बच्चे को ब्रेस्ट मिल्क पिलाना उसकी सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। कई बार न्यू मॉम को नहीं पता होता है कि बच्चे को कितना दूध पिलाना सही रहेगा। इसलिए मां बच्चे को अधिक मात्रा में ब्रेस्टफीड करवा देती है। ऐसा करने से बच्चे के पेट में समस्या हो सकती है। बच्चे को अधिक गैस बन सकती है जो दर्द का कारण बन जाता है। ऐसा ही बोतल से दूध देते समय भी हो सकता है। बच्चा दो घंटे के अंतराल में थोड़ा दूध पीता है, वहीं चार घंटे के अंतराल में अधिक दूध पीता है। आप चाहे तो इस बारे में लैक्टेशन कंसल्टेंट से भी राय ले सकती है।
पेट में गैस
जब बच्चे के पेट में गैस होती है तो वह रोने लगता है। अक्सर मां समझ नहीं पाती है कि बच्चे को क्या तकलीफ है? ऐसे में बच्चे के पेट पर हाथ रखकर देखें कि कहीं उसका पेट टाइट तो नहीं है। यदि ऐसा है तो बच्चे के पेट में गैस की समस्या हो सकती है। कई बार बच्चा जब तेजी से दूध पीता है तो ज्यादा मात्रा में हवा भी बच्चे के पेट के अंदर चली जाती है। इस कारण भी पेट में दर्द हो सकता है।
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फीडिंग के समय रखें ध्यान
ब्रेस्टफीडिंग के समय अचानक से तेज आवाज, तेज रोशनी या फिर बच्चे को चौंकाने वाली गतिविधियों से दूर रखें। बच्चे के पेट में समस्या को कम करने के लिए ये उपाय भी अपनाकर देखें। बच्चा जब अचानक से डर जाता है तो उसे रोना आ जाता है या फिर दूध गले में भी फंस सकता है। ऐसे में खांसी के साथ ही पेट की समस्या भी हो सकती है। फीडिंग के लिए शांत वातावरण चुनें।
बच्चा जब बहुत तेजी से भूखा होता है तो तेजी से मां के स्तन से दूध खींचता है। बच्चे को एक घंटे के अंतराल में दूध पिलाती रहे ताकि उसे अचानक से भूख न लगें। जब बच्चा तेजी से दूध पीता है तो भी उसके पेट में हवा जा सकती है जो दर्द का कारण बन सकती है। अगर बच्चा समय पर दूध नहीं पी रहा है तो एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
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अपने आहार पर ध्यान दें
आप जो भी खा रही हैं, बच्चा ब्रेस्टफीड के समय वही अपने पेट में दूध के माध्यम से ले रहा होता है। कुछ फल, हरी सब्जियां जैसे ब्रोकोली और ब्रसेल्स स्प्राउट्स, लहसुन आदि भी बच्चे के पेट में समस्या उत्पन्न कर सकते हैं। उचित रहेगा कि इस बारे में डॉक्टर से जानकारी लेने के बाद ही डिलिवरी के बाद अपनी डायट प्लान करें। ऐसा करने से बच्चे के पेट को राहत मिलेगी।
बच्चे के पेट में समस्या का मुख्य कारण मां के खानपान से भी संबंधित होता है। मां किसी भी प्रकार की समस्या होने पर एक बार डॉक्टर से संपर्क कर ये जरूर जान लेना चाहिए कि उसे बच्चे को दूध पिलाना चाहिए या फिर नहीं। अगर डॉक्टर दूध पिलाने के लिए मनाही करता है तो अन्य विकल्प के बारे में भी जानकारी ले लेनी चाहिए।
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डिफरेंट पुजिशन में दिलाएं डकार
बच्चे को अगर दूध पिलाने के बाद एक बार में डकार नहीं आ रही है तो उसकी पुजिशन चेंज करनी चाहिए। बच्चे को गले लगाकर पीठ थपथपाना चाहिए। सबसे सही पुजिशन बच्चे को कंधे के सहारे रखकर डकार दिलाना है। आपको जैसे भी सुविधा लगे, वैसे उसे डकार दिला सकती है। डकार दिलाने से बच्चे के पेट में दर्द की समस्या नहीं होती है। जब बच्चे को डकार दिलाना भुला दिया जाता है तो बच्चे के पेट से दूध बाहर आ जाता है। या फिर बच्चा दूध पीने के कुछ दे बाद तक वॉमिट कर सकता है।
पेट के बल लिटाएं
बच्चे को अगर गैस की परेशानी होती है, तो उसे पेट के बल लिटा कर सुलाने की कोशिश करें। हालांकि, अगर आपको ऐसा लगे की पेट के बल लिटाने पर बच्चे को किसी तरह की समस्या हो रही है, तो ऐसा न करें। बच्चे को तकलीफ होने पर उसे वापस पीठ के बल लिटा दें।
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