बच्चा जब बहुत तेजी से भूखा होता है तो तेजी से मां के स्तन से दूध खींचता है। बच्चे को एक घंटे के अंतराल में दूध पिलाती रहे ताकि उसे अचानक से भूख न लगें। जब बच्चा तेजी से दूध पीता है तो भी उसके पेट में हवा जा सकती है जो दर्द का कारण बन सकती है। अगर बच्चा समय पर दूध नहीं पी रहा है तो एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
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अपने आहार पर ध्यान दें
आप जो भी खा रही हैं, बच्चा ब्रेस्टफीड के समय वही अपने पेट में दूध के माध्यम से ले रहा होता है। कुछ फल, हरी सब्जियां जैसे ब्रोकोली और ब्रसेल्स स्प्राउट्स, लहसुन आदि भी बच्चे के पेट में समस्या उत्पन्न कर सकते हैं। उचित रहेगा कि इस बारे में डॉक्टर से जानकारी लेने के बाद ही डिलिवरी के बाद अपनी डायट प्लान करें। ऐसा करने से बच्चे के पेट को राहत मिलेगी।
बच्चे के पेट में समस्या का मुख्य कारण मां के खानपान से भी संबंधित होता है। मां किसी भी प्रकार की समस्या होने पर एक बार डॉक्टर से संपर्क कर ये जरूर जान लेना चाहिए कि उसे बच्चे को दूध पिलाना चाहिए या फिर नहीं। अगर डॉक्टर दूध पिलाने के लिए मनाही करता है तो अन्य विकल्प के बारे में भी जानकारी ले लेनी चाहिए।
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डिफरेंट पुजिशन में दिलाएं डकार
बच्चे को अगर दूध पिलाने के बाद एक बार में डकार नहीं आ रही है तो उसकी पुजिशन चेंज करनी चाहिए। बच्चे को गले लगाकर पीठ थपथपाना चाहिए। सबसे सही पुजिशन बच्चे को कंधे के सहारे रखकर डकार दिलाना है। आपको जैसे भी सुविधा लगे, वैसे उसे डकार दिला सकती है। डकार दिलाने से बच्चे के पेट में दर्द की समस्या नहीं होती है। जब बच्चे को डकार दिलाना भुला दिया जाता है तो बच्चे के पेट से दूध बाहर आ जाता है। या फिर बच्चा दूध पीने के कुछ दे बाद तक वॉमिट कर सकता है।
पेट के बल लिटाएं
बच्चे को अगर गैस की परेशानी होती है, तो उसे पेट के बल लिटा कर सुलाने की कोशिश करें। हालांकि, अगर आपको ऐसा लगे की पेट के बल लिटाने पर बच्चे को किसी तरह की समस्या हो रही है, तो ऐसा न करें। बच्चे को तकलीफ होने पर उसे वापस पीठ के बल लिटा दें।
शिशु का पैर चलाना
यह बहुत ही आसान होता है। जिसका बच्चे भी आनंद ले सकते हैं। इसके लिए शिशु को पीठ की तरफ से बिस्तर पर लिटाएं। इसके बाद दोनों हाथों से उनके पैर के पंजे पकड़े। फिर उनके पैरों के साइकिल चालने की तरह घुमाएं। यह तरीका बच्चे के पेट की गैस को खत्म करने के लिए काफी सुरक्षित और लाभकारी साबित हो सकती है। लेकिन याद रखें कि इसे प्रक्रिया को शिशु को भोजन कराने के तुरंत बाद कभी न करें।
छोटे बच्चे बोल नहीं सकते इसलिए आपको इन लक्षणों पर नजर रखनी होगी ताकि आप उनकी परेशानियों को समझ कर क्विक एक्शन ले सकें। नई मां के लिए यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन, कुछ दिनों में ही बच्चों की एक्टिविटीज समझ आने लगती हैं।
स्तनपान कराते समय बच्चे को कितना दूध पिलाना चाहिए और किस तरह से डकार दिलाना चाहिए, इस बात की जानकारी डॉक्टर से लें। बच्चे के पेट में समस्या है तो एक बार डॉक्टर से मिलकर इसका समाधान निकालें।
कब जाएं डॉक्टर के पास
अगर आपके द्वारा अपनाई गई सारी बातों के बाद के भी बच्चे के पेट में समस्या हो रही है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा, अगर आपको निम्न लक्षण दिखाई देते हैं, तो इन स्थितियों में भी आपको अपने डॉक्चर से संपर्क करना चाहिए। इनमें शामिल हैंः
- शिशु को पेट में गैस के साथ उल्टी होना
- तेज बुखार होना
- दस्त लगना
- सांस फूलना
- बहुत ज्यादा रोना
- दूध पीने से मना करना
- चिड़चिड़ा होना
इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से भी परामर्श कर सकते हैं।