हाइपोथायरॉयडिज्म (Hypothyroidism) हॉर्मोनल संबंधित बीमारी है। जिसके हाेने पर डॉक्टर रोगी को थायरॉयड हाॅर्मोन की मेडिसिन लेने की सलाह देते हैं। इसी के साथ ही लाइफस्टाइल में सुधार, व्यायाम और सही डायट लेने की सलाह दी जाती है। दवा के साथ ही सही डायट यानी हाइपोथायरॉयडिज्म डायट लेने पर पेशेंट का थायरॉयड बैलेंस रहता है। सही आहार लेने से वेट गेन की समस्या से राहत मिलती है। सात ही कुछ फूड को अवॉयड करने से थायरॉयड सही तरीके से कार्य करता है। अगर आपको भी हाइपोथायरॉयडिज्म की समस्या और आपको ये समझ नहीं आ रहा है कि कौन-सी डायट आपके लिए बेहतर रहेगी, तो आप इस आर्टिकल के माध्यम से हाइपोथायरॉयडिज्म डायट के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
हाइपोथायरॉयडिज्म डायट से पहले जानें कि हाइपोथायरॉयडिज्म क्या है ?
हाइपोथायरॉयडिज्म (Hypothyroidism) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर में पर्याप्त हार्मोन का उत्पादन नहीं हो पाता है, जिससे मेटाबॉलिज्म प्रोसेस स्लो हो जाती है। डॉक्टरों के अनुसार हाइपोथायरॉयडिज्म तब होता है जब शरीर में दो थायरॉइड हार्मोन, ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी 3) (Triiodothyronine (T3)) और थायरोक्सिन (टी 4) (Thyroxine (T4)) का स्तर कम हो जाता है।
कितना सामान्य है हाइपोथायरॉयडिज्म की समस्या?
हाइपोथायरॉयडिज्म विश्व में 1 से 2 फीसदी लोगों को प्रभावित करता है और पुरुषों की तुलना में महिलाओं की इससे प्रभावित होने की दस गुना अधिक संभावना होती है।
किसी भी बीमारी के लिए दवाइयों के साथ-साथ पौष्टिक आहार की भी मुख्य भूमिका होती है जो बीमारी से लड़ने में सहायक होती है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि हाइपोथायरॉयडिज्म होने पर आहार कैसा होना चाहिए।
अगर किसी को हाइपोथायरॉयडडिज्म की समस्या है तो उसके लिए लखनऊ किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ डी हिमांशू देते हैं कि ऐसे रोगी को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। डायट में हैल्दी फूड तो ले ही, साथ में इस बात का भी ध्यान रखें कि कम वसा वाले आहार का ही सेवन करें। इसके अलावा उच्च कैलोरी या फैट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम से कम करना चाहिए। हाइपोथायरॉयडिज्म की समस्या आपके चयापचय की गति को भी धीमा कर देती है। जिसके कारण आप जो भी खाते हैं उसे पचाने में समय लग सकता है और जिसके कारण वजन बढ़ने की भी समस्या भी हो सकती है।
जानें हाइपोथायरॉयडिज्म डायट में क्या लें
नारियल का तेल उपयोग करें
नारियल के तेल में कैप्रिक एसिड, कैपिटेलिक एसिड और लॉरिक एसिड की उच्च मात्रा पाई जाती है। जिनकी मदद से शरीर एनर्जी को काफी आसानी से बढ़ाया जा सकता है। इसी के साथ ही, यह शरीर के मेटाबॉलिज्म को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है। नारियल तेल की मदद से शरीर एंटी बैक्टीरियल, एंटीऑक्सिडेंट और रोगाणुरोधी गुणों की भी उच्च मात्रा प्राप्त करता है और इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाने में मदद करता है। नारियल तेल के नियमित सेवन से शरीर में शुगर के बढ़े हुए लेवल को कम किया जा सकता है।
हाइपोथायरॉयडिज्म आहार में मछली का सेवन
मछली और मछली के तेल से बने खाद्य पदार्थों में DHA और EPA के साथ-साथ ओमेगा-3 फैटी एसिड की भी उच्च मात्रा पाई जाती है, जो शरीर के हॉर्मोन्स के लेवल को नियंत्रित करने में मदद और थायरॉइड ग्रंथि को उसका कार्य सुचारू रूप से करने में भी मदद करते हैं। इसी के साथ ही, जब शरीर में उचित मात्रा में ओमेगा-6 और ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा होती है, तो यह थायरॉइड ग्रंथि में हुए सूजन को कम करने में भी साहयक है। इसके अलावा इसके सेवन से न्यूरोलॉजिकल कार्यक्षमता को बढ़ाने में भी मदद मिलती है।
आयोडीन युक्त फूड प्रोडक्ट
आयोडीन एक आवश्यक खनिज तत्व है, जिसकी मदद से थायरॉइड हॉर्मोन का निमार्ण होता है। बॉडी में आयोडीन की कमी से भी हाइपोथायरायडिज्म होने का खतरा बढ़ जाता है। शरीर में आयोडीन की कमी होना बहुत आम है और दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी इससे प्रभावित है। लेकिन, खाद्य पदार्थों में आयोडीन युक्त नमक शामिल करें। इससे आप आयोडीन की कमी से बच सकते हैं। शरीर में आयोडीन की कमी को पूरा करने के लिए मछली, डेयरी और अंडे जैसे आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन करने से फायदा मिल सकता है।
आयोडीन की उचित मात्रा के लिए निम्न खाद्य पदार्थों का करें सेवनः
सेलेनियम शरीर में थायराइड हाॅर्मोन को सक्रिय करने में मदद करता है। आहार में सेलेनियम युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल कर सेलेनियम के स्तर को बढ़ाने में सहायता मिल सकती है। सेलेनियम ब्राजील नट, सार्डिन, अंडे और फलियां में प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है।
सेलेनियम युक्त खाद्य पदार्थों के तौर पर निम्न का करें सेवनः
सेलेनियम की तरह भी जिंक भी बॉडी में थायरॉइड हार्मोन को सक्रिय करने में मदद करता है। रिसर्च के अनुसार जिंक शरीर में TSH (Thyroid Stimulating Hormone) को ठीक करने में मदद कर सकता है। काबुली चने, नट्स, डेयरी प्रोडक्ट्स और अंडे में जिंक की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है ।हाइपोथायरॉयडिज्म डायट में इनका सेवन आप आसानी से कर सकते हैं।
शरीर को जिंक की उचित मात्रा प्रदान करने के लिए निम्न खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैंः
कार्ब्स
सुअर का मांस
मुर्गी
फलियां
कद्दू के बीज
दही
जानें कौन-कौन से खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए:
सब्जियां- वैसे तो सभी तरह की सब्जियों का सेवन लाभदायक होता है लेकिन, अच्छी तरह से पकी हुई फूलगोभी खाने से फायदा मिलता है।
फल- जामुन, केला, संतरा सहित अन्य सभी तरह के फलों का सेवन लाभकारी होता है।
डेयरी प्रोडक्ट- दूध, पनीर, दही सहित सभी फ्रेश डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन फायदेमंद हो सकता है।
अंडा- नियमित रूप से अंडे को भी आहार में शामिल किया जा सकता है। हाइपोथायरॉयडिज्म डायट का ये बेहतर विकल्प है।
मीट- सभी तरह के मीट का सेवन किया जा सकता है। हाइपोथायरॉयडिज्म डायट में आप मीट को शामिल करें लेकिन ध्यान रखें कि उसे अच्छे से पका कर खाएं।
सलाद- नियमित रूप सलाद और अंकुरित अनाज का सेवन करना लाभकारी हो सकता है।
हाइपोथायरॉयडिज्म की समस्या में कुछ प्रकार के ऑटोइम्यून विकार के जोखिम होने की संभावना होती है। इसलिए मरीजों को हाइपोथायरॉयडिज्म डायट में ग्लूटन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने में सावधानी बरतनी चाहिए। ग्लूटन एक तरह का प्रोटीन है जौ गेहूं, राई और जौ जैसे अनाज में मौजूद होता है।
कुछ प्रकार की सब्जियां
हाइपोथायरॉयडिज्म की समस्या में कुछ प्रकार की सब्जियों को खाने में भी सावधानी बरतनी चाहिए। हाइपोथायरॉयडिज्म डायट में आपको ब्रोकोली, गोभी, पालक, केल, ब्रसेल्स स्प्राउट्स जैसे फाइबर की उच्च मात्रा से भरपूर सब्जियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इनका इस्तेमाल करने से थायरॉयड दवा के प्रभाव पड़ सकता है।
हाइपोथायरॉयडिज्म की समस्या से पीड़ित व्यक्तियों को हाइपोथायरॉयडिज्म डायट में प्रोसेस्ड फूड्स खाने से परहेज करना चाहिए। इस तरह के खाद्य पदार्थ वजन बढ़ाने के साथ ही कैलोरे के उच्च स्त्रोत भी होते हैं।
प्रोसेस्ड फूड्स के तौर पर इन खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिएः
जंक फूड्स
पिज्जा
केक
कुकीज
सोया प्रोडक्ट यूज करते समय रखें ध्यान
वैसे तो अधिकतर सभी खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है लेकिन कुछ ऐसे भी खाद्य पदार्थ हैं जिनका सेवन हाइपोथायरॉयडिज्म डायट के तहत नहीं करना चाहिए, उनमें शामिल है- सोया से बने प्रोडक्ट। सोया सॉस का सेवन भी नहीं करना चाहिए। केक और कुकीज भी नहीं खाना चाहिए। एक्सपर्ट्स के अनुसार बॉडी स्ट्रक्चर और उम्र के अनुसार आहार का सेवन करना लाभदायक हो सकता है।
हाइपोथायरॉयडिज्म डायट लेते समय आपको इस बात पर ध्यान देना होगा कि अपने आहार में आप सोया बेस्ड फूड जैसे कि सोयाबीन फ्लोर, टोफू आदि को सीमित मात्रा में शामिल करें। अगर आप सोया पसंद करते हैं तो आपको अब अपने आहार में इसे सीमित कर देना चाहिए। डॉक्टर आपको सोया पूरी तरह से बंद करने को नहीं कहेगा बल्कि कम मात्रा में खाने को कहेगा। टोफू और सोयाबीन में हाई प्रोटीन और लो फैट होता है और साछ ही न्यूट्रिएंट्स भी बहुत से होते हैं। साथ ही उसमे एस्ट्रोजन भी होता है जो बॉडी में जाने के बाद सिंथेटिक थायरॉयड हार्मोन के अवशोषण में दिक्कत पैदा कर सकता है। हाइपोथायरॉयडिज्म की दवा खाने के चार घंटे बाद ही सोया का सेवन करें, ताकि किसी प्रकार की समस्या न हो।
फाइबर युक्त खाना लेते समय रखें ध्यान
बहुत अधिक फाइबर युक्त डायट लेने से आपके थायरॉइड हार्मोन दवा के अवशोषण में दिक्कत हो सकती है। महिलाओं के लिए प्रतिदिन 25 ग्राम फाइबर और पुरुषों के लिए 38 ग्राम फाइबर लेनी चाहिए। अपने डॉक्टर या न्यूट्रीशनिस्ट से इस बारे में जानकारी लें कि आपको दिन में कितना फाइबर लेना चाहिए।
एल्कोहॉल का न करें सेवन
एल्कोहॉल लेवोथायरोक्सिन ( levothyroxine) के साथ इंटरेक्ट नहीं करती है। अगर कोई व्यक्ति अधिक मात्रा में शराब का सेवन करता है तो लिवर के डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है। लिवर को होने वाले खतरे के कारण शरीर में लेवोथायरोक्सिन के स्तर (शरीर में अधिक मात्रा में ) पर भी खतरा पड़ सकता है। अपने डॉक्टर से इस बारे में जानकारी लें कि हाइपोथायरॉयडिज्म की समस्या होने पर शराब का सेवन करना सुरक्षित रहेगा या फिर नहीं।
हाइपोथायरॉयडिज्म डायट प्लान में शामिल करें ये
आप डायट प्लान बनाते समय इन बातों का ध्यान रखें कि आपको खाना क्या खाना है, दवा कितने समय लेनी है और साथ ही दवा खाने के कितनी देर बाद खाना है।
आप सुबह उठने के बाद गुनगुने पानी का सेवन करें। डॉक्टर ने आपको खाली पेट दवा खाने की सलाह दी होगी। आपको दवा का सेवन करने के करीब 30 से 45 मिनट बाद ही खाना चाहिए। दवा का सेवन करने के करीब 40 मिनट बाद नट्स ले सकते हैं। आप नट्स में भीगे बादाम, काजू या फिर अखरोट को शामिल कर सकते हैं।
आप नाश्ते में प्रोटीन के लिए अंडा, एक ग्लास दूध और उपमा को शामिल कर सकते हैं। अगर आपको दाल चीला पसंद है तो आप उसे भी नाश्ते में शामिल कर सकते हैं। नाश्ता बहुत हैवी न करें। आप अपनी पसंद के अनुसार चीला या डोसा का सेवन करें लेकिन ऑयल का कम यूज करें।
ब्रेकफास्ट और लंच के बीच आप एक से दो घंटे का अंतराल रखें। आप इस दौरान नींबू के साथ पानी भी ले सकते हैं। नींबू में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने का काम करता है। किसी भी चीज का अधिक मात्रा में सेवन बिल्कुल भी न करें।
लंच में दाल, हरी सब्जी, ब्राउन राइस, सलाद , दही आदि को शामिल करें। अगर आप नॉन वेट खाते हैं तो दाल के स्थान में मीट को भी शामिल कर सकते हैं। लंच के एक से दो घंटे बाद तक आप ग्रीन टी या फिर फलों के जूस का सेवन कर सकते हैं।
वहीं रात के खाने में आप मल्टी ग्रेन रोटी और साथ में परवल, पनीर-मटर या लौकी की सब्जी ले सकते हैं। खाने में सलाद जरूर शामिल करें। आप रात में हल्का भोजन लें।
आप ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर को प्लान करते समय इन बातों का ध्यान जरूर रखें कि आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए।
हाइपोथायरॉयडिज्म डायट प्लान : इन बातों का रखें ध्यान
हाइपोथायरॉयडिज्म डायट प्लान करने के साथ ही आपको अपनी कुछ आदतों में भी बदलाव करना होगा। जानिए कौन-सी बातें याद रख आप अपनी डायट को बैलेंस कर सकते हैं।
खाने में फैट को पूरी तरह से इग्नोर न करें बल्कि डायट में हेल्दी फैट जरूर लें।
आपको पानी कम नहीं पीना चाहिए। आप रोजाना पानी पीने का समय तय करें। खाने के बाद पानी न पिएं। आप खाने के एक घंटे पहले पानी जरूर पिएं। चुकिं हाइपोथायरॉयडिज्म में वेट अधिक बढ़ता है इसलिए बेहतर होगा कि आप गर्म पानी का सेवन करें।
अगर आपको किसी प्रकार के फूड से एलर्जी हो रही है तो बेहतर होगा कि आप उसे न लें। आप चाहे तो इस बारे में डॉक्टर से भी पूछ सकते हैं।
अगर आपको हाइपोथायरॉयडिज्म की समस्या के साथ ही हाई बीपी की भी समस्या है तो डॉक्टर से जानकारी जरूर लें कि खाने में क्या शामिल नहीं करना आपके लिए बेहतर रहेगा।
हाइपोथायरॉयडिज्म में बैलेंस डायट के साथ ही करें योगा का अभ्यास
हाइपोथायरॉयडिज्म की समस्या होने पर खानपान पर ध्यान देने के साथ ही आपको योगा का अभ्यास करना चाहिए। आप रोजाना कपालभांति का अभ्यास कर सकते हैं और साथ ही अनुलोम विलोम बी करें। साथ ही आप आसम में सूर्य नमस्कार से भी शुरूआत कर सकते हैं। शवासन, भुजंगासन आदि भी आपके स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होगा।
आप वेट को बैलेंस करने के लिए रोजाना वॉकिंग या रनिंग जरूर करें। ऐसा करने से वेट अधिक नहीं बढ़ेगा। हाइपोथायरॉयडिज्म की समस्या में वेट तेजी से बढ़ता है इसलिए जरूरी है कि रोजाना नियम बनाएं और निश्चित दूरी तक रोज रनिंग करें। अगर आप रनिंग नहीं कर पा रहे हैं तो वॉक से भी शुरूआत कर सकते हैं।
उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। हम आशा करते हैं कि आपको हाइपोथायरॉयडिज्म डायट के बारे में इस आर्टिकल के माध्यम से जरूरी जानकारी मिली होगी।किसी भी बीमारी को खत्म करने के लिए या संतुलित करने के लिए डायट महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अगर आप हाइपोथायरॉयडिज्म की समस्या से जूझ रहे हैं तो बेहतर होगा कि आप अपने खानपान का ध्यान रखें। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।
Effects of soy protein and soybean isoflavones on thyroid function in healthy adults and hypothyroid patients: A review of the relevant literature ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/16571087 Accessed on 18 February, 2020.