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चिंता का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? चिंता होने पर क्या करें, क्या न करें?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 16/03/2021

चिंता का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? चिंता होने पर क्या करें, क्या न करें?

परिचय

चिंता (Anxiety) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें इंसान को डर, परेशानी और असहजता का एहसास होता है। जिसकी वजह से वह व्यक्ति पसीना आना, बेचैनी और तेज हृदय गति का अनुभव कर सकता है। ये शारीरिक लक्षण चिंता या तनाव की सामान्य प्रतिक्रिया होती है। आप कुछ परिस्थितयों में चिंता का अनुभव करते हैं जैसे कि ऑफिस के किसी काम को करने में कठिनाई, किसी परीक्षा के पहले या कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले। चिंता कई बार आपके लिए मददगार भी साबित हो सकती है।

चिंता ऊर्जा को बढ़ावा दे सकती या आपको ध्यान केन्द्रित करने में मदद भी कर सकती है। लेकिन कुछ लोग एंग्जायटी डिसऑर्डर से पीड़ित होते हैं, उनके लिए चिंता और डर अस्थायी नहीं होता और यह लंबे समय तक चल सकता है। एंग्जायटी डिसऑर्डर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें चिंता दूर नहीं होती, बल्कि बढ़ती जाती है। यह स्थिति आपकी जॉब परफॉर्मेंस, स्कूलवर्क और रिलेशनशिप को भी खराब कर सकती है।

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आयुर्वेद के अनुसार चिंता क्या है? (What is Anxiety according to Ayurveda?)

आयुर्वेद में इसे चित्तोद्वेग कहा जाता है। आयुर्वेद के दृष्टिकोण से चिंता एक दोष असंतुलन है। जिसमें तंत्रिका तंत्र में अतिरिक्त वात जमा हो जाता है। आयुर्वेद में वात एक गतिशील तत्व माना गया है। चित्तोद्वेग एक मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्थिति है।

आयुर्वेद के अनुसार वृद्धावस्था और चिंता का कोई विशेष संबंध नहीं है। यह युवाओं में भी उतनी ही सामान्य है। हालांकि जेनरेलाइज्ड एंग्जायटी डिसऑर्डर वृद्ध व्यक्तियों में होने वाला प्रचलित डिसऑर्डर है। उम्र के साथ कुछ विशेष स्वास्थ्य स्थितियां उत्पन्न होती हैं। जिनमें डिप्रेशन, डिमेंशिया और डर भी शामिल है। चिंता का आयुर्वेदिक इलाज जानने के लिए आगे पढ़ें।

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लक्षण

आयुर्वेद के अनुसार चिंता के लक्षण क्या हैं? (symptoms of Anxiety)

भविष्य के अज्ञात परिणामों के लिए बहुत अधिक मानसिक ऊर्जा खर्च करना चिंता कहलाती है। जब चिंता आपके जीवन पर भारी पड़ने लगे, तो यह सामान्य नहीं रह जाती। अगर आपके कार्य और भावनाएं पीड़ा और कष्ट पैदा कर रही हैं, तो यह बिलकुल सामान्य नहीं है।

तनाव अगर किसी व्यक्ति को होता है, तो वह उसे शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से प्रभावित करता है। जैसे कि भावनात्मक रूप से व सोचने की क्षमता और शारीरिक स्वास्थ्य पर इसका सीधा असर पड़ता है, जिससे आपका रिश्ता भी प्रभावित हो सकता है। सबका व्यवहार और सोचने की क्षमता अलग-अलग होती है। इसलिए यह सभी को अलग तरीके से प्रभावित करता है।

इसके लक्षण भी विभिन्न होते हैं। इसलिए अपने चिकित्सक से इस पर चर्चा करना अनिवार्य होता है, क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण विषय है। तनाव आपके जीवन के स्वरूप को बदल कर रख सकता है।

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आयुर्वेद के अनुसार चिंता के लक्षण निम्न हैं –

  • जी मिचलाना
  • सीने में दर्द
  • सांस लेने में तकलीफ
  • डायरिया
  • कंपकंपी होना
  • मुंह का सूखना
  • एब्डोमिनल पेन
  • सिरदर्द
  • त्वचा का पीला पड़ना
  • सिरहन
  • पुतली के आकार में परिवर्तन ( पुतली का लंबा होना)

तनाव के भावनात्मक लक्षण (Emotional symptoms of stress): यदि आप तनाव मे हैं तो ऐसे में किसी भी चीज को लेकर आसानी से आपा खो देना, निराश होना, जल्दी किसी बात पर रोना, गुस्सा आने जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। खुद को आप ऐसे माहौल में ढालने लगेंगे, जहां आपको अकेलापन महसूस होगा। किसी से बात करने में भी आपको हिचकिचाहट होगी और दूसरों से बचना चाहेंगे।

तनाव के शारीरिक लक्षण (Physical symptoms of stress): तनाव का सीधा असर हमारे शरीर पर पड़ता है। कई ऐसे लक्षण हैं जो तनाव की वजह से शरीर में बीमारियां पैदा करते हैं जैसे सिरदर्द, कमर दर्द, दस्त, कब्ज, सीने में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, दिल की धड़कन तेज होना, कमजोर इम्यूनिटी, नींद की कमी, बार-बार सर्दी जुखाम होना, शारीरिक सबंध बनाने में रुचि न होना या क्षमता कम हो जाना ,घबराहट और कंपकंपी, दात पीसना शामिल हैं। ऐसे में तनाव से ग्रस्त व्यक्ति किसी कार्य को सक्षम तरीके से नहीं कर पाता और निराशा उसको घेरने लगती हैं।

भूख का कम या ज्यादा होना: जब आप तनाव से ग्रसित होते हैं, तो या तो आप ज्यादा खाने लगते हैं या कम, तनाव के कारण ज्यादा खाने पर भी भूख शांत नही होती या इसके विपरीत बहुत से लोगों को खाने की इच्छा ही नहीं रहती है।

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कारण

चिंता का आयुर्वेदिक इलाज जानने से पहले समझ लीजिए इसके कारण क्या हैं-

एंग्जायटी के कारण (Causes of Anxiety)

नीचे दिए गए फैक्टर्स, इस बीमारी के कारण माने जाते हैं।

  • अनुवांशिकता- चिंता जैसी बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती है। अक्सर देखा गया है कि अगर पेरेंट्स इस बीमारी से ग्रसित होते हैं, तो बच्चे भी इसकी चपेट में आ जाते हैं।
  • हॉर्मोनल इम्बैलेंस- सेरोटॉनिन और डोपामाइन हॉर्मोन का असंतुलन चिंता का कारण बनता है।
  • पर्सनैलिटी के प्रकार- कुछ निश्चित प्रकार की पर्सनैलिटीज में चिंता की अधिक संभावना रहती है। उदाहरण के लिए ऐसे लोग जिनकी सेल्फ इस्टीम लो होती है और परेशानियों के साथ समन्वय नहीं बिठा पाते।
  • सोशल फैक्टर्स- जो लोग दुर्व्यवहार, हिंसा और गरीबी के संपर्क में होते हैं, वे इस प्रकार के विकारों से ग्रस्त रहते हैं।
  • मेडिकल कंडीशन- कुछ मेडिकल कंडीशन भी इसके लिए जिम्मेदार होती हैं। जिसमें एंडोक्राइन और कार्डियो पल्मोनरी डिसऑर्डर शामिल हैं।
  • कुछ लोग ड्रग्स और स्टेरॉइड का सेवन करते हैं, यह भी चिंता और तनाव होने का कारण बन सकता है। इनका सेवन बंद कर देने पर भी व्यक्ति चिंता और तनाव से ग्रसित हो सकता है। हालांकि चिंता का आयुर्वेदिक इलाज संभव है। जो बेहद आसान भी है।

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चिंता का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment of anxiety)

चिंता का आयुर्वेदिक इलाज संभव है। नीचे दी गईं प्रक्रियाओं को अपनाकर आप इस बीमारी से काफी हद तक निजात पा सकते हैं। चलिए जानते हैं इनके बारे में..

शिरोधारा

शिरोधारा शब्द संस्कृत से आया है। जिसमें ‘शिरो’ का मतलब है सिर और ‘धारा’ का मतलब है फ्लो। यह पारंपरिक आयुर्वेदिक बॉडी थेरेपी है। जिसमें गर्म तेल की एक स्थिर धारा को लगातार माथे पर डाला जाता है, ताकि तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) को शांत किया जा सके।

आयुर्वेदिक शिक्षण के अनुसार तेल का कोमल लेकिन निरंतर उपयोग मस्तिष्क और पिट्यूटरी ग्रंथि के हेल्दी ब्लड सर्कुलेशन को स्टिमुलेट करता है। साथ ही इसमें उपयोग की गई कुछ निश्चित जड़ी-बूटियां चिंता के लक्षण, माइग्रेन, इंसोम्निया और दूसरे नर्वस सिस्टम के रोगों से राहत प्रदान करती हैं।

शिरोधारा मुख्य रूप से मनोमय कोश पर असर करता है। (हमारा शरीर पांच कोशों में विभाजित है)। यह सिर से पैर तक दिमाग और बॉडी को आराम देने के लिए डिजाइन किया गया है। साथ ही इससे हमारे नर्वस सिस्टम को खुद से रिपेयर होने का मौका मिलता है। अध्ययनों से पता चलता है कि शिरोधारा से शांति, सुकून और आराम प्राप्त होता है, जैसे कि मेडिटेशन से होता है। चिंता का आयुर्वेदिक इलाज करवाना चाहते हैं, तो इस उपाय को अपना सकते हैं। यह चिंता को दूर करने का एक प्रभावी और आसान उपाय है।

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साम वृती प्राणायाम 

साम वृती बिगनर्स के लिए अच्छी ब्रीदिंग टेक्नीक है, जिसे आप कभी भी कर सकते हैं। इसको करने से हमारा शरीर और माइंड दोनों एक लय में आते हैं, जिसकी वजह से तनाव और अवसाद में कमी आती है। स्टडीज के अनुसार सांस से संबंधित योगा प्रैक्टिस काफी हद तक ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम को शांत करने में कारगर है। इनसे स्ट्रेस हॉर्मोन के स्तर में कमी आती है। जिससे शांति का एहसास होता है।

इसको करने के लिए क्रॉस लेग पुजिशन में बैठें, अपनी कमर सीधी रखें। अपनी आंखों को बंद करें और अपनी नैचुरल श्वसन प्रक्रिया पर ध्यान केन्द्रित करें। अब चार तक गिनते हुए सांस को अंदर लें और चार तक गिनते हुए ही सांस को छोड़ें। सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को मैच करें। आप प्रैक्टिस के साथ काउंट को बढ़ा सकते हैं। लेकिन सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को मैच करें। ऐसा करने से आपका बॉडी और माइंड रिलैक्स होगा और तनाव और चिंता कम होगी। यह भी चिंता का आयुर्वेदिक इलाज है।

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ईटिंग शेड्यूल को व्यवस्थित करें

ऐसा कहा जाता है कि ‘ब्रेकफास्ट इज द स्प्रिचुअल मील, लंच इज द जॉयफुल मील, डिनर इज द जेंटल मील’,

कल्पना करें कि आपका डायजेस्टिव सिस्टम एक बर्निंग स्टोव की तरह है और उसको जलने और ढंग से काम करने के लिए ही हीट चाहिए, जो कि उसे सिर्फ हेल्दी फूड से नहीं ब्लकि टाइम पर खाने से मिलती है। हम सभी जानते हैं कि हमारा ब्रेन और गट साइकोलॉजिकली कनेक्टेड है। इसलिए एक निश्चित अंतराल के बाद खाना खाना चिंता को मैनेज करने का आसान तरीका है। साथ ही हेल्दी खाना मूड को भी अच्छा रखता है और चिंता का एहसास कम करता है। इसलिए दिनभर के खाने का समय फिक्स कर लें।

  • ब्रेकफास्ट करने का टाइम 7-9 के बीच सेट करें। इस टाइम पर कुछ गर्मागर्म, कम मसाले वाला और आसानी से पचने वाले आहार का सेवन करें।
  • दिन का सबसे बड़ा मील यानी लंच दिन में 11-1 बजे के बीच करें। इस समय डायजेस्टिव फायर (जठराग्नि) सबसे ज्यादा और तेज होती है।
  • डिनर के लिए हल्का, कम मात्रा में खाना खाएं। इसका टाइम 6-8 के बीच रखें ताकि मेटाबॉलिक फंक्शन अच्छी तरह काम कर सके।

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योगासन

चिंता को कम करने के लिए आप शशांकासन, ताड़ासन, मत्सयासन, भुजंगासन और शवासन का अभ्यास कर सकते हैं। चिंता का आयुर्वेदिक इलाज इन योगासनों की मदद से किया जा सकता है। इस टेक्नीक को नीचे दिए गए क्रम में करना चाहिए।

  • सबसे पहले शवासन
  • इसके बाद डीप रिलैक्सेशन तकनीक
  • फिर मेडिटेशन
  • इसके बाद प्राणायाम
  • अंत में आसन

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चिंता का आयुर्वेदिक इलाज और जड़ी-बूटी (Ayurvedic treatment of anxiety From herbs)

चिंता का आयुर्वेदिक इलाज

सेंटेला एशियाटिका (गोटू कोला)

यह हर्ब कई प्रकार के न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर में उपयोग की जाती है। इसे आयुर्वेद में वर्षों से डिप्रेशन और एंग्जायटी के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। कई अध्ययनों में इसे चिंता को कम करने में प्रभावी बताया गया है।

ब्राह्मी

भारत में पारंपरिक मेडिसिन के रूप में कई जड़ी-बूटियों का उपयोग नर्व टॉनिक के रूप में किया जाता है। इन जड़ी-बूटियों में ब्राह्मी काफी प्रचलित है। इसे मेमोरी बूस्टर के रूप में जाना जाता है। इस हर्ब का उपयोग आयुर्वेदिक प्रोफेशनल्स के द्वारा 3000 सालों से किया जा रहा है। ब्राह्मी का पारंपरिक उपयोग यह है कि यह एक एंटी एंग्जायटी रेमेडी है। इसका उपयोग कई प्रकार के ब्रेन डिसऑर्डर में किया जाता है।

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अश्वगंधा

इसे भी 3000 से अधिक वर्षों से आयुर्वेदिक और स्वदेशी चिकित्सा प्रणालियों के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण जड़ी बूटी माना जाता है। प्रीक्लिनिकल और क्लिनिकल अध्ययन दोनों ही चिंता, सूजन, पार्किंसंस रोग, संज्ञानात्मक और तंत्रिका संबंधी विकारों के लिए अश्वगंधा के उपयोग को बताते हैं। यह तनाव के कारण तंत्रिका थकावट, अनिद्रा, चिंता, तनाव आदि में चिकित्सीय रूप से भी उपयोग की जाती है।

जटामांसी

यह ब्रेन टॉनिक की तरह काम करती है। यह मेमोरी और ब्रेन फंक्शन को इम्प्रूव करती है। साथ ही एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज के चलते यह सेल डैमेज को रोकती है। ऐसा दावा किया जाता है कि यह दिमाग को शांत कर एंग्जायटी और इंसोम्निया का इलाज करती है। यह हर्ब हिमालय पर पाई जाती है।

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एंग्जायटी के उपचार में आयुर्वेदिक दवा का उपयोग कितना प्रभावी है?

कई क्लीनिकल स्टडीज में पाया गया है कि चिंता, तनाव और डिप्रेशन में आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग प्रभावी है। लेकिन किसी भी दवा का उपयोग बिना आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के न करें।

चिंता का आयुर्वेदिक इलाज और इसके साइड इफेक्ट्स

चिंता का आयुर्वेदिक इलाज करने के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली हर्ब्स और दवाओं का कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकता है। प्रत्येक हर्ब सुरक्षित नहीं होती, इसलिए किसी भी स्वास्थ्य स्थिति के लिए आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी बहुत जरूरी है। खासकर गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को इसके इस्तेमाल में बहुत सतर्कता रखने की आवश्यकता है।

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चिंता का आयुर्वेदिक इलाज (ayurvedic treatment for anxiety) करते वक्त जीवनशैली में क्या बदलाव करने चाहिए?

कोई भी दवा या प्रक्रिया तभी पूरी तरह असरकारक होती है। जब आप उसके साथ जीवनशैली में कुछ जरूरी बदलाव करते हैं। चिंता का आयुर्वेदिक इलाज करते वक्त आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए, जो निम्नलिखित हैं।

चिंता का आयुर्वेदिक इलाज: क्या करें?

  • फूड का विशेष ध्यान रखें। डायट में एवोकैडो, साल्मन, ऑलिव ऑयल, कॉकोनट और दूध को शामिल करें। इसके साथ ही जुकुनी, चावल, रेड ग्रेप्स, वॉटरमेलन, मस्कमेलन और प्लम्ज खाएं।
  • फिजिकल एक्टिविटीज और वॉक करें।
  • अच्छी किताबें पढ़ें और पसंदीदा म्यूजिक सुनें। कई शोधों में ऐसा दावा किया गया है कि म्यूजिक चिंता और तनाव को कम करने में मदद करता है।
  • मंदिर, मस्जिद जैसे धार्मिक स्थलों पर जाएं। यहां जाने से मन को शांति मिलती है और चिंता में कमी आती है।
  • अपने करीबी या दोस्ताें से बात करें और उन्हें अपने मन की बात बताएं। दोस्त स्ट्रेस कम करने में मदद कर सकते हैं।

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एंग्जायटी में क्या न करें?

  • कॉफी, चाय, कोल्ड ड्रिंक्स, एल्कोहॉल से दूरी बना लें। अगर ऐसा नहीं कर पा रहे हैं, तो बहुत कम मात्रा में इनका सेवन करें।
  • रात को सोते वक्त हेवी फूड न खाएं।
  • तनाव भरी स्थितियों में न पड़ें।
  • नकारात्मक विचार रखने वाले लोगों के संपर्क में न रहें।
  • किसी भी बात पर ओवरथिंकिंग करने से बचें।
  •  भविष्य या ऐसी चीजों की चिंता न करें, जिन पर आपका कंट्रोल नहीं है।
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    चिंता को दूर करने के घरेलू उपाय (Home remedies to remove anxiety)

    चिंता को दूर करने के लिए आप नीचे दिए गए कुछ घरेलू उपायों को अपना सकते हैं।

    • रूम में एक सुंदर प्लांट या प्राकृतिक सौन्दर्य को दर्शाता चित्र आपकी चिंता और तनाव को कम कर सकता है। यह मूड को ठीक करने के साथ ही ब्लड प्रेशर को लो, हार्ट रेट को कम करने के साथ ही स्ट्रेस हॉर्मोन को कम कर सकता है।
    • गार्डनिंग से भी तनाव और चिंता कम होती है। इसके साथ इसमें थोड़ी एक्सरसाइज भी हो जाती है। अगर आप घर गार्डनिंग नहीं कर सकते, तो गार्डन में जाकर थोड़ी देर समय बिताएं। इससे भी आपकी चिंता दूर होगी।
    • ऑयल मसाज तनाव और चिंता को कम करने का कारगर उपाय है। थेरेपिस्ट आपके मसल्स और सॉफ्ट टिशूज पर प्रेशर डालता है, उन्हें रब करता है। जिससे बॉडी और दिमाग को आराम मिलता है।

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    • सेक्स भी एंग्जायटी और स्ट्रेस से राहत दिलाने का कार्य करता है। एक हेल्दी सेक्स लाइफ, वो भी एक वफादार पार्टनर के साथ आपके तनाव को कम करने में मदद कर सकती है।
    • अरोमाथेरेपी- लैवेंडर, रोजवॉटर और चमेली की खुशबू आपको शांत करने में मदद कर सकती है। जब कभी बहुत तनाव या चिंता होने का एहसास हो, तो आप इनके तेल से सिर पर मसाज कर सकते हैं। इसके साथ ही इनकी खुशबू को सूंघने से भी चिंता और तनाव दूर होता है।
    • एक चीज चिंता को दूर कर सकती है और वो है नींद। हर दिन 7-8 घंटे की नींद जरूर लें। सोने और जागने का समय निश्चित कर लें। अच्छी नींद के लिए बेडशीट साफ रखें और कमरे में अंधेरा रखें।
    • अपने लिए रोज एक प्लान बनाएं, जिसमें अपनी प्राथमिकताओं को लिख लें। उसके हिसाब से दिनभर के कामों को निपटाते जाएं। इससे आपको किसी काम की चिंता नहीं सताएगी।
    • उस कारण, समय, व्यक्ति, स्थिति के बारे में नोट बनाएं, जिसकी वजह से आप चिंताग्रस्त हो जाते हैं। जब आपको अपनी चिंता का कारण पता होगा, तो आप इससे आसानी से मैनेज कर सकेंगे।

    उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और चिंता के आयुर्वेदिक इलाज से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं, तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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    Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 16/03/2021

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