पर्सनैलिटी और सोशल साइकोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया है कि आमतौर पर फोटोग्राफी आपकी सकारात्मक भावनाओं को बढाती हैं लेकिन, यह केवल विशिष्ट परिस्थितियों में ही संभव है।
जब फोटो लेने वाला व्यक्ति उस पर्टिकुलर एक्टिविटी में काफी इंगेज होता है, तब उनमें पॉजिटिव फीलिंग्स बढ़ती हैं। वहीं, जो लोग सही शॉट को पकड़ने की कोशिश में लगे रहते हैं, उनकी फोटोग्राफी उस पल को अनुभव करने की फीलिंग को खराब कर सकती है। इससे फोटो लेने का उनका अनुभव और बदतर बन सकता है। इससे मन में नेगेटिव फीलिंग्स बढ़ सकती हैं।
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सेल्फ अवेयरनेस से बढ़ सकती है एंग्जायटी
हमें अपने बच्चों की कम तस्वीरें लेनी चाहिए लेकिन क्यों? बच्चों के लिए खुद की पिक्चर्स को स्क्रॉल करना एक ऑब्सेशन बन सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि जब बच्चों की तस्वीरें ली जाती हैं तो वे अधिक आत्म-केंद्रित उत्तेजनाओं के संपर्क में आते हैं।
हालांकि, आप थोड़ी बहुत तस्वीरें ले सकते हैं लेकिन ज्यादा फोटोज लेने पर आपके लिए दिक्कत पैदा हो सकती है। बच्चों में एक्सेसिव सेल्फ अवेयरनेस चिंता का कारण बन सकता है।
दरअसल, फोटो खिंचवाने से आत्म-जागरूकता बढ़ती है। इसके साथ ही बच्चा खुद को आंकता (self-evaluation) है और खुद की आलोचना (self-criticism) भी करता है। नतीजन, फोटो खिंचवाना और खुद की इमेजेज को स्क्रॉल करना उसकी मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर सकता है।
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फोटोग्राफी हेल्थ इफेक्ट्स : फोटो खींचने के फायदे
अगर तस्वीरें एक लिमिट में किसी अच्छे उद्देश्य के साथ क्लिक की जाएं तो फोटोग्राफी का दिमाग पर अच्छा असर पड़ सकता है। इसके कई लाभ भी मिल सकते हैं जैसे –