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स्ट्रेस और मेंटल हेल्थ कंडीशन के कारण
कई बार लोग स्ट्रेस के कारण नाखून के किनारे की स्किन निकालने लगते हैं। साथ ही स्किन में कोई हल्की पपड़ी हो तो उसे भी निकालना शुरू कर देते हैं। नाखून हटाना, बालों को नोंचना, घाव की पपड़ी को हटाना आदि क्रियाओं को करने से लोगों को सेटिस्फेक्शन फील होता है। कुछ लोग स्किन पिकिंग सिर्फ इसलिए भी करते हैं ताकि वो अच्छे दिखें। बायोलॉजिकल और इंवायरमेंटल फैक्टर स्किन पिकिंग के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। स्किन पिकिंग हमेशा किसी खास कारण से नहीं होती है।
स्किन पिकिंग डिसऑर्डर का निदान कैसे किया जाता है?
इस डिसऑर्डर के बारे में आप खुद से पता नहीं कर सकते। हालांकि आपको इस बात का संदेह हो सकता है कि आपको इस तरह का कोई विकार है। अगर आपमें इस डिसऑर्डर के कुछ लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर को डायग्नोस करने से पहले कुछ अन्य अंडरलाइंग कंडीशन के बारे में पता करना होगा।
फिजिकल एक्जामिन करने के बाद डॉक्टर आपसे इस आदत को दोहराते समय रहने वाली भावनाओं और व्यवहार के बारे में पूछेगा। वे यह भी निर्धारित करेंगे कि आप जो घाव या स्कैब को बार-बार खरोंच रहे हैं, वह त्वचा विकार या एक्जिमा या सोरायसिस जैसी स्थिति का परिणाम तो नहीं है?
अगर डॉक्टर को स्किन पिकिंग डिसऑर्डर का संदेह होता है तो वह आपको मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से मिलने की सलाह दे सकते हैं।
स्किन पिकिंग डिसऑर्डर का ट्रीटमेंट
स्किन पिकिंग डिसऑर्डर के ट्रीटमेंट के तौर पर मुख्य रूप से मेडिकेशन और थेरिपी का यूज किया जाता है। ट्रीटमेंट की हेल्प से इस आदत से काफी हद तक छुटकारा मिल सकता है।
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मेडिकेशन
मेंटल हेल्थ या फिर डेवलपमेंटल कंडीशन के कारण स्किन पिकिंग डिसऑर्डर है तो डॉक्टर कुछ सलेक्टिव मेडिसिन की सलाह दे सकता है।
- सलेक्टिव सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर ( serotonin reuptake inhibitors) या एंटीडिप्रेसेंट्स ( antidepressants)
- लैमोट्रिगिन (lamotrigine)
- एंटीसाइकोटिक्स(antipsychotics) जैसे कि रिसपेरीडोन ( risperidone)
थेरिपी
जिन लोगों को स्किन पिकिंग की समस्या है, वो कॉग्नेटिव बिहेवियरल थेरिपी को अपना सकते हैं। कॉग्नेटिव बिहेवियरल थेरिपी की हेल्प से बुरी आदतों को कंट्रोल किया जा सकता है। साथ ही थेरिपी के दौरान मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स या काउंसलर व्यक्ति को इमोशनल, फिजिकल, इंवायरमेंटल ट्रिगर के बारे में जानकारी देकर आदत को सुधारने की कोशिश करता है। ऐसा करने से व्यक्ति का नकारात्म रवैया बदलने लगता है। थेरिपी में लोगों को दूसरी सुरक्षित वैकल्पिक गतिविधियों का सुझाव दिया जा सकता है जो तनाव, चिंता और बोरियत को कम कर सके। विकल्प में शामिल हो सकते हैं:
- रबर बॉल को हाथ से दबाना
- ड्राइंग, पेंटिंग या बुनाई करना
- जो लोग लगातार अपनी स्किन को नोंचते रहते हैं वो ग्लव्स पहनने के साथ ही बैंडेज का यूज करने की सिफारिश भी की जा सकती है। इससे वे स्किन को डैमेज करने से बच सकेंगे।
- साथ ही स्ट्रेस मैनेजमेंट की प्रेक्टिस कर और कुछ तकनीकों को अपनाकर भी स्किन पिकिंग के ट्रिगर्स को कंट्रोल कर सकते हैं।
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इन बातों का रखें ध्यान
जब भी आप घर में हो और स्किन पिकिंग की इच्छा कर जाए तो खुद को कंट्रोल जरूर करें, साथ ही कुछ बातों का ध्यान भी रखें।
- स्किन केयर के लिए नारियल का तेल और एलोवेरा जेल एप्लाई करें।
- रेगुलर एक्सरसाइज करें।
- तनाव या स्ट्रेस को कम करने के लिए योगा करें। रोजाना गहरी सांस लेने का अभ्यास करें।
- हो सके तो घर के शीशों को कुछ समय के लिए कवर कर दें। शीशे कवर रहेंगे तो बार-बार स्किन को देखकर उसे पिक करने की आदत छूट जाएगी।
- ऐसे टूल्स को भी छिपा कर रख दें, जिनका यूज आप अक्सर स्किन पिकिंग के लिए करते हो, जैसे कि नेल क्लिपर्स, सीजर या चिमटी आदि।
अगर आपको स्किन पिकिंग की समस्या कुछ ही दिनों से महसूस हो रही है तो आपको ध्यान देने की जरूरत है। अगर आपने अपनी आदतों में सुधार नहीं किया तो स्किन को नुकसान भी पहुंच सकता है। साथ ही घाव होने की स्थिति भी पैदा हो सकती है। बेहतर होगा कि ऊपर बताई गई बातों पर ध्यान दें और आदतों में सुधार करें। अगर आपको काफी सालों से स्किन पिकिंग की समस्या है तो एक बार डॉक्टर से जरूर परामर्श करें। बेहतर होगा कि ट्रेंड मेडिकल प्रोफेशनल की हेल्प लें।
एक बात को जरूर हमेशा याद रखें कि किसी प्रकार की मानसिक बीमारी या डिसऑर्डर को ठीक किया जा सकता है, लेकिन उसके लिए आपको समय पर जांच करवाना और डॉक्टर की सलाह को मनाना जरूरी है। साथ ही हमेशा एक सकारात्मक सोच बनाए रखें। बीमारी को मन पर हावी न होने दें।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और स्किन पिकिंग डिसऑर्डर से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।