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पर्सनालिटी संबंधी विकार या अवोईडैंट पर्सनालिटी डिसऑर्डर (Avoidant Personality Disorder) होने का क्या कारण हैं?
अवोईडैंट पर्सनालिटी डिसऑर्डर होने के पीछे के मुख्य कारण अभी तक शोधकर्ताओं को पूरी तरह से ज्ञात नहीं है। हालांकि, कई विशेषज्ञ यह मानते हैं कि बच्चों की परवरिश, घर का वातावरण और आनुवांशिकता काफी हद तक इस समस्या का कारण हो सकती है। कुछ फैक्ट्स यह कहते है कि अवोईडैंट पर्सनालिटी डिसऑर्डर एक ही परिवार की एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में फैलता है जिससे यह समझ आता है कि यह समस्या जीन्स से भी आगे बढ़ सकती है। कभी-कभी पेरेंट्स या दोस्तों से मिले रिजेक्शन के प्रभाव से भी ये समस्या होने की संभावना होती है। आप अधिक जानकारी के लिए इस बारे में मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से भी जानकारी ले सकते हैं।
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पर्सनालिटी संबंधी विकार या अवोईडैंट पर्सनालिटी डिसऑर्डर (Avoidant Personality Disorder) का ट्रीटमेंट
अन्य पर्सनालिटी डिसऑर्डर की तरह इस समस्या का भी समाधान एक प्रोफेशनल मनोवैज्ञानिक के हाथ में है। युं तो अवोईडैंट पर्सनालिटी डिसऑर्डर के कई उपचार हो सकते हैं लेकिन जो सबसे असरदार तरीका माना गया है वो टॉक थेरेपी ही है। अगर रोगी की मानसिक स्थिति में तनाव के लक्षण, चिंता और डिप्रेशन की बीमारी के लक्षण मिलते हैं तो उचित दवाओं का उपयोग भी किया जा सकता है।
अवोईडैंट पर्सनालिटी डिसऑर्डर महिला, पुरुष और बच्चे किसी को भी हो सकता है। 18 साल से कम उम्र के लोगों में इस मानसिक विकार का डायग्नोस करना थोड़ा मुश्किल होता है। इस डिसऑर्डर से ग्रस्त लोग सेंसिटिव होते हैं, इसलिए ट्रीटमेंट के समय इस बाद का ध्यान रखा जाता है कि कहीं उन्हें कोई बात बुरी न लग जाए।
अगर आपके घर में ऐसा व्यक्ति हो तो?
- आपको ऐसे व्यक्ति के साथ सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिए।
- अगर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को किसी भी काम में समस्या आ रही हो या फिर वो डिसीजन न कर पा रहा हो तो उसकी मदद करनी चाहिए।
- उसे इस बात का एहसास न दिलाएं कि वो कुछ भी नहीं कर सकता है बल्कि उसे अन्य कामों के लिए प्रेरित करें।
- अगर आपका बच्चा आपसे कुछ शेयर नहीं करता है और चुपचाप रहना पसंद करता है तो उसकी कमी निकालने के बजाय उसकी भावनाओं को समझें।
- अगर मनोचिकित्सक ट्रीटमेंट कर रहा है तो वो पीड़ित व्यक्ति को ड्रिप्रेशन से संबंधित दवाएं भी दे सकता है। ऐसे में दवा का सेवन और सकारात्मक वातावरण ही अवोईडैंट पर्सनालिटी डिसऑर्डर की समस्या से निजात पाने का तरीका है।
ट्रीटमेंट के दौरान विशेष प्रकार की थेरिपी दी जाती है, जिसमे डॉक्टर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति से बात करते हैं और उसकी सोच या थिकिंक पैर्टन को बदलने की कोशिश करते हैं। ऐसा करने से व्यक्ति को भी एहसास होता कि डरना किसी भी समस्या का हल नहीं है। ट्रीटमेंट के दौरान परिवार के सदस्यों की भी अहम भूमिका होती है।