कि हमारा ब्रेन और गट साइकोलॉजिकली कनेक्टेड है। इसलिए एक निश्चित अंतराल के बाद खाना खाना चिंता को मैनेज करने का आसान तरीका है। साथ ही हेल्दी खाना मूड को भी अच्छा रखता है और चिंता का एहसास कम करता है। इसलिए दिनभर के खाने का समय फिक्स कर लें।
- ब्रेकफास्ट करने का टाइम 7-9 के बीच सेट करें। इस टाइम पर कुछ गर्मागर्म, कम मसाले वाला और आसानी से पचने वाले आहार का सेवन करें।
- दिन का सबसे बड़ा मील यानी लंच दिन में 11-1 बजे के बीच करें। इस समय डायजेस्टिव फायर (जठराग्नि) सबसे ज्यादा और तेज होती है।
- डिनर के लिए हल्का, कम मात्रा में खाना खाएं। इसका टाइम 6-8 के बीच रखें ताकि मेटाबॉलिक फंक्शन अच्छी तरह काम कर सके।
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योगासन
चिंता को कम करने के लिए आप शशांकासन, ताड़ासन, मत्सयासन, भुजंगासन और शवासन का अभ्यास कर सकते हैं। चिंता का आयुर्वेदिक इलाज इन योगासनों की मदद से किया जा सकता है। इस टेक्नीक को नीचे दिए गए क्रम में करना चाहिए।