इस थेरिपी में ऑटिज्म और डिस्लेक्सिया रोगी के कौशल विकास और संचार कौशल को विकसित करने की दिशा में काम किया जाता है। इसमें एक्सपर्ट्स की टीम खासतौर पर रोगी के लिए केंद्रित प्रोग्राम तैयार करते हैं।
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डिस्क्रीट ट्राइल ट्रेनिंग (DTT) Discrete trial training
डिस्क्रीट ट्राइल ट्रेनिंग के अंतर्गत ऑटिज्म और डिस्लेक्सिया का इलाज करने के लिए एक टीचर रोगी को एक के बाद एक लेसन देता है। इसके बाद रोगी से इसके जवाब और सही व्यवहार के बारे में पूछा जाता है। सही जवाब देने और उचित व्यवहार करने पर उसे गिफ्ट देकर प्रोत्साहित किया जाता है।
पॉजिटिव बियेवियरल सपोर्ट (PBS) Positive behavioral and support
पीबीएस यानी पॉजिटिव बियेवियरल सपोर्ट एक ऐसी तकनीक है जिसके अतंर्गत ऑटिज्म और डिस्लेक्सिया का इलाज किया जाता है। इसमें व्यक्ति के व्यवहार को उसके आसपास के वातावरण में बदलाव कर उसे सकारात्मक बनाने के प्रयास किए जाते हैं। पहले देखा जाता है कि किस वजह से रोगी के व्यवहार में बदलाव आ रहा है। इसके बाद रोगी को नई चीजें सिखाई जाती हैं और अच्छा व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
ऑटिज्म और डिस्लेक्सिया में बच्चे के डायट का कैसे रखें ध्यान?
जब आपके बच्चे को ऑटिज्म और डिस्लेक्सिया होता है, तो वो कई तरह के खाद्य पदार्थ, उनके स्वाद, गंध, बनावट या रंग को देखकर संवेदनशील हो सकता है और वह उसे खाने से इंकार कर देता है। ऐसे में नए तरह का खाना खिलाना भी एक चुनौती होता है, इसलिए इस दिशा में धीरे-धीरे कदम उठाना चाहिए।
इसके लिए आप एक खास तरीका अपना सकते हैं। जब आप शॉपिंग पर जाएं तो अपने बच्चे को साथ ले जाने की कोशिश करें और उसे अपनी पसंद का खाना चुनने को बोलें। जब आप वो खाना घर लाएं तो उसे संतुलित तरीके से बनाने की कोशिश करें। हो सकता है कि खाना बनने के बाद बच्चा खाने से इंकार कर दे। ये बेहद सामान्य बात है, उसे इस चीज से परिचित होने में वक्त लग सकता है। ऑटिज्म और डिस्लेक्सिया में न्यूट्रिशन टिप्स को फॉलो करके इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। इसके लिए आप डायटीशियन की भी मदद ले सकती हैं। वे आपको आटिज्म या डिस्लेक्सिया का सामना कर रहे बच्चों के लिए हेल्दी रेसिपी और टिप्स बता सकती हैं।
ऑटिज्म होने पर भी ये परेशानियां आ सकती हैं उस स्थिति में बच्चा दोनों ही स्थितियों यानि ऑटिज्म और डिस्लेक्सिया से प्रभावित होगा। ऑटिज्म और डिस्लेक्सिया से संबंधित अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें। अगर बच्चों की समय पर उचित देखभाल की जाए तो इस बीमारी को मैनेज किया जा सकता है और इससे आसानी से निकला जा सकता है बिलकुल तारे जमीं पर वाले ईशान की ही तरह। बस ऐसे में पेरेंट्स को बच्चे का पूरा साथ देना होगा।
उम्मीद करते हैं कि आपको ऑटिज्म और डिस्लेक्सिया संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।