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खुद से बात करना नॉर्मल है या डिसऑर्डर

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya


shalu द्वारा लिखित · अपडेटेड 02/07/2020

    खुद से बात करना नॉर्मल है या डिसऑर्डर

    आपने कई बार अपने आस-पास किसी न किसी को खुद से बात करते हुए देखा होगा। संभव है आपको यह देखकर जरूर अजीब लगा होगा। जब आप ऐसे किसी व्यक्ति को देखते हैं तो आपके दिमाग में यही सवाल आता है क्या खुद से बात करना एक बीमारी है? कहीं वो पागल तो नहीं? कई बार हमारे अंदर दूसरों से अलग लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ लोग इस आदत से आश्चर्य होते हैं, कुछ लोग इसे शर्मनाक मानते हैं। यदि आपको लगता है की आप खुद से बात नहीं करते हैं तो आपको गलत लगता है। हम सभी में से प्रत्येक व्यक्ति को खुद से बात करने की आदत होती है। जैसे, कि कभी आपके कार की चाबी नहीं मिल रही , उस वक्त आप खुद से कहते हैं चाबी नहीं मिल रही यार..शीशे के सामने आकर आप खुद से कहते हैं, क्या मैं अच्छी लग रही हूं?’।यह एक प्रकार का संवाद ही है जो आपने अपने आपसे किया। लेकिन ये चीजें बहुत से लोग करते हैं। इसलिए आपको ये साधारण लग सकता है। आइए जानते हैं क्या खुद से बात करना वाकई किसी प्रकार की बीमारी है।

    क्या खुद से बात करना एक बीमारी है?

    खुद से बात करने की आदत कई प्रकार की हो सकती है। यदि आप किसी को साधारण रूप से खुद बात करते हुए देखते हैं तो आपको लगता है, वो पागल है, या उसे किसी प्रकार की बीमारी है। लेकिन ऐसा नहीं है ये किसी प्रकार की बीमारी नहीं है। कई शोध से यह पता चलता है, की यह एक सामान्य स्थिति है। यह शायद यह समझाने में मदद कर सकता है कि इतने सारे खेल पेशेवर, जैसे कि टेनिस खिलाड़ी, अक्सर प्रतियोगिताओं के दौरान खुद से बात करते हैं। इससे उनकी एकाग्रता बनी रहती है।  ये एक आदत है, कुछ लोग भले ही आपके सामने ये दिखाएं की आपका खुद से बात करना उन्हें अजीब लग रहा है। लेकिन हम सभी अपने आपसे बात करते हैं। फर्क केवल इतना होता है हम कुछ बातें अपने मन में कर लेते हैं तो वहीं कुछ लोग खुद से ही बातें करते हैं। यदि किसी व्यक्ति में केवल खुद से बात करने के संकेत दिखाई देते हैं तो ये किसी प्रकार की बीमारी नहीं है। 

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    क्या खुद से बात करना हेल्दी हो सकता है?

    बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं खुद से बात करना कई मायने में फायदेमंद और हेल्दी हो सकता है। एक्सपेरिमेंटल साइकोलॉजी के क्वार्टरली जर्नल में छपे एक अध्ययन में, मनोवैज्ञानिक डैनियल स्विगली और गैरी लुपिया ने परिकल्पना की कि खुद से बात करना वास्तव में फायदेमंद था। कई ऐसे शोध हुए हैं जिनमें यह साफ-साफ पता चलता है की यह आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।

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    • जब हम अपने आपसे बात करते हैं उस वक्त हमारे जीवन की रोजमर्रा की समस्याओं से निपटने की हिम्मत मिलती है। हमारे लिए बड़ी से बड़ी समस्याएं आसान लगने लगती हैं।
    • खुद से बात करना आपको बहुत कुछ सीखने में मदद करता है। इस आदत के साथ आप बच्चों की कोई भी चीज बहुत जल्दी सीख जाते हैं।
    • जिनको खुद से बात करने की आदत होती है वो हर काम खुद से बात करके ही करते हैं। ऐसे में जब वो पढ़ाई-लिखाई करते हैं तो भी खुद से बोलकर पढ़ाई करते हैं।
    • जब आप तेज आवाज में खुद के मन की बात जानने लगते हैं तो आप अपने कार्य को महत्व देना सीखते हैं। इस आदत से आप खुद पर संयम करना सीख जाते हैं। 
    • अपने आप से बात करने से आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है।
    • कई शोध में यह भी पता चलता है, कि खुद से बात करना कोई साधारण आदत नहीं है। जो लोग खुद से बात करते हैं वो बुध्दिजीवी होते हैं।
    • मनोवैज्ञानिक लिंडा सपादिन के अनुसार, अपने आप से ज़ोर से बात करने से आपको महत्वपूर्ण और कठिन निर्णयों को मान्य करने में मदद मिलती है। “यह आपको अपने विचारों को स्पष्ट करने में मदद करता है, जो आपके महत्वपूर्ण और किसी भी निर्णय पर निर्भर करता है।
    • हर कोई जानता है कि किसी समस्या को हल करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि वह बात करे। चूंकि यह आपकी समस्या है, इसलिए इसे खुद से क्यों न करें?
    • यह आदत आपको मोटिवेट करने में मदद करता हैं।
    • खुद से बात करने से हमारे अंदर का डर खत्म होता है। इस आदत से आपका तनाव कम होता है
    • यदि हमारे अंदर किसी प्रकार का बहुत अधिक गुस्सा या नाराजगी होती है तो इस आदत के कारण आप उसे आसानी से कंट्रोल कर लेते हैं। जब आप खुद को समय देते हैं अपने अंदर की आवाज सुनते हैं उससे जवाब-सवाल करते हैं तो इससे आपका दिमाग शांत रहता है। आप किसी की बात ध्यान ,से सुनते और समझते हैं।
    • अपने आप से बात करने का मतलब है कि आप आत्मनिर्भर हैं। अल्बर्ट आइंस्टीन की तरह, जो “अत्यधिक प्रतिभाशाली थे और अपने जीवन में अपनी प्रतिभा का दोहन करने की क्षमता हासिल कर ली थी,’ जो लोग खुद से बात करते हैं वे अत्यधिक कुशल होते हैं और केवल खुद पर भरोसा करते हैं कि उन्हें क्या चाहिए।
    • जिन लोगों में खुद से बात करने की आदत होती है। इन्हें असाधारण चीजें भी नार्मल लगती है। वो लोगों में कमियां कम ढुढ़ते हैं।उन्हें लोगों की आसामान्य आदतें भी नार्मल लगती है।

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    खुद बात करना कब बीमारी बन सकती है?

    यदि हम बात करते हैं खुद से बात करने की तो यह तो एक साधारण आदत है जब हम जोर-जोर से खुद से बातें करते हैं। लेकिन यह आदत कई प्रकार के होते हैं। यदि आपको ऐसी आदत है की आप ऐसे इंसान से बात करने लगते हैं जो आपके आस-पास नहीं है यह एक बीमारी बन सकती है। यदि आपके आस-पास किसी को ऐसी समस्या है तो यह एक मानसिक बीमारी का रूप ले सकता है। कुछ साइकोलॉजिकल समस्याएं लोगों को खुद से बात करने का कारण बन सकती हैं। उदाहरण के लिए, सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों में  अक्सर ये लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ मामलों में, वे उन लोगों से बात कर सकते हैं जो आसपास नहीं हैं, लेकिन जो सोचते हैं कि उनका अस्तित्व है। लेकिन ज्यादातर मामलों में लोगों को खुद से बात करने की नार्मल आदत होती है।

    डिस्क्लेमर

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