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मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया के हो सकते हैं नकारात्मक प्रभाव, जानें इनसे कैसे बचें

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/08/2020

    मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया के हो सकते हैं नकारात्मक प्रभाव, जानें इनसे कैसे बचें

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को एक ट्वीट किया और उसके बाद मानों पूरे देश में हलचल मच गई। मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा कि ‘ इस रविवार फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर सोशल मीडिया अकाउंट्स को छोड़ने का विचार कर रहा हूं’। साथ ही उन्होंने ये भी लिखा कि आप सभी को पोस्ट करता रहूंगा। इस बात से कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रधानमंत्री सोशल मीडिया को बाय-बाय बोलने जा रहे हैं। इसका कारण क्या है, इस बात की जानकारी अभी तक किसी को भी नहीं लग पाई है। यकीनन इस बात की जानकारी तो मोदी ही दे सकते हैं। प्रधानमंत्री ने जिस भी वजह से सोशल मीडिया अकाउंट्स बंद करने की बात कही हो पर इसने सोशल मीडिया विषय पर डिबेट भी छेड़ दी है। आज इसी कड़ी में हम जानेंगे कि कैसे सोशल मीडिया लोगों के जीवन पर कैसे नकारात्मक प्रभाव डालता है।

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    सोशल मीडिया का असर कैसे होता है?

    आम जीवन में भी लोग अचानक लोगों से दूरी बनाने के लिए इस तरह का कदम उठाते हैं। सोशल मीडिया छोड़ने का फैसला लेना वाकई किसी के लिए भी कठिन हो सकता है, क्योंकि हम ऐसे समाज में रह रहे हैं जहां लोगों से फेस-टू-फेस मिलने से कहीं ज्यादा सोशल मीडिया में हाय-हैलो बोलने का चलन है। ऐसे में सोशल मीडिया को बाय-बाय बोलना यानी अपने आपको एक आभासी दुनिया से अलग कर लेना है।

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    सोशल मीडिया हमारे मेंटल हेल्थ को बहुत हद तक प्रभावित करता है। आज जिसे देखो वो फेस टू फेस से ज्यादा अपने करीबियों से सोशल मीडिया पर कनेक्टेड है। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहकर लोग स्ट्रेस, एंग्जायटी, डिप्रेशन, अकेलेपन से राहत पा सकते हैं। लेकिन दूसरी तरफ सोशल मीडिया का अधिक इस्तेमाल हमारी मेंटल हेल्थ पर भी बुरा असर डालता है। अगर आप भी उन लोगों में शामिल हैं जो खूब सोशल मीडिया का यूज करते हैं तो एक बार इसके नुकसान के बारे में भी जान लीजिए।

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    सोशल मीडिया का असर : अपनों से कर सकता है दूर

    सोशल मीडिया का असर

    हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, इसी तरह हर चीज की अच्छा और बुरा होता है। ये हम पर निर्भर करता है कि हम लोग क्या स्वीकार करना चाहते हैं। सोशल मीडिया का असर सकारात्मक भी होता है और नकारात्मक भी। अपने देश या अपनी फैमिली से दूर रह रहे लोगों को सोशल मीडिया अपनेपन का एहसास कराता है, वहीं फैमिली के साथ रहने वाले लोगों को परिवार से दूर भी कर सकता है। आपने एक ही घर में रहने वाले पांच लोगों को एक ही जगह में अपने मोबाइल से चिपके हुए देखा होगा। भले ही हम टेक्नोलॉजी के युग में जी रहे हो, लेकिन किसी भी चीज की अति बुरी ही होती है। सोशल मीडिया के साथ भी ठीक ऐसा ही। कई बार सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल व्यक्ति के अकेलापन का कारण बन सकता है। ऐसे व्यक्ति समाज से दूर होने लगते हैं।

    एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस तकनीक को लोगों को साथ लाने के लिए डिजाइन किया गया है। लेकिन इस पर अधिक समय बिताने से वास्तव में लोग अकेलापन महसूस कर रहे हैं और और चिंता और अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के शिकार हो रहे हैं।

    पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में पाया गया कि फेसबुक, स्नैपचैट और इंस्टाग्राम का ज्यादा यूज करने से अकेलेपन की भावना बढ़ जाती है। स्टडी में ये बात भी सामने आई है कि जो लोग सोशल मीडिया का यूज कम कर देते हैं, उन लोगों के बिहेवियर में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है।

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    सोशल मीडिया का असर : लाइमलाइट में रहने का प्रेशर

    सोशल मीडिया में रोजाना कई नई अपडेट्स आते हैं जिसमें सक्सेस, न्यू जॉब, पार्टी, ट्रैवलिंग या फिर रिलेशनशिप से जुड़ी स्टोरीज नजर आती है। ऐसे में जिस भी व्यक्ति के पास सेलिब्रेशन के लिए कोई मौका नहीं होता है, उसे मेंटल प्रेशर फील होने लगता है। व्यक्ति कुछ नया अचीव करने के लिए प्रेशर में भी आसानी से आ सकता है। कई बार तो लड़कियों को अच्छे लुक के लिए ढेरों उपाय करने पड़ते हैं। महंगी ड्रेस, मेकअप से लेकर और बहुत कुछ, जो उन्हें सोशल मीडिया में अच्छा दिखा सके। यानी वर्चुअल लाइफ में कुछ अचीव करने के लिए बहुत से जतन करने पड़ते हैं जो मेंटल हेल्थ पर बुरा असर डालता है।

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    सोशल मीडिया का असर : बढ़ जाती है दूसरों पर डिपेंडेंसी

    सोशल मीडिया का असर

    अगर हम परेशान होते हैं तो अक्सर अपने किसी करीबी से उस बारे में बात करते हैं। यानी मूड अच्छा है तो अपनों से शेयर करेंगे। मूड खराब भी हुआ तो, माता-पिता या भाई-बहन से बात कर मामला सुलझा लेंगे। लेकिन सोशल मीडिया में अपने सुख- दुख शेयर करने से अंजान व्यक्ति पर डिपेंडेंसी बढ़ सकती है। ऐसे में अगर अंजान व्यक्ति सही नहीं है तो धोखा खाने की वजह से भी मेंटल हेल्थ बुरी तरह से प्रभावित होती है। ऐसे लोग समाज से भी दूरी बनाने लगते हैं और उनका किसी भी काम में मन नहीं लगता है। यानी सोशल मीडिया से अधिक लगाव आपको बहुत अकेला कर सकती है। बेहतर होगा कि सोशल मीडिया का अधिक उपयोग न किया जाए।

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    सोशल मीडिया का असर : डिप्रेशन और चिंता का कारण

    शोधकर्ताओं की मानें तो सोशल मीडिया के कारण आ लोगों के बीच फेस टू फेस इंटरेक्शन कम हो गया है। यह लोगों को व्यवहारिक रप से तो प्रभावित कर ही रहा है साथ ही मानसिक रूप से बीमार भी कर रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि, डिप्रेशन और कई शारीरिक परेशानियां होने का कारण सोशल मीडिया का अधिक इस्तेमाल है।

    मानसिक रूप से हेल्दी रहने के लिए अपनों की जरूरत पड़ती है। यानी किसी भी प्रकार का तनाव होने पर अगर घरवालों के साथ आमने-सामने बैठ कर बात की जाए तो समस्या का समाधान किया जा सकता है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं और किसी भी बात की टेंशन को घरवालों से शेयर न करके सोशल मीडिया में शेयर करते हैं तो ये डिप्रेशन का कारण भी बन सकता है। इस तरह से आपको मूड डिसऑर्डर का सामना भी करना पड़ सकता है। बेहतर होगा कि किसी भी प्रकार की समस्या होने पर पहले घर में ही डिस्कस करें। सोशल मीडिया में निजी जीवन की बातों को शेयर करने से पूरी तरह से बचें। सोशल मीडिया का असर नकारात्मक अधिक होता है क्योंकि लोग अपना ज्यादातर समय इन्हीं में गुजारना चाहते हैं।

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    सोशल मीडिया के उपयोग के प्रबंधन के लिए सुझाव

    सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना अच्छा है, लेकिन इसका अधिक इस्तेमाल न करें। ये टिप्स आपके सोशल मीडिया के इस्तेमाल को कम करने में मदद करेंगी:

    • रात को एक समय निर्धारित कर लें, जिसके बाद आप अपने फोन को टच भी नहीं करेंगे। कोशिश करें आप फोन को दूसरे कमरे में चार्ज पर लगाकर सोएं।
    • हर दिन कुछ घंटों के लिए फोन के नॉटिफिकेशन ऑफ कर दें।
    • फोन पर अलार्म सेट करने की जगह घड़ी में अलार्म लगाएं।
    • हफ्ते में एक दिन ऐसा निकालें जिस दिन आप सोशल मीडिया से ध्यान हटाकर किसी दूसरे काम में ध्यान लगाएंगे।

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    अगर आपको भी सोशल मीडिया की लत है तो इस बारे में डॉक्टर से संपर्क करें। अधिक समय तक सोशल मीडिया से जुड़े रहने से मेंटल हेल्थ खराब हो सकती है। बेहतर होगा कि इस बारे में फैमिली के साथ ही डॉक्टर से परामर्श करें। खुद का मन सही काम में लगाकर भी इस लत से बचा जा सकता है। उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यदि इस लेख से जुड़ा आपका कोई प्रश्न है तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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