बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण का इलाज कैसे करें?
ऐसा माना जाता है कि अभी तक बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण का कोई भी इलाज विकसित नहीं किया जा सका है। वहीं कुछ तरीके हैं जिनकी मदद से बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण को कम किया जा सकता है। इनमें स्पीच थेरेपी और मोटर स्किल शामिल हैं। इनकी मदद से बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा बच्चों के साथ प्यार और धैर्य से बर्ताव करने से भी इस बीमारी से जूझ रहे बच्चों को सामान्य जिंदगी जीने में मदद की जा सकती है।
आप ये जान लें कि ऑटिस्टिक बच्चे का जीवन सामान्य बच्चों की तुलना में बहुत ही कठीन होता है। लेकिन ऐसे में पेरेंट्स का सपोर्ट उनके इस संघर्ष को कम कर सकता है। वहीं कई मामलों में देखा जाता है कि पेरेंट्स सही समय पर बच्चों पर ध्यान नहीं देते और देर हो जाने पर मेडिकल हेल्प पाने की कोशिश करते हैं। लेकिन सही तरीका यह होगा कि बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण की शुरुआती पहचान कर ही उसे मदद मिलनी चाहिए। साथ ही बच्चे की ऐसी परिस्थिति में पेरेंट्स को बहुत धैर्य रखने की जरूरत होती है।
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बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण के इलाज के लिए होती हैं ये थेरेपी
बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण को कम करने के लिए शिक्षात्मक चिकित्सा
इस चिकित्सा में ऑटिज्म रोगी के कौशल विकास और संचार कौशल को विकसित करने की दिशा में काम किया जाता है। इसमें एक्सपर्ट्स की टीम खासतौर पर रोगी के लिए केंद्रित प्रोग्राम तैयार करते हैं।
फैमिली थेरेपी से दूर होंगे बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण
फैमिली थेरेपी में ऑटिज्म रोगी के परिवार, उसके दोस्त और देखभाल करने वाले लोगों को सिखाया जाता है कि कैसे रोगी के साथ व्यवहार, बातचीत और खेलकूद करें। इसकी मदद से वो तेजी से चीजें सीखता है और रोगी में ऑटिज्म के लक्षण के तौर पर दिखने वाला नकारात्मक व्यवहार खत्म होता है।
ऑक्यूपेशनल थेरेपी
इस थेरेपी में ऑटिज्म रोगी को दैनिक जीवन से जुड़े काम पूरे करने के लिए दिए जाते हैं। इसकी मदद से वे भविष्य में इन चीजों को करने में सक्षम हो जाते हैं। उदाहरण के तौर पर शुरुआती अवस्था में बच्चों को कपड़े पहनना या चमच्च का इस्तेमाल जैसी चीजें सिखाई जाती हैं।