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मानसिक रोगी की पहचान कैसे करें?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Smrit Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/05/2021

    मानसिक रोगी की पहचान कैसे करें?

    मानसिक बीमारी को मानसिक स्वास्थ्य विकार भी कहा जाता है। इसमें विभिन्न मेंटल हेल्थ कंडीशंस की एक बड़ी सीरीज शामिल होती हैं। मानसिक विकार (मेंटल डिसऑर्डर) वो होते हैं, जो आपकी मनोदशा, सोच और व्यवहार को प्रभावित करते हैं। मानसिक बीमारी के उदाहरणों में अवसाद, चिंता विकार, सिजोफ्रेनिया, ईटिंग डिसऑर्डर आदि शामिल हैं। हर किसी को कभी न कभी, कोई न कोई चिंता होती है, लेकिन यही चिंता आगे चलकर मानसिक बीमारी भी बन सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, बहुत से मानसिक रोगी अपना इलाज करवाने से कतराते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग उनके बारे में न जाने क्या सोचेंगे। ऐसे में मानसिक रोगी की पहचान करना जरूरी है ताकि समय पर उसे ट्रीटमेंट दिया जा सके। आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि मानसिक रोगी की पहचान कैसे करें?

    मानसिक रोग क्या है?

    विशेषज्ञों का कहना है कि जब एक व्यक्‍ति ठीक से सोच नहीं पाता और उसका अपनी भावनाओं और व्यवहार पर काबू नहीं रहता, तो ऐसी हालत को मानसिक रोग कहते हैं। मानसिक रोगी आसानी से दूसरों को समझ नहीं पाता। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि मानसिक रोगी की पहचान करना कठिन काम हो सकता है। हर व्यक्ति में मानसिक बीमारी के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसे कौन-सी मानसिक बीमारी है। मानसिक रोग किसी को भी हो सकता है। अगर मानसिक रोगी अच्छी तरह अपना इलाज करवाए, तो वह ठीक हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि मानसिक रोगी की पहचान समय रहते की जाए।

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    मानसिक रोग के कुछ मुख्य प्रकार

    मानसिक रोग कई प्रकार के हो सकते हैं और उसके लक्षण भी व्यक्ति से व्यक्ति पर निर्भर करते हैं। लेकिन मानसिक रोग के कुछ मुख्य प्रकारों के बारे में हम यहां जान लेते हैं-

    मूड डिसऑर्डर – मूड डिसऑर्डर आपके मूड यानी व्यवहार व भावनाओं को प्रभावित करता है। इसके कारण आपको हमेशा उदास रहने या हमेशा अतिउत्साहित रहने या फिर अत्यधिक खुशी से अत्यधिक उदासी में बदलाव जैसे लक्षण दिख सकते हैं। मूड डिसऑर्डर्स के प्रकारों की बात करें, तो डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर आदि इसके आम प्रकार कहे जा सकते हैं।

    एंग्जायटी डिसऑर्डर एंग्जायटी डिसऑर्डर के मरीजों को किसी वस्तु, स्थिति, व्यक्ति आदि के कारण चिंता और डर का एहसास होने लगता है। यह एहसास कई बार उनके शारीरिक गतिविधियों के द्वारा भी देखा जा सकता है। जैसे- अत्यधिक पसीना आना या दिल की धड़कन का तेज हो जाना। इस डिसऑर्डर से ग्रसित व्यक्ति निश्चित स्थितियों पर उचित प्रतिक्रिया नहीं देता। उसकी भावनाएं व व्यवहार उसके नियंत्रण से बाहर हो जाता है। जनरलाइज्ड एंग्जायटी डिसऑर्डर, पैनिक डिसऑर्डर, सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर और विभिन्न प्रकार के फोबिया को एंग्जायटी डिसऑर्डर के आम प्रकार कहा जा सकता है।

    साइकोटिक डिसऑर्डर – साइकोटिक डिसऑर्डर में आपकी जागरुकता व सोचने की क्षमता बिगड़ जाती है। इसके सबसे आम प्रकारों में मतिभ्रम (hallucinations) और भ्रम (delusions) शामिल हैं। मतिभ्रम में रोगी को काल्पनिक आवाजों और तस्वीरों का अनुभव होने लगता है। वहीं, भ्रम में रोगी काल्पनिक स्थितियों में जीने लगता है। इसके अलावा, सिजोफ्रेनिया भी साइकोटिक डिसऑर्डर का ही उदाहरण है।

    ईटिंग डिसऑर्डर – ईटिंग डिसऑर्डर में मरीज भावनाओं, व्यवहार आदि में बदलाव के कारण अपनी खाने-पीने की आदतों में भी बदलाव महसूस करता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति को ईटिंग डिसऑर्डर है, तो उदासी में वह बहुत ज्यादा या बहुत कम खाना शुरू कर देता है। जिससे उसके शारीरिक वजन पर भी असर पड़ता है।

    ये मेंटल डिसऑर्डर भी हैं प्रमुख

    ऊपर बताए गए डिसऑर्डर्स के अलावा मानसिक रोगों में एडिक्शन डिसऑर्डर, पर्सनैलिटी डिसऑर्डर, ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर, पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर आदि भी शामिल होते हैं।

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    मानसिक रोगी की पहचान के लिए ध्यान दें इन लक्षणों पर

    मानसिक रोगी की पहचान के लिए मानसिक रोग के लक्षण, उसके प्रकार, परिस्थितियों और अन्य कारकों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। मानसिक बीमारी के लक्षण भावनाओं, विचारों और व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं। इसके निम्नलिखित लक्षण होते हैं –

  • उदास महसूस करना
  • बेचैन होना या ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी
  • अत्यधिक भय या चिंता या अपराध की भावनाएं महसूस करना
  • मनोदशा में अत्यधिक बदलाव
  • दोस्तों और अन्य गतिविधियों से अलग होना
  • थकान, ऊर्जा में कमी या नींद की समस्याएं (नींद न आना या बहुत ज्यादा नींद आना)
  • वास्तविकता से अलग हटना (भ्रम)
  • दैनिक समस्याओं या तनाव से निपटने में असमर्थता
  • शराब या नशीली दवाओं का सेवन
  • खाने की आदतों में बड़ा बदलाव
  • सेक्स ड्राइव में बदलाव
  • अत्यधिक क्रोध या हिंसक व्यवहार
  • आत्महत्या का विचार करना
  • कभी-कभी मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर के लक्षण में पेट दर्द, पीठ दर्द, सिर दर्द या अन्य तरह के दर्द भी शामिल हो सकते हैं।

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    रिस्क फैक्टर-

    • व्यक्ति या उसके संबंधी अवसाद या शराब संबंधी समस्याओं की शिकायत करते हों,
    • जब स्वयं व्यक्ति या उसके संबंधी किसी दैवीय कारण के होने का संदेह करते हों,
    •  जब मनोरोग का कोई विशष्ट कारण, जैसे शराब की लत या घरेलू हिंसा, स्पष्ट नजर आता हो,
    •  जब आपको मालूम हो कि व्यक्ति वैवाहिक और यौन समस्याओं जैसी किसी समस्या से गुजर रहा है,
    •  जब आपको मालूम हो कि व्यक्ति के जीवन में बेरोजगारी या किसी प्रियजन की मृत्यु जैसी समस्या है
    • दर्दनाक अनुभव, जैसे कि हमला
    • बचपन से उपेक्षा का इतिहास

    मानसिक रोग के लक्षण, हर व्यक्‍ति में अलग-अलग हो सकते हैं। ये इस बात पर निर्भर करते हैं कि उसके हालात कैसे हैं और उसे कौन-सी मानसिक बीमारी है। कुछ लोगों में इसके लक्षण लंबे समय तक रहते हैं और साफ नजर आते हैं, जबकि कुछ लोगों में शायद थोड़े समय के लिए हो और साफ नजर न आएं।

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    मानसिक बीमारी से बचाव कैसे करें?

    मानसिक बीमारी को रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है। हालांकि, जल्दी से जल्दी मानसिक रोगी की पहचान कर उसकी काउंसलिंग और उसकी दिनचर्या में कुछ बदलाव से मानसिक बीमारी के लक्षणों को नियंत्रण करने में मदद मिल सकती है। आप इन बातों को अपना सकते हैं:

    चेतावनी के संकेतों पर ध्यान दें

    अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें कि किन-किन स्थितियों से आपके व्यवहार या मेंटल हेल्थ में बदलाव होने लगता है। एक प्लान बनाएं ताकि आपको यह पता चल सके कि मानसिक बीमारी के लक्षण दिखने पर क्या करना है। अगर आपको कोई मानसिक बदलाव (mental changes) महसूस होता है, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। चेतावनी के संकेतों के बारे में फैमिली मेंबर्स या दोस्तों को भी बताएं।

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    संतुलित आहार लें

    घर-परिवार के लोग मानसिक रोगी की पहचान करने के बाद उसे स्वस्थ भोजन के लिए प्रोत्साहित करें। फल, सब्जी, फलियां और कार्बोहायड्रेट आदि का संतुलित आहार लेने से मन खुश रहता है। एक संतुलित आहार न केवल अच्छा शरीर बनाता है बल्कि यह दुखी मन को भी खुशनुमा बना देता है।

    अपने लिए समय निकालें

    यह बेहद महत्वपूर्ण है कि मानसिक रोगी को व्यस्तताओं के बावजूद अपनी जरूरतों और देखभाल के लिए भी कुछ समय निकालना चाहिए। आराम करने के लिए भी पर्याप्त समय बचा कर रखें।

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    लिखना शुरू करें

    अपनी रोजाना की गतिविधियों और भावनाओं को लिखने से खुद के बारे में अच्छी तरह जानने में मदद मिलती है। एक ब्लॉग या डायरी रखें, जिसमें रोजाना लिखें कि आप जीवन के बारे में क्या महसूस करते हैं। यह आपके अवसाद को दूर करने में सहायक होगा।

    बातचीत करें

    अपनी समस्याओं के संबंध में बात करना भी स्ट्रेस दूर करने का उत्तम जरिया है। अंदर ही अंदर घुटते रहने से और भी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसलिए, दोस्तों या परिवार में किसी से बात करें, अपनी समस्या शेयर करें। वहीं फ्रेंड्स और फैमिली को भी चाहिए कि मानसिक रोगी की पहचान कर, उससे ज्यादा से ज्यादा बात करने की कोशिश करें।

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    मनोचिकित्सक से सलाह लें

    मानसिक रोगी की पहचान करने के बाद उसे डिप्रेशन , एंग्जायटी, स्ट्रेस आदि मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम को दूर भगाने के लिए मनोचिकित्सक की सलाह लेने के लिए प्रेरित करें। मनोचिकित्सक की सलाह से आपको मानसिक समस्याओं की जड़ तक जाने और इसे दूर करने में मदद मिलेगी।

    ग्रुप थेरिपी

    मानसिक रोगी की पहचान करने के बाद पीड़ित को ग्रुप थेरेपी के लिए प्रोत्साहित करें। इस तरह की थेरेपी में कई लोग शामिल होते हैं।

    मानसिक रोगों को लेकर हमारे समाज में कई ढ़ेरों भ्रम फैले हैं। अक्सर समय रहते मानसिक रोगी की पहचान न करने पर, सीमित ज्ञान और बेहतर उपचार ना मिलने से भी कई लोग मानसिक विकार के शिकार हो जाते हैं। ऐसे मे इस बात की जरूरत होती है कि हम इस बीमारी के बारे में बेहतर तरीके से समझें और यदि परिवार में या आसपास कोई मानसिक बीमारी से जूझ रहा हो तो उसकी मदद करें। मानसिक रोग किसी को भी हो सकता है, फिर चाहे वह आदमी हो या औरत, जवान हो या बुजुर्ग, पढ़ा-लिखा हो या अनपढ़, या चाहे वह किसी भी संस्कृति, जाति, धर्म या तबके का हो। मानसिक रोगी की पहचान समय पर करना ही उसका बचाव है। देर से उपचार मिलने पर रोगी की मानसिक हालत काफी बिगड़ सकती है।

    आशा करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। अगर आपका इससे जुड़ा कोई सवाल या चिंता है, तो डॉक्टर से सलाह लेने में देर न करें।

    डिस्क्लेमर

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