पोस्टपार्टम डिप्रेशन के कारण
पोस्टपार्टम डिप्रेशन यानी की डिलिवरी के बाद का डिप्रेशन। ज्यादातर महिलाएं डिलिवरी के बाद खुद को दुखी, एंग्री और चिड़चिड़ा महसूस करती हैं। कई बार महिलाएं बिना वजह रोने भी लगती हैं। इन लक्षणों को बेबी ब्लू के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन अधिक सीरियस या लॉन्ग लास्टिंग डिप्रेस्ड फीलिंग के कारण पोस्टपार्टम डिप्रेशन होने की समस्या रहती है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षणों में शामिल है,
पोस्टपार्टम डिप्रेशन सीरियस मेडिकल कंडीशन होती है, जिसे तुरंत इलाज की जरूरत होती है। ये 10 से 15 प्रतिशत महिलाओं में पाया जाता है। इसके साथ जुड़ा हुआ है,
- मेजर हार्मोनल फ्लक्चुएशन जिसके कारण मूड में बदलाव।
- न्यूबॉर्न की केयर के बारे में चिंता
- एंग्जाइटी डिसऑर्डर
- प्रेग्नेंसी एंड बर्थ कॉम्प्लीकेशन
- ब्रेस्टफीडिंग प्रॉब्लम
- इंफेंट कॉम्प्लीकेशन या स्पेशल नीड
- पूअर सोशल सपोर्ट
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मेनोपॉज (Menopause)
महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या मेनोपॉज के बाद अधिक बढ़ने की संभावना रहती है। इस स्थिति में पेरीमेनोपॉज कहते हैं। ऐसे में हार्मोन के लेवल में बदलाव आता है। अर्ली मेनोपॉज और आफ्टर मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में डिप्रेशन का खतरा अधिक रहता है। दोनों ही तरह की परिस्थितियों में एस्ट्रोजन लेवल कम हो जाता है। मेनोपॉज के पहले और बाद में कुछ रिस्क होते हैं जिनके कारण डिप्रेशन की समस्या हो सकती है।
जानिए क्या हैं रिस्क फैक्टर
- इंटरप्टेड या पुअर स्लीप की वजह से
- डिप्रेशन की हिस्ट्री के कारण
- स्ट्रेसफुल लाइफ इवेंट के कारण
- वेटगेन या हाई बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई)
- कम एज में मोनोपॉज की समस्या
- ओवरी के सर्जिकल रिमूवल के कारण मोनोपॉज
जीवन की परिस्थितियों के कारण महिलाओं में डिप्रेशन
महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या बायोलॉजिकल अलोन रहने के कारण भी होती है। लाइफ में कई कारणों की वजह से महिलाएं अधिक सोचती हैं और फिर लगातार चिंता की वजह से डिप्रेशन की समस्या जन्म ले लेती है। जानिए महिलाओं में डिप्रेशन जीवन की किन परिस्थितियों के कारण उत्पन्न होता है।
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असमानता का व्यवहार और स्टेटस के कारण
अगर गरीब महिलाओं की बात की जाए तो उनमें बच्चों को पालने से लेकर घर की छोटी-छोटी आवश्यकताओं को पूरा करने की जिम्मेदारी होती है। तमाम चिंताओं के कारण लाइफ को बैलेंस करना वाकई बड़ी समस्या खड़ी कर देता है। लो सेल्फ स्टीम और लाइफ के ऊपर कम नियंत्रण के कारण महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या बढ़ सकती है।
वर्क ओवरलोड के कारण
जब महिलाएं घर से बाहर रहकर काम करती हैं तो उनके पास बहुत सी जिम्मेदारी होती है। कई बार महिलाओं को सिंगल पेरेंट बनकर ही जिम्मेदारी संभालनी होती है। साथ ही अकेले ही कई जिम्मेदारियों को संभालना पड़ता है। ऐसा भी कई बार होता है कि महिलाओं को बीमार बच्चे की देखभाल के साथ ही घर के अन्य बीमार सदस्य की देखभाल भी करनी पड़ जाती है। ये सब बातें महिलाओं के मन में अधिक चिंता पैदा कर देती हैं जो कुछ समय बाद डिप्रेशन का कारण बन जाता है।
सेक्शुअल और फिजिकल एब्युज के कारण
जो महिलाएं बचपन में या फिर युवावस्था में इमोशनली, फिजिकली और सेक्शुअली एब्युज होती हैं, उन महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या की संभावना अधिक रहती हैं।
महिलाओं में डिप्रेशन के लिए अन्य कंडीशन
जिन महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या होती है, उन्हें अन्य मेंटल हेल्थ की समस्या भी हो सकती है। ऐसे में ट्रीटमेंट जरूरी हो जाता है।
चिंता होना
महिलाओं में चिंता के साथ ही डिप्रेशन की भी समस्या होती है।
ईटिंग डिसऑर्डर
महिलाओं में डिप्रेशन और ईटिंग डिसऑर्डर के बीच गहरा संबंध है। इसे एनोरेक्सिया और बुलिमिया (anorexia and bulimia) कहते हैं।
ड्रग और एल्कोहल मिसयूज
जिन महिलाओं को डिप्रेशन की समस्या होती है, उन्हें अनहेल्दी फूड खाने के साथ ही ड्रिंकिंग की भी लत लग जाती है। ऐसी परिस्थितियों में डिप्रेशन का इलाज अधिक कठिन हो जाता है।
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महिलाओं में डिप्रेशन का ट्रीटमेंट
- डिप्रेशन के कारण महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। डिप्रेशन की समस्या से निकलने के लिए ट्रीटमेंट बहुत जरूरी होता है। डिप्रेशन की समस्या अगर सही समय पर पता चल जाए तो इसे आसानी से ट्रीट किया जा सकता है।
- डिप्रेशन के लक्षणों का पता चलने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।
- काउंसलर या थेरेपिस्ट की हेल्प लेने के बाद आपको बहुत ही रिलेक्स फील होगा।
- अगर आपको किसी भी तरह की चिंता बहुत समय से सता रही है तो उसका पता लगाए और फिर उसके प्रति सकारात्मक रवैया अपनाने की कोशिश करें।
- डिप्रेशन की समस्या होने पर करीब 30 मिनट तक सूर्य की रोशनी (सुबह 10 बजे के पहले) लें। विटामिन डी की सही मात्रा न पहुंचने पर भी डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है।
- एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। आप मेडिटेशन के साथ ही योगा को भी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं।
- हेल्दी डायट लेने से भी डिप्रेशन की समस्या से निजात मिलता है।
- डिप्रेशन की समस्या से निजात पाने के लिए आसपास का वातावरण सकारात्मक वातावरण होना बहुत जरूरी होता है। आप चाहे तो इसमे परिवार के सदस्यों की मदद ले सकती हैं।
- अपने उन दोस्तों से जरूर बातें करें जो आपको सकारात्मक ऊर्जा से भर देते हो। अगर कोई व्यक्ति या दोस्त आपको पेरशान करने का काम या तनाव देने का काम कर रहा है तो उससे तुरंत दूरी बना लें।
- फैमिली और सोशल सपोर्ट की हेल्प से महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या को कम किया जा सकता है।
- डॉक्टर से लाइफस्टाइल चेंज के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें। कई बार केमिकल इम्बैलेंस के कारण भी डिप्रेशन हो जाता है।
- हो सकता है कि डॉक्टर आपको लक्षणों के आधार पक कुछ मेडिसिन सजेस्ट करें। लाइफस्टाइल में जरूरी चेंज करने के साथ ही डॉक्टर के सजेशन को फॉलो करें।
डिप्रेशन की समस्या होने पर बेहतर है कि एक बार डॉक्टर से संपर्क करें। डिप्रेशन की समस्या को छुपाने से कोई फायदा नहीं होगा। लक्षणों का पता चलते ही इलाज कराएं और डिप्रेशन की समस्या से बचें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।