ऑटिज्म की दवा: सेरोटॉनिन रियुपटेक इन्हिबिटर्स (serotonin reuptake inhibitors (SSRIs))
सेरोटॉनिन रियुपटेक इन्हिबिटर्स ड्रग्स का इस्तेमाल बच्चों में ऑटिज्म की समस्या से उतपन्न हुए डिप्रेशन की समस्या, चिड़चिड़ापन, जिद्दी या आक्रामक व्यवहार को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सेराट्रालिन (seratraline), सिटालोप्राम (citalopram) और फ्लूऑक्सेटाइन (fluoxetine) दवाईयां इस ड्रग्स की श्रेणी में आती हैं।
हालांकि, इस तरह के ड्रग्स के कुछ साइड इफेक्ट भी हैं। जैसे नींद न आने की गंभीर समस्या (insomnia), बेवजह वजन बढ़ना, किसी चीज के खिलाफ बेवजह जुनूनी हो जाना आदि। वहीं अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) को ऐसी एंटी डिप्रसेंट दवाईयां और सुसाइड के बीच संबंध को लेकर बेहद चिंता है। एफडीए ये बिल्कुल नहीं कहता कि बच्चों को इस तरह की एंट्री डिप्रेसेंट दवाईयां न दी जाएं हालांकि, जिन्हें ये दी जाएं उन्हें खास निगरानी में रखा जाना चाहिए। ऐसे बच्चों में आत्महत्या की इच्छा जाग सकती है, जिसके संकेतों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
और पढ़ें : क्या ऑटिज्म का इलाज संभव है?
ऑटिज्म की दवा: ट्रायसाइक्लिक्स (Tricyclis)
इस तरह के एंटी डिप्रेसेंट बच्चों में अवासद और जुनूनी व्यवहार को कम करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। ट्रायसाइक्लिक्स के सेरोटॉनिन से ज्यादा साइड इफेक्ट हैं लेकिन यह उससे ज्यादा प्रभावी भी है। ट्रायसाइक्लिक्स की वजह से कब्ज, मुंह सूखना, धुंधला दिखाई देना और चक्कर आने जैसे साइड इफेक्ट नजर आने लगते हैं। protriptyline (Vivactil), nortriptyline (Pamelor), amitriptyline, amoxapine, imipramine (Tofranil), desipramine (Norpramin), doxepin, trimipramine (Surmontil) आदि दवाईयां ट्रायसाइक्लिक्स ड्रग्स की श्रेणी में आती हैं।

ऑटिज्म की दवा: एंटीसाइकाॅटिक दवाईयां (Antipsychotic medicines)
ऑटिज्म प्रभावित बच्चों में व्यवहार संबंधी परेशानियों से निपटने के लिए एंटीसाइकॉटिक दवाईयां दी जाती हैं। ऑटिज्म की दवाईयां दिमागी केमिकल्स में बदलाव कर राहत प्रदान करती हैं। इस तरह की दवाईयां बच्चे के आक्रामक और चुनौतीपूर्ण या खतरनाक रवैये को ठीक करने के लिए दी जाती हैं (उदाहरण के तौर पर आपका बच्चा खुदा को चोट पहुंचाने या जान से मारने की कोशिश करने लगे) इस श्रेणी में haloperidol, risperidone, and thioridazine, clonidine (Kapvay), guanfacine (Intuniv); lithium (Lithobid), anticonvulsants, carbamazepine और valproic acid शामिल हैं।
हर दवाई की तरह इन दवाईयों के भी साइड इफेक्ट हैं। जैसे दौरे पड़ना, बेवजह वजन बढ़ना, हमेशा सोते रहना आदि। इस तरह की दवाईयों की आवश्यक्ता तब पड़ती है जब डॉक्टर द्वारा दी जाने वाली व्यवहार संबंधी थेरेपी काम नहीं करती। इस तरह की दवाईयों के लिए भी अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने चिंता जाहिर की है। एफडीए का मानना है कि सुसाइड के बारे में सोचना और ऐसी दवाईयों के बीच संबंध है। ऐसे में जिन बच्चों के ये दवाई दी जाएं उनकी खास निगरानी जरूरी है।