हमारे साथ ऐसा बहुत बार होता है जब हम किसी के लिए सहानुभूति नहीं दिखाते और हम स्वार्थी, गुस्सैल, अहंकारी या असंवेदनशील हो जाते हैं। समय-समय पर हमसे होने वाले ऐसे व्यवहार को आत्ममोह कहा जाता है, जब हम अपने से बढ़कर किसी को कुछ नहीं समझते। लेकिन यह व्यवहार एक बीमारी में तब तब्दील हो जाता है जब कोई व्यक्ति अपना सेल्फ-ईस्टीम बढ़ाने के लिए दूसरों को नीचा दिखाने लगता है। और ऐसा बार-बार करने की नई-नई तरकीबें निकलता है।