प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज का कारण इंप्लांटेशन:
जब निषेचित अंडा महिला के गर्भाशय में अच्छे से प्रवेश कर जाता है तो इस दौरान गर्भाशय के ब्लड वेसल्स के टूटने पर वजायना से रक्तश्राव होने लगता है। जो कभी-कभी कुछ घंटों तक हो सकता है। कुछ परिस्थितियों में यह एक दो दिन तक रह सकता है फिर अपने आप ठीक हो जाता है। इस दौरान ब्राउन डिस्चार्ज हो सकता है।
मेंस्ट्रुअल साइकल के रेगुलर न होने से भी होता है प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज :
गर्भावस्था में हार्मोन महिलाओं के पीरियड्स चक्र को दबाने लगते हैं। जिस वजह से कई बार पीरियड्स आने में थोड़ा वक्त लगता है। इसलिए संभव है कि पीरियड की निश्चित तिथि को आप मासिक धर्म के दौरान होने वाली समस्याओं को महसूस करें। जैसे- ब्रेस्ट में खिंचाव, कमर दर्द, पेट दर्द। इसके साथ ही डिस्चार्ज भी हो सकता है। यह डिस्चार्ज या ब्लीडिंग बहुत कम मात्रा में होगी और खुद बंद हो जाएगी।
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वजायनल इंफेक्शन भी हो सकता है प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज की वजह:
शरीर का यह आंतरिक भाग बहुत सेंसिटिव होता है। जिनमें हल्का सा इंफेक्शन होने से ब्लीडिंग या ब्राउन डिस्चार्ज होने की संभावना बढ़ जाती है। कई बार वजायना अथवा ग्रीवा में बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण भी ऐसा होता है। इंफेक्शन के कारण वजायना में सूजन और उस एरिया का लाल होने की समस्या होने की स्थिति को बैक्टीरियल वजायनल इंफेक्शन कहते हैं।
प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज का कारण सेक्शुअल इंटरकोर्स:
सर्वाइकल पॉलिप्स की वजह से स्पॉटिंग होना आम बात है। सर्वाइकल पॉलिप्स की वजह से भी प्रेग्नेंसी में स्पॉटिंग की समस्या हो सकती है। सर्विक्स में जब ग्रोथ होती है तो ये ब्राउन डिस्चार्ज का कारण बन जाती है। ऐसा एस्ट्रोजन के हाई लेवल के कारण भी हो सकता है। जब प्रेग्नेंसी के दौरान सर्विक्स में ब्लड वैसल्स की संख्या बढ़ जाती है तो ब्राउन डिस्चार्ज या हल्की ब्लीडिंग का कारण बन सकती है। जब सेक्शुअल इंटरकोर्स होता है तो ब्लीडिंग हो जाती है। आप इस बारे में डॉक्टर से भी अधिक जानकारी ले सकते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स को सुरक्षित माना जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स करने से खतरा नहीं होता है। अगर महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह काम्प्लीकेशन नहीं है तो वो सेक्स कर सकती है। सेक्स के समय हल्की ब्लीडिंग खतरे का संकेत नहीं होती है। अगर आपको सेक्स के समय किसी तरह की परेशानी हो रही है तो बेहतर होगा कि आप अपनी डॉक्टर से इस बारे में जानकारी प्राप्त करें।
प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज से हो सकता है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का खतरा:
गर्भावस्था के दौरान की यह घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण मानी जाती है। जब अंडा गर्भाशय में अपने सही जगह ना पहुंच सके और यूट्रस को छोड़ कहीं और सेटल हो जाए तो उसे अस्थानिक गर्भधारण या एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहते हैं। इसमें अंडा गर्भाशय नाल में ही रुक जाता है, जिससे गर्भवती महिला को ब्लीडिंग और डिस्चार्ज के साथ पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द होता है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की जानकारी लक्षणों के आधार पर ही होती है। महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान दर्द की समस्या आमतौर पर नहीं होती है। अगर ऐसे में किसी महिला को पेट में तेज दर्द का एहसास और ब्लीडिंग हो तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
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प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज की वजह हो सकती है मोलार प्रेग्नेंसी:
मोलार प्रेग्नेंसी में निषेचित अंडे में किसी गुणसूत्रों की बहुलता के कारण गर्भाशय में भ्रूण का सही विकास नहीं हो पाता। यह असामान्यता का भी संकेत दे सकती है। इस परिस्थिति में भ्रूण का विकास हो पाना संभव नहीं होता। कई बार जब किसी महिला की मोलार प्रेग्नेंसी होती है तब भी लाइट पिंक या ब्राउन डिस्चार्ज होता है।
क्या प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों में भी हो सकता है ब्राउन डिस्चार्ज
जिन तरह से प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में ब्राउन डिस्चार्ज की समस्या हो सकती है, ठीक वैसे ही प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों में भी ये समस्या हो सकती है। गर्भावस्था के आखिरी दिनों में भूरे रंग के डिस्चार्ज का मतलब लेबर के करीब होने के संकेत के रूप में हो सकता है। म्यूकस प्लग के रप्चर होने पर हल्के भूरे रंग का डिस्चार्ज हो सकता है। इससे डरने की जरूरत नहीं है। अगर ऐसा हुआ है तो आपको डॉक्टर से इस बारे में परामर्श करना चाहिए और साथ ही आपको हॉस्पिटल जाने के लिए तैयार भी हो जाना चाहिए। ऐसे में लेबर पेन के कभी भी शुरू होने की संभावना रहती है। एक बात का ध्यान रखें कि ब्लीडिंग और भूरे रंग के डिस्चार्ज में अंतर होता है। अगर आपको प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों में ब्लीडिंग हो रही है तो ये ठीक नहीं है। आपको तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
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ब्राउन डिस्चार्ज आने पर टेस्ट की जरूरत
अगर आपको लग रहा है कि प्रेग्नेंसी में स्पॉटिंग का होना ज्यादातर मामलों में खतरनाक नहीं होता है तो फिर टेस्ट की क्या जरूरत है ? हम आपको बता दे कि प्रेग्नेंसी में स्पॉटिंग के साथ अगर ब्लीडिंग की समस्या भी हो रही है तो डॉक्टर आपको टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान सर्वाइकल टेस्ट और वजाइनल टेस्ट ऐसे में जरूरी हो जाता है। जांच के दौरान खून की जांच और अल्ट्रासाउंड अहम होता है। ऐसा करने से यूट्रस के शेप के साथ ही अन्य अहम बातों के बारे में भी जानकारी मिल जाती है। अगर आपको प्रेग्नेंसी स्पॉटिंग ज्यादा हो रही है तो डॉक्टर ऐसे में आपको कुछ मेडिसिन लेने के साथ ही आराम करने की सलाह भी दे सकता है। एक बात का ध्यान रखें वाइट डिस्चार्ज हो या फिर ब्राउन डिस्चार्द, अगर गर्भावस्था के दौरान ये अधिक मात्रा में आ रहा है और साथ ही डिस्चार्ज से बदबू भी आ रही है तो ये संक्रमण का संकेत भी हो सकता है। ऐसे में महिला को फीवर भी आ सकता है। ऐसी समस्या होने पर डॉक्टर से परिक्षण कराना बहुत जरूरी हो जाता है। अगर इंफेक्शन का सही समय पर इलाज नहीं कराया जाता है तो किडनी को भी खतरा पैदा हो सकता है। सावधानी ही किसी भी बीमारी को रोकने का पहला कदम है।
यदि प्रेग्नेंसी में स्पॉटिंग को छोड़कर कभी भी ब्लीडिंग हो तो उसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह वजायनल इंफेक्शन, गर्भपात (मिसकैरिज) या प्रेग्नेंसी में समस्या का संकेत हो सकता है। ऐसा गर्भवती महिला के प्लासेंटा में नुकसान होने की वजह से भी ऐसा होता है। अगर आप ऐसा कुछ भी महसूस कर रही हैं तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवा लें।
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प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज हो तो इन बातों का रखें ध्यान: