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भारत में एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) के चिंताजनक आंकड़े
2020 के लिए आपने अपने बच्चों के संबंध में एडीएचडी क्या होता है और इसके लक्षण क्या हैं? इन दोनों ही सवालों के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्रित कर ली होगी। अब इसका उपचार या इलाज कैसे किया जाए? आपके लिए यह जानना बेहद ही जरूरी है। यदि आपको इन तीनों ही सवालों के संबंध में विस्तृत जानकारी मिल जाती है तो 2020 में एडीएचडी की समस्या नजर आने पर इलाज करने में ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
इंडियन जर्नल ऑफ साइकेट्री में 16 मई 2019 को एक अध्ययन प्रकाशित किया गया। यह अध्ययन देश के चुनिंदा स्कूलों में बच्चों में एडीएचडी का पता लगाने के लिए किया गया। इस अध्ययन के नतीजे चौंकाने वाले थे। अध्ययन के मुताबिक, कुल मिलाकर 8.8% तक एडीएचडी का प्रसार या फैलाव है। एडीएचडी के उपप्रकार में लापरवाही (Inattentive) के लक्षण 43.3 % बच्चों में पाए गए। अति सक्रियता या हाइपरएक्टिविटी 43.3% बच्चों में पाई गई और कंबान्ड टाइप एडीएचडी 13.2 % मामलों में पाई गई।
विश्व में एडीएचडी बीमारी के आंकड़े
नवंबर 2018 में जर्नल नेचर जेनेटिक्स (Journal Nature Genetics) में एक शोध प्रकाशित किया गया। शोध में कहा गया कि बचपन में एडीएचडी के लक्षण नजर आना शुरू होते हैं, लेकिन यह बीमारी किशोरावस्था और वयस्कता तक जारी रहती है। शोध के मुताबिक, दुनियाभर में तकरीबन 2.5% व्यस्क और करीब 5% बच्चे अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) से पीड़ित हैं।
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एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) का इलाज कैसे करें?
मेडिकेशन: कई लोगों में एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) या एडीएचडी इलनेस की दवाइयों का इस्तेमाल करने पर यह उनकी बॉडी में अति सक्रियता और आवेगशीलता को कम कर देती हैं। इससे ध्यान लगाने, कार्य करने या याद करने या रखने की क्षमता में सुधार होता है। कई बार डॉक्टरों को एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) से पीढ़ित किसी व्यक्ति के लिए उचित इलाज ढूंढने में भी समय लग जाता है। चूंकि एडीएचडी बीमारी में हर व्यक्ति की मनोस्थिति या दिमागी हालत भिन्न होती है।
साइक्लॉजिकल ट्रीटमेंट (मनोवैज्ञानिक चिकित्सा): एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) के इलाज में कई लोगों या बच्चों को मनोचिकित्सक की जरूरत होती है। एडीएचडी बीमारी से पीढ़ित लोगों में मनोचिकित्सक दिमाग को मजबूत बनाने में मदद करता है। यदि उस व्यक्ति में कोई साइकोलॉजिकल फेक्टर पाया जाता है तो वह उसका इलाज करता है।
स्टीमुलेंट्स: स्टीमुलेंट्स की सहायता से भी एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) की समस्या का उपचार किया जाता है। इनके द्वारा दिमाग में डोपामाइन और नोरएपिनेफ्रीन कैमिकल को बढ़ाया जाता है, जो कि सोचने और ध्यान लगाने की क्षमता के लिए बहुत जरूरी हैं। इससे एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।
अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर बच्चे के सामान्य व्यक्तित्व विकास को बहुत प्रभावित करता है। इसके कई लक्षणों को दवा और थेरेपी के द्वारा काफी हद तक सुधारा जा सकता है। उपचार के रूप में आमतौर पर डॉक्टर बीमारी से पीड़ित बच्चे को सबसे पहले दवाएं देते हैं। इसके बाद व्यवहार को ठीक करने का इलाज किया जाता है।
2020 में यदि आपको लगता है कि आपका बच्चा हाइपरएक्टिव है या उसमें एडीएचडी बीमारी (ADHD illness) के लक्षण नजर आते हैं तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए। जिस तरह से हमारी दिनचर्या व्यस्त होती जा रही है, उसे देखते हुए 2020 में यह समस्या ज्यादातर माता पिता के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। बेहतर होगा कि आप नए वर्ष की शुरुआत में एडीएचडी को चिन्हित करें और इसका उचित इलाज भी करें।
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