किसी भी समाज में खुश होकर रहने के लिए बातचीत के मूलभूत नियमों का पता होना बहुत ही जरूरी होता है। जो कि संयुक्त परिवार से संबंध रखने वाले व्यक्ति को बचपन से ही इन चीजों के बारे में सिखाया जाता है। अलग-अलग लोगों के बीच बड़ा होने के कुछ फायदे भी हैं। यदि आप एक एकल परिवार में रह रहे हैं तो ऐसे लोगों के लिए कई लोगों के बीच अपने आपको घुल मिलाना थोड़ा कठिन कार्य होता है। हालांकि आज की इस आधुनिक दुनिया में जहां पर परिवार सिर्फ 4 सदस्यों तक सीमित रह गया है, वहां पर एक संयुक्त परिवार में रहना कई चुनौतियां भी लेकर आता है।
यदि आप वास्तव में जिंदगी को खुशनुमा और एक साथ जीना चाहते हैं तो आपको संयुक्त परिवार के ऊपर विचार करना चाहिए। संयुक्त परिवार में आपको अपनी कुछ आदतों और जरूरतों से समझौता भी करना पड़ सकता है, लेकिन अंत इसका मजा ही अलग होगा। हालांकि, बच्चों के लिए संयुक्त परिवार हमेशा से ही एक बेहतर विकल्प रहा है।
सामाजिक सुरक्षा
संयुक्त परिवार में कमजोर, बुजुर्ग, बीमार, नवजात, दिव्यांग और जरूरतमंद सदस्यों को सामाजिक सुरक्षा मिलती है। कई बार दुर्घटना और आपदा जैसी समस्याओं में एकल परिवार के लोगों को भी संयुक्त परिवार की आवश्यकता होती है। ठीक इसी तरह अनाथ, विधवा, तलाकशुदा, अलग रहने वाले लोग संयुक्त परिवार की महत्ता को नकार नहीं सकते।
मूलभूत सुविधाओं में रहता है संतोष
संयुक्त परिवार में रहने से एक व्यक्ति की मूलभूत सुविधाएं पूरी की जाती हैं। यह जरूरतें भोजन, रहने को छत और कपड़े होते हैं। भले ही वह पैसा कमा रहा है या नहीं। संयुक्त परिवार में हमेशा देखा जाता है कि परिवार का कोई भी सदस्य बिना भोजन और छत के न रह जाए। संयुक्त परिवार में रह रहे लोगों के बीच यह भावना बचपन से ही विकसित हो जाती है। संयुक्त परिवार में रहने वाले लोगों के ऊपर बुजुर्गों का नियंत्रण होता है, जो सामाजिक जीवन में उनके व्यवहार को नियंत्रित करता है। संयुक्त परिवार में रहने वाले लोगों को व्यक्तिगत जरूरतों के इतर समूह के हितों की रक्षा करना सिखाया जाता है। संयुक्त परिवार में मुखिया की भूमिका निभा रहे बुजुर्ग प्रत्येक सदस्य के ऊपर निगरानी रखते हैं। इसी के चलते ज्यादातर संयुक्त परिवार से संबंध रखने वाले लोगों के मानसिक और शारीरिक व्यवहार में विकृति नहीं पाई जाती है।
हर दिन है त्योहार
आपने एक लाइन तो काफी सुनी होगी कि ‘असली मजा तो सबके साथ आता है’। जी हां, अगर आप अपनी पूरी फैमिली के साथ होते हैं, तो हर दिन त्योहार-सा लगता है। वरना न्यूक्लियर फैमिली (एकल परिवार) में यह आनंद सिर्फ त्योहारों, समारोह या छुट्टियों में ही आता है। लेकिन, जब आप पूरी जॉइंट फैमिली के साथ रहते हैं, तो आपका हर दिन त्योहार जैसा होता है। वही रौनक, वही शोरगुल, वही गर्मजोशी और प्यार। चाचा-चाची, दादा-दादी, ताऊ-ताई ये ऐसे रिश्ते हैं, जो जॉइंट फैमिली वाले लोगों में प्यार और अपनेपन के पर्यायवाची होते हैं। आपको ऐसे उदाहरण ढूंढने में ज्यादा मुश्किलें नहीं होंगी। जहां बच्चे अपने माता-पिता के साथ ही अपने चाचा-चाची या ताऊ-ताई से भी भावनात्मक रूप से काफी जुड़े होते हैं। लेकिन न्यूक्लियर फैमिली के कॉन्सेप्ट ने हमसे यह अनुभव छीन लिया है।
मुश्किल समय में नहीं ढूंढनी पड़ती सहायता
मुश्किल समय बताकर नहीं आता और इस दौरान सिर्फ अपने ही काम आते हैं। लेकिन, अगर अपने आप से दूर हों, तो फिर आपको और परेशानी हो सकती है। उदाहरण के लिए अगर आपके छोटे बच्चे हैं और आपको कहीं अकेले जाना पड़ता है, तो ऐसे में आपको अपने बच्चों को किसी अपने के पास छोड़ने की जरूरत होती है। लेकिन अगर अपने दूर हैं, तो फिर आपकी चिंता दोगुनी हो सकती है। लेकिन जॉइंट फैमिली में यह चिंता नहीं होती। आपको पता होता है कि आपके घर में कुछ लोग आपके पीछे बच्चों की देखभाल करने के लिए उपलब्ध हैं। इसके अलावा, अगर आपका पार्टनर बीमार होता है, तो आपको अपने ऑफिस की छुट्टी लेने की अनिवार्यता नहीं होती। घर में और भी लोग उनकी देखभाल कर सकते हैं। मगर न्यूक्लियर फैमिली में ऐसा कुछ नहीं होता, पूरी जिम्मेदारी आपकी ही होती है।