3. गलती दूसरे पर थोपना
सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर (Self obsessed disorder) के रोगी किसी भी रिश्ते में हावी होना चाहते हैं और ऐसा करने की चाह में वो अपनी की हुई गलतियां दूसरों पर थोपते हैं।
4. इन्सिक्योर महसूस करना
सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर (self obsessed disorder) के रोगी कभी भी अपने आप को कम्पलीट नहीं महसूस कर पाते। उन्हें हमेशा अधूरा और इन्सिक्योर महसूस होता है। इस वजह से वो हमेशा दुखी और बेचैन रहते हैं।
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5. दूसरों से बेहतर होने की सोच रखना
वे अपनी दुनिया और स्वयं की छवि में इतने रम जाते हैं कि अन्य लोग उनके लिए कोई मतलब नहीं रखते। वे अपने दिमाग में खुद को सबसे ऊंचा समझने लगते हैं।
6. दोस्ती को सिर्फ एक साधन समझना
सेल्फ ऑब्सेस्ड लोगों (self obsessed disorder) के लिए मित्रता सिर्फ अपना काम निकालने का एक साधन है। अलग-अलग काम के लिए उनके अलग- अलग दोस्त होते हैं। अपना काम निकलते ही वे दोस्त को भूल जाने में माहिर होते हैं।
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7. सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर: बेहद मतलबी होना
क्या घर क्या फ्रेंड सर्किल हर जगह ऐसे व्यक्ति चाहते हैं कि बस उनकी सलाह को ही आगे रखा जाए। हर कोई उनकी सलाह ही मानें। हर फैसला सिर्फ उनकी राय के हिसाब से होता है। वे दूसरों की राय पर विचार नहीं करना चाहते। अपने सेल्फ ऑब्सेस्ड स्वभाव (Self obsessed disorder) के कारण वे अपनी ही प्राथमिकताओं की वजह से बर्बाद होते हैं।
8. रिश्तों को लंबे समय तक न चला पाना
रिश्ते उनके लिए मात्र एक जरिया होते हैं अपना काम निकालने का। किसी भी रिश्ते में वो अपना समय इनवेस्ट नहीं करते जिस वजह से उनके रिश्ते लंबे समय तक नहीं चल पाते।
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9. सहानुभूति का कोई वास्तविक भाव न होना:
सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर (self obsessed disorder) लोगों द्वारा सहानुभूति या करुणा का प्रदर्शन सिर्फ एक दिखावा होता है। इसलिए उनके लिए सच्ची सहानुभूति की गहराई को समझना मुश्किल है।
10. अपनी सफलता के पीछे अपनी कमियों की छिपाना:
सेल्फ ऑब्सेस्ड डिसऑर्डर की असल सच्चाई यह है कि चाहे किसी भी तरह की सफलता हो, वे हमेशा अंदर ही अंदर अपर्याप्त महसूस करेंगे। यद्यपि वे दिखावे और बाहरी उपलब्धियों के आधार पर सफल दिखाई देते हैं, पर अंदर से वे आत्म-सम्मान से संबंधित भय रखते हैं।