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पीडोफीलिक सेक्सुअल ओरिएंटेशन वाले व्यक्ति को अपनी भावनाओं को कैसे कंट्रोल करना चाहिए?
जो व्यक्ति पीडोफीलिक डिसऑर्डर से ग्रसित नहीं होता है, इसके बावजूद भी अगर उसे बच्चों के प्रति यौन आकर्षण है तो इसका मतलब ये है कि वह पीडोफीलिक सेक्सुअल ओरिएंटेशन वाला व्यक्ति है। अक्सर देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति अक्सर अपनी सेक्सुअल ओरिएंटेशन को लेकर अपराधबोध महसूस करते हैं। जिससे वे खुद को एकांत में रखते हैं, अकेले रहते हैं, डिप्रेशन में रहते हैं और चिंतित रहते हैं। ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को किसी के सहारे की जरूरत होती है, जो उसे समझ सके। इस स्थिति में पीडोफीलिक सेक्सुअल ओरिएंटेशन वाले व्यक्ति को अपना दिमाग किसी अन्य क्रिएटिव काम में लगाना चाहिए और साइकोलॉजिकल काउंसिलिंग कराती रहनी चाहिए।
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इस तरह से आप अगर पीडोफीलिक डिसऑर्डर के लक्षणों को महसूस करते हैं तो अभी साइकोलॉजिस्ट से मिलें। क्योंकि ये आपको एक अपराध की दुनिया में ले के जा सकता है। जिसके लिए भारत के संविधान में कड़े कानून बने हैं। पॉक्सो एक्ट (नाबालिक के साथ दुष्कर्म करने की धारा के तहत सजा होना) जैसी गंभीर धारा के तहत पीडोफिलिया से ग्रसित व्यक्ति को सजा हो सकती है। क्योंकि हमेशा याद रखिए कि पीडोफिलिया का पता लगाना मुश्किल है कि कौन पीडोफीलिक व्यक्ति है और कौन नहीं। इसलिए खुद से ही खुद को परखें और जरूरत होने पर अपने किसी करीबी से अपनी भावनाओं को साझा करें। इस विषय में अधिक जानकारी के लिए अपने मनोचिकित्सक से भी मिल सकते हैं।