जरनल एनेस्थीसिया की मदद से उपचार
डेंटल एंग्जायटी का इलाज जनरल एनेस्थीसिया के क्रम में डेंटिस्ट और एनेस्थेसिस्ट अस्पताल में उपचार करते हैं। इसमें मरीज पूरी तरह सो जाता है। इस इलाज पद्धति में कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं, जैसे जी मचलाना, देर से होश आना शामिल है। कुछ लोगों के लिए जहां यह इलाज का बेहतर माध्यम है, वहीं कुछ लोगों में बेहतर परिणाम नहीं देखने को मिलते हैं। इलाज के बाद भी मरीज डेंटल एंग्जायटी से ग्रसित हो सकता है। इसके लिए ट्रीटमेंट के पहले और बाद में
डेंटिस्ट की सलाह की जरूरत पड़ सकती है। वहीं एनेस्थेसिस्ट की भी सलाह की जरूरत पड़ सकती है। जनरल एनेस्थेटिक के बाद मरीज को तुरंत घर जाने की सलाह नहीं दी जाती है। कुछ मरीजों को कई बार इसकी जरूरत पड़ सकती है। कुछ मामलों में जनरल एनेस्थेटिक के बाद डेंटल चेयर पर ही इलाज किया जाता है।
रिलेटिव एनाग्लिसिया (हैप्पी गैस)
रिलेटिव एनाग्लिसिया को हम हैप्पी गैस, लॉफिंग गैस या फिर नाइट्रस ऑक्साइड के नाम से जानते हैं,
डेंटल ट्रीटमेंट के दौरान मरीज को रिलेक्स रखने में यह मददगार साबित होते हैं। इसके द्वारा मरीज के चेहरे पर एक मास्क लगाया जाता है, वहीं उसे ऑक्सीजन के साथ नाइट्रस ऑक्साइड दिया जाता है, कुछ समय के बाद वो अपना असर दिखाना शुरू करता है। मरीज होश में होने के साथ रिलेक्स महसूस करता है। डेंटिस्ट की बातों को सुनने के साथ उससे बातचीत कर सकता है। लेकिन इलाज पूरा होने के बाद मरीज को कुछ याद नहीं रहता।
नाइट्रस ऑक्साइड के कारण जहां कुछ मरीज रिलेक्स महसूस करते हैं वहीं कुछ मरीज इलाज के लिए दूसरे ऑप्शन को आजमाना पसंद करते हैं।
कॉन्शियस सिडेशन (होश में बेहोश करने की प्रक्रिया)
कॉन्शियस सिडेशन (Conscious sedation) की प्रक्रिया में नस में दवा पहुंचाकर मरीज को बेहोश किया जाता है। यह डेंटल सिडेशनिस्ट या फिर एनेस्थेसिस्ट जैसे एक्सपर्ट ही करते हैं। इसे क्लीनिक के साथ अस्पतालों में भी किया जाता है।
इसके अंतगर्त मरीज रिलेक्स महसूस करता है वहीं कुछ मामलों में हल्की नींद में रहता है, लेकिन वो डॉक्टरों की बात को आसानी से समझ पाने की अवस्था में होता है। इसके भी कुछ साइड इफेक्ट होते हैं, जैसे इलाज के बाद मरीज को जी मचलाना या फिर नींद न आना जैसी शिकायतें हो सकती हैं। इलाज के बाद मरीज को खुद गाड़ी चलाकर घर जाने की सलाह नहीं दी जाती है। सभी डेंटिस्ट इस प्रकार के इलाज की सलाह नहीं देते हैं। क्योंकि पूर्व की कुछ बीमारी या फिर बेहोश करने के कारण दी जाने वाली दवाओं का दुष्प्रभाव पड़ सकता है। जरूरी है कि यह कराने के पहले एक्सपर्ट की राय लेनी चाहिए।