पैक खाने का लेबल चेक करें
हमेशा अपने बच्चे के लिए खाना खरीदने से पहले उसपर चिपके लेबल को जरूर देखें। इससे आप उसमें मिली सामग्री, पौष्टिक तत्व और केमिकल की जानकारी जुटा लेंगे। इससे आप पता लगा सकते हैं कि वो खाद्य पदार्थ आपके बच्चे के लिए फायदेमंद है या नुकसानदेह । क्योंकि कई बार ग्लूटेन अैर केसिन (gluten and casein) युक्त भोजन ऑटिज्म की स्थिति को और गंभीर बना देता है। ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स को फॉलो करते समय जरूरी है कि आप पैकेज्ड खाने का लेवल ठीक से चेक करें।
ग्लूटेन युक्त फूड से बचना भी ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स में है शामिल
ग्लूटेन आमतौर पर गेहूं और जौ में पाया जाता है। इससे बनी ब्रैड, केक और पास्ता जैसी चीजों में भी इसकी अधिकता रहती है। किसी खाने में यूं तो ग्लूटेन की मात्रा को घटाया नहीं जा सकता लेकिन कई खास तरह की खाद्य साम्री आजकल बाजार में उपलब्ध है, जो ग्लूटेन फ्री होती है। ऑटिज्म में डायट प्लान तैयार करते समय आपको इस तरह की चीजों को अवॉयड करने की जरूरत होगी।
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ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स है केसिन से बचना
आमतौर पर केसिन उन खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, जिनमें लैक्टोज (lactose) होता है। लैक्टोज मुख्य रूप से डेयरी प्रोडक्ट में पाया जाता है। लेकिन, डेयरी प्रोडक्ट विटामिन डी और सी के भी सबसे स्त्रोत होते हैं। ऐसे में केसिन से बचने के लिए अगर इनका सेवन रोक दिया जाए, तो विटामिन डी और सी की भरपाई के लिए सप्लिमेंट लेना जरूरी हो जाता है।
ऑटिज्म में डायट तय करते समय सोया प्रोडक्ट का करें यूज
सोया और सोया से बनी अन्य खाद्य सामग्री भी ऑटिज्म रोगियों में एलर्जी पैदा करने के साथ-साथ उन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। इसी वजह से सोया से बनी खाद्य साम्री जैसे सोया सॉस, सोया, टोफू और सोया मिल्क के सेवन से बचना चाहिए।
अगर आपको लगता है कि ऑटिज्म एक दिमाग संबंधी बीमारी है और खान-पान का इस पर असर नहीं पड़ता, तो आप गलत सोच रहे हैं, क्योंकि खानपान का सीधा असर इस बीमारी पर पड़ता है। ऐसे में ग्लूटेन, केसिन और सोया से बनी चीजों को ऑटिज्म में डायट प्लान तैयार करते समय में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
ऑटिज्म में न्यूट्रिशन टिप्स के लिए किसी विशेषज्ञ की मदद लें
बच्चे की डायट के मामले में किसी डॉक्टर, डायट एक्सपर्ट आदि की मदद ली जा सकती है। वे बेहतर जानते हैं कि आपके बच्चे की इस स्थिति के लिए खाना और परहेज जरूरी है। पौष्टिक आहार बच्चे के विकास में बेहद जरूरी रहता है और खासतौर पर तब, जब आपका बच्चा ऑटिस्टिक हो।
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