ब्रेसेस
दांत ठीक करने के तरीके में यह तरीका ज्यादातर लोगों की मुस्कुराहट में देखा जा सकता है। ब्रेसेस में नेचुरल दांतों को नुकसान नहीं पहुंचता है। ब्रेसेस की मदद से टेढ़े-मेढ़े दांतों को आकार दिया जाता है या यूं कहें इन्हें एक ही पंक्ति में लाया जाता है। ब्रेसेस मैटलिक, सिरेमिक, कलर्ड और लिंगुअल किसी भी प्रकार के आप चूज कर सकते हैं। वहीं यदि लिंगुअल ब्रेसेस की बात की जाए तो यह बाहर की तरफ से दिखाई नहीं देते क्योंकि यह अंदर की तरफ लगाए जाते हैं। दांतों में ब्रेसेस हटने के बाद रिटेनर्स लगाए जाते हैं। ब्रेसेस लगने और दांतों के एकरूप होने की इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लगता है। जानकारी के लिए बता दें कि यदि आपको मेटल ब्रेसेस से शर्म आती है या आपको लगता है कि यह आपकी पर्सनैलिटी को खराब कर रहा है तो आप अलाइनर्स का उपयोग कर सकते हैं। अलाइनर्स को इनविजिबल ब्रेसेस भी कहते हैं यह दांतों के रंग के ही होते हैं। इसलिए यह अलग से नजर नहीं आते हैं। यदि लगात की बात की जाए तो लगात हजारों से लाखों में आ सकती है।
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नया दांत लगवाने के लिए क्या करें?
नया दांत लगाने के लिए ब्रिजेस, इम्प्लांट्स, डेंचर का इस्तेमाल किय जाता है।
ब्रिजेस
डेंटल ब्रिज, डेंटल इंप्लांट, पार्शियल डेंचर्स का उपयोग दांत बदलने के लिए किया जाता है। दांत ना होने के कारण आप अच्छे नहीं दिखती यह तो है। इसके साथ ही खाना चबाने और बोलने में भी दिक्कत होती है। यदि एक या उससे ज्यादा दांत मुंह में नहीं होते तो दूसरे दांत उनकी जगह लेने की कोशिश करते हैं। इससे दांतों की बनावट में भी फर्क पड़ता है। दांत दर्द, दांतों में सड़न, खाने में दिक्कत होना इनके कारण हो सकते हैं। यदि दांत निकलवा दिया है या निकल गया है चाहे जो भी कारण हो, आप नया दांत लगाना चाहते हैं तो ब्रिजेस का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें जो दांत ना हो उसके आसपास के दांतों पर क्राउन लगा दिया जाता है। इसके बाद निकले हुए दांत को लगा दिया जाता है। यही ब्रिजेस की तकनीक है।
इम्प्लांट
इम्प्लांट में आसपास के दांतों के सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती है। इसमें टाइटेनियम से बनी स्क्रू शेप की डिवाइस मसूढ़े में फिट कर दी जाती है। इसी पर नया दांत लगाया जाता है। यह एक स्थायी और सुरक्षित उपचार है।