जब बच्चे की ग्रोथ होती है तो उसमें मूड स्विंग्स होना आम बात है। इसका कोई इलाज नहीं है। आखिरकार वो बच्चे हैं। वह इमोश्नल भाषा को नहीं जानते हैं। उन्हें नहीं मालूम होता कि वे किन चीजों से गुजर रहे हैं और वे अपनी भावनाओं को कैसे वयक्त करें। आइए सबसे पहले जानते है बच्चे के मूड स्विंग को पहचानने के टिप्स…
ये हैं आसान तरीके :
सभी बच्चों में मूड स्विंग के दौरान अलग रिएक्शन होता है। कुछ बच्चे इसकी वजह से ज्यादा गुस्सा दिखाते हैं तो वहीं कुछ बच्चे पहले से ज्यादा चिड़चिड़े दिखते हैं। कई बच्चे खाना-पीना कम कर देते हैं, तो बहुत से बच्चे घंटों नहाने की आदत के शिकार हो जाते हैं। कई बच्चे लोगों से मिलना-जुलना छोड़ने लगते हैं। यह एक बहुत बड़े संकेत की ओर इशारा करता है कि बच्चों में मूड स्विंग ने जगह बनाना शुरू कर दिया है।
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बच्चों में मूड स्विंग: ऐसे करें सामना
- अपने बच्चे को समझें: जब बच्चे मूड स्विंग को लेकर परेशान हों तब आपको अपने बच्चों के शरीर में आ रहे बदलाव को समझने की कोशिश करना चाहिए। बच्चे के स्वभाव में आ रहे बदलाव के कारण को समझें। कभी भी उनके मूड स्विंग्स के कारण उन पर चिल्लाए नहीं। उन्हें स्पोर्ट करें। अपने बच्चे से बात करें कि वो किन चीजों से गुजर रहे हैं। हालांकि उन पर ज्यादा दबाव न बनाएं। यदि वो अपनी परेशानी साझा नहीं करना चाहते तो उन्हें बताएं कि आप उनके लिए हमेशा हैं। उन्हें समझाएं कि वे कभी भी अपनी परेशानी आपके साथ साझा कर सकते हैं।
- निराश न हों: बच्चे के मूड स्विंग और गुस्से को देखकर कई बार आप निराश हो सकते हैं। ऐसा होना लाजमी है। लेकिन आप अकेले ऐसे पेरेंट्स नहीं है जो इसका सामना कर रहे हैं। आप दूसरे पेरेंट्स से बात कर सकते हैं। उनके साथ अपने एक्सपीरिएंस शेयर कर सकते हैं। जब आप दूसरे पेरेंट्स के अनुभव जानंगें, तो इससे आप अच्छा महसूस करेंगे।
- बच्चों पर अपनी आकांक्षाओं का बोझ अभी से न डालें, बच्चे हर चीज में उतने होशियार नहीं होते, जितना कि बड़े चीजों को समझते हैं।
- बच्चों में हो रहे हार्मोनल चेंज पर पैनी नजर बनाए रखें और उनसे बहुत सॉफ्ट्ली पेश आएं। ऐसी स्थिति होने पर जितनी ज्यादा हो सके उनसे बात करनी चाहिए।
- कभी-कभी बच्चे आपसे बात नहीं करना चाहते तो उन्हें ज्यादा परेशान न करें। हर समय उन्हें कुछ सिखाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। जितना अधिक हो सके बच्चों से सहानभूति बनाए रखें, गुस्सा करने की जरूरत नहीं है। उन्हें डांटने की बजाए उनसे प्यार से ट्रीट करें।
- आपके सवाल का जवाब दें, तो उन्हें बीच में टोकें भी न करें। जब बच्चा जवाब दे रहा हो तो उनको ध्यान से सुनें।