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सोशल मीडिया और टीनएजर्स का उससे अधिक जुड़ाव मेंटल हेल्थ के लिए खतरनाक

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/12/2021

    सोशल मीडिया और टीनएजर्स का उससे अधिक जुड़ाव मेंटल हेल्थ के लिए खतरनाक

    सोशल मीडिया और टीनएज (Social media and teenage) का उसके प्रति अत्यधिक लगाव एक समस्या बनता जा रहा है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसाइटी ने इस बारे में जानकारी दी है। जी हां ! ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसाइटी (British Psychological Society) के अनुसार करीब 90 प्रतिशत टीनएज इस वक्त सोशल मीडिया (सोशल मीडिया और टीनएज) से जुड़े हुए हैं। इसका मतलब साफ है कि बड़ी संख्या में टीनएज अपना अधिकांश वक्त गैजेट्स और ऑनलाइन रहने में गुजार रहे हैं। कहीं दूर जाने या फिर बहुत कुछ सोचने की जरूरत नहीं है। अगर आप किशोरावस्था से गुजर रहे हैं और इस खबर को पढ़ रहे हैं तो सोचिए जरा, आपका दिनभर और आधी रात तक का समय कहां जाता है? आपको जवाब मिल जाएगा। क्योंकि ज्यादातर टीनएजर्स अपने दिन का ज्यादातर वक्त व्हाट्सएप स्टेटस अपडेट करने में, फेसबुक में फ्रेंड्स की एक्टिविटी चेक करने में, टि्वटर में रोजाना नया कुछ अपडेट लेने के लिए या फिर इंस्टाग्राम चेक करने में गुजार देते हैं।

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    सोशल मीडिया और टीनएज, इसे ऐसे समझें

    आप ऐसे अकेले नहीं हैं, क्योंकि ज्यादातर टीनएजर्स का समय इन सब एक्टिविटी में ही गुजरता है। लेकिन क्या आपको पता है कि सोशल मीडिया और टीनएज (Social media and teenage) में इसका अत्यधिक उपयोग मेंटल हेल्थ पर बुरा प्रभाव डाल रहा है? अगर आपको ये बात सच नहीं लग रही है तो अब आपको सतर्क हो जाना चाहिए। टीनएज में सोशल मीडिया का अधिक उपयोग मानिसक स्वास्थ्य को डैमेज करने का काम कर रहा है। वर्ल्ड टीन मेंटल इलनेस डे (World Teen Mental Illness Day) के मौके पर जानिए कि आखिर सोशल मीडिया का टीनएर्जस पर क्या बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसके साथ ही आर्टिकल में जानिए सोशल मीडिया और टीनएज (Social media and teenage), दोनों में क्यों बैलेंस बनाना जरूरी है।

    इस आर्टिकल में यह भी समझेंगे कि सोशल मीडिया और टीनएज में इसकी लत क्यों है बुरी। हालांकि ऐसा नहीं है कि इस लत को दूर नहीं किया जा सकता। इसके लिए आपको कुछ बातों को समझना आवश्यक होता है।

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    सोशल मीडिया और टीनएज : समय के साथ बढ़ जाता है रिस्क

    सोशल मीडिया और टीनएज : खूबसूरत दिखने का मेंटल प्रेशर

    सोशल मीडिया और टीनएज (Social media and teenage)

    डिप्रेसिव फीलिंग (Depressive feeling) अक्सर तब आती है, जब हम औरों से अच्छा नहीं कर पाते हैं। सोशल मीडिया में यहीं होता है। ऐसा अक्सर लड़कियों के साथ होता है, ये कहना गलत होगा। सोशल मीडिया में हर कोई सुंदर फोटो अपलोड करता है। ऐसे में जिन लोगों को ये एहसास हो जाता है कि उनका लुक अच्छा नहीं है, वो दूसरों से जेलस फील करने लगते हैं। कुछ समय बाद यहीं सब कारण टीनएजर्स को मानसिक रूप से परेशान कर सकते हैं। कई बार दोस्तों की अच्छी ड्रेस, फॉरेन ट्रिप या फिर लग्जीरियस गाड़ी देखकर भी बेड फीलिंग आ जाती है। मैं सुंदर क्यों नहीं हूं, मेरे पास मंहगी गाड़ी क्यों नहीं है, मेरे पास अच्छे कपड़े क्यों नहीं है… ये सब वो बातें हैं जो अक्सर टीनएज में परेशान कर सकती हैं।

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    सोशल मीडिया और टीनएज : सोशल मीडिया से शॉपिंग

    ऐसा नहीं है कि टीएजर्स सोशल मीडिया में सिर्फ तस्वीरे और अपडेट्स देखने में ही समय बिताते हो। न्यू प्रोडक्ट की जानकारी, फिर ऑनलाइन शॉपिंग (Online shopping) की लत भी उन्हें आसानी से लग जाती है। ऑनलाइन शॉपिंग (Online shopping) की लत से न केवल पैसों की बर्बादी होती है, बल्कि फैमिली इश्यू (Family issue) होने के भी चांसेज रहते हैं। फैमिली में अक्सर ऑनलाइन शॉपिंग की लत के शिकार व्यक्तियों को पैसे की बर्बादी को लेकर ताने दिए जाते हैं। भले ही इंसान को खरीददारी करके खुशी मिलती है, लेकिन फैमिली मैटर के कारण वो परेशान हो सकता है। रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जिन लोगों को ऑनलाइन शॉपिंग की लत रहती है वो जल्द ही डिप्रेशन (Depression) में आ जाते हैं।

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    सोशल मीडिया और टीनएज (Social media and teenage): इंसान पर करें भरोसा, पिक्चर में नहीं

    सोशल मीडिया और टीनएज (Social media and teenage) का गहरा संबंध भले ही जल्द न छूटे, लेकिन कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए तो टीनएजर्स को सोशल मीडिया (Social media) की वजह से होने वाले मेंटल प्रेशर से बचाया जा सकता है। पेरेंट्स को अपने बच्चों से समय-समय पर बातचीत करनी चाहिए। जरूरत पड़ने पर उन्हें ये भी समझाना चाहिए कि इंसानों पर भरोसा करना, पिक्चर पर भरोसा करने से बेहतर है। बेहतर रहेगा कि अपने बच्चों के साथ हॉलीडे (Holiday) पर जाएं और उन्हें मोबाइल में समय गुजारने की आदत से बाहर निकाले। अगर आपके बच्चे को मोबाइल एडिक्शन (Mobile addiction) है तो बेहतर होगा कि एक बार डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चों के साथ किसी भी समस्या पर समय-समय पर कम्युनिकेशन (Communication) करना बेहतर रहेगा। उन्हें किसी भी प्रकार की आवश्यकता पड़ने पर आप सही मार्गदर्शित करें। ऐसा करने पर उनकी गलत लोगों से डिपेंडेंसी कम हो जाएगी।

    अगर आपको भी सोशल मीडिया की लत है तो इस बारे में डॉक्टर से संपर्क करें। अधिक समय तक सोशल मीडिया से जुड़े रहने से मेंटल हेल्थ (Mental health) खराब हो सकती है। बेहतर होगा कि इस बारे में फैमिली के साथ ही डॉक्टर से परामर्श करें। खुद का मन सही काम में लगाकर भी इस लत से बचा जा सकता है। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

    कहते हैं हेल्दी रहने के लिए हेल्दी डायट (Healthy diet) और योग (Yoga) दोनों जरूरी है। वहीं अगर मन से खुश रहना चाहते हैं, तो ऐसे में भी आपको योग का दामन थामना चाहिए। इसलिए नीचे दिए वीडियो लिंक पर क्लिक करें और योग से जुड़े लाभकारी बातों को समझें।

    डिस्क्लेमर

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