आमतौर पर बच्चों में दूध के दांत टूटने पर कुछ स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां आने लगती है। इस दौरान बच्चों में डायरिया और बुखार की शिकायत होने लगती है। दांत निकलने के दौरान बच्चे के मसूरों में खुजली होती है, जिस वजह से बच्चा बार-बार मुंह में हाथ डालता है। गंदे हाथ की वजह से मुंह के रास्ते उससे इन्फेक्शन हो जाता है, जो बुखार आदि का कारण बनता है। इस वक्त बच्चे के हाथों की सफाई का खास ख्याल रखना चाहिए।
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बच्चों के दूध के दांत (Babies milk teeth) की देखभाल में कैविटी को न भूलें
दांतों में कैविटी का होना सिर्फ बच्चे ही नहीं, वयस्कों में भी एक गंभीर समस्या है। बच्चों में होनेवाली कैविटीज की समस्याओं के होने का प्रमुख कारण में बच्चों को ‘नर्सिंग बॉटल केरीज’ यानी बोतल से दूध पिलाने की वजह से होनेवाली कैविटी है। घर में बच्चों के मुंह में दूध का बोतल लगा कर छोड़ दिया जाता है, जिससे बाद में उसके दांतों में कीड़ा लग सकता है। अगर बच्चे के दांतों में चॉकलेट (Chocolate) के रंग का दाग दिखे, तो डेंटिस्ट से संपर्क करना चाहिए।
बच्चे के दूध के दांत (Babies milk teeth) टूटने के बाद बिगाड़ सकती है बच्चों की खूबसूरती टेढ़े-मेढ़े दांत
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दूध के दांत में एक बार भी क्राउडिंग हो जाए, तो बच्चों के स्थायी दांतों में भी क्राउडिंग होने की चांसेस बढ़ जाती है। क्राउडिंग का मतलब होता है, दांतों का टेढ़ा-मेढ़ा या ऊंचे-नीचे एक-दूसरे पर चढ़े हुए। दांतों के क्राउडिंग होने के कई वजह हैं। जिनमें बच्चों दवारा जीभ से दांतों पर बार-बार दबाव डालने, अंगूठा चूसने, और मुंह से सांस लेने की वजह से ये समस्याएं होती हैं। थोड़ी सी देख भाल से इसे रोका जा सकता है, लेकिन फिर भी अगर बच्चे का दांत (Babies teeth) ज्यादा टेढ़े-मेढ़े या ऊंचे-नीचे हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेकर बच्चे को ‘ऑर्थो ट्रेनर’ लगा सकते हैं। ऑर्थो ट्रेनर फ्लेक्सिबल और टेंपररी होते हैं।
बतौर माता-पिता इन बातों पर भी विचार करना चाहिए :