ऑटिज्म फैक्ट्स : हर ऑटिज्म का रोगी एक जैसा नहीं
हर ऑटिज्म के रोगी में अलग-अलग लक्षण होते हैं। इसी वजह से उनकी जरूरतें भी अलग होती हैं ऐसे में उनकी किसी समस्या को कैसे ठीक किया जाए इसका कोई निर्धारित या सही तरीका नहीं है। हर रोगी की जरूरत के हिसाब से यह तय किया जाता है।
ऑटिज्म के रोगियों में होती है छिपी काबिलीयत
ऑटिज्म से ग्रस्त लोगों और बच्चों को कमजोर मानना गलत है, क्योंकि ऑटिस्टिक व्यक्ति आपको अपनी किसी छिपी हुई कला से हैरान कर सकता है। कुछ में म्युजिकल इंस्ट्रयूमेंट बजाने की कला होती है, तो कुछ में कुछ नंबरों को याद रखने की गजब की काबिलीयत होती है। ऐसे में रोगी की इन कलाओं को जानना बेहद जरूरी है।
ऑटिज्म रोगियों के लिए ‘सामान्य’ वैसा नहीं जैसा हम सोचते हैं
हम अपने दैनिक जीवन में जो चीजें देखते-सुनते हैं वो जरूरी नहीं कि ऑटिज्म रोगियों के लिए भी सामान्य हों। कॉफी मशीन की आवाज, बल्ब की लाइट और फैन का चलना भी एक ऑटिज्म रोगी को परेशान कर सकता है। ऐसे में रोगी के आसपास मौजूद लोगों को उसके व्यवहार को समझने चाहिए।
ऑटिज्म रोगी अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाते
ऑटिज्म रोगियों में सबसे बड़ी समस्या है कि वो ठीक तरह से लोगों से बातचीत नहीं कर पाते। फलस्वरूप वो कई जरूरी चीजों में भी अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाते फिर चाहे उन्हें भूख लग रही हो या किसी चीज की जरूरत हो। कई बार अगर वे बोल भी पाते हैं तो उसका अर्थ वो नहीं होता, जो वे कहना चाहते हैं। ऐसे में उन्हें नजरअंदाज न करके उनके आसपास के वातावरण से चीजों को समझना चाहिए।
ऑटिज्म फैक्ट्स : एक साथ कई चीजों को समझने में होती है कठिनाई
ये बेहद जरूरी है कि ऑटिज्म रोगी से बेहद सरल भाषा और वाक्यों में बात की जाए। उदाहरण के तौर पर वे आपकी बात नहीं समझ पाएंगे अगर आप दूर से या फोन पर कुछ कह रहे हों। ऐसे में फेस-टू-फेस बातचीत मदद करती है। इसके अलावा उन्हें कठिन भाषा और मुहावरे समझ नहीं आते।
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