नॉर्मल डिलिवरी के दौरान महिला के वजायना से बच्चे का जन्म होता है। जब बच्चे का सिर आसानी से बाहर नहीं आता है तो डॉक्टर अपिसिओटमी ( episiotomy) यानी वजायना और एनस के बीच के स्थान में कट लगाते हैं। इस कट की हेल्प से बच्चे का सिर बाहर आ जाता है। फिर डॉक्टर उस स्थान में टांके लगाते हैं। इस कारण महिला को दर्द होता है। अपिसिओटमी के करीब एक हफ्ते बाद तक दर्द से राहत मिल जाती है।
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सी-सेक्शन कॉम्प्लिकेशन
सी-सेक्शन को आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है, लेकिन सी-सेक्शन के दौरान अधिक ब्लीडिंग समस्या का कारण बन सकती है। सर्जरी के दौरान ब्लैडर संबंधी इंजुरी होने की संभावना रहती है। जिन महिलाओं का पहले भी सी-सेक्शन हो चुका है, उन्हें यूटेराइन रप्चर (uterine rupture) का खतरा रहता है। सी-सेक्शन के कारण ब्लीडिंग, ब्लड क्लॉट, इंफेक्शन और रिकवर होने में लगने वाला समय बढ़ जाता है। सी-सेक्शन के बाद महिला को बच्चे के साथ अटैच होने में थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है।
डिलिवरी के दौरान कौन सी विधि अपनाई जाएगी, ये आपके शरीर की कंडिशन पर डिपेंड करता है। आगर आपको नॉर्मल डिलिवरी और सी-सेक्शन के बारे में अधिक जानकारी चाहिए तो एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
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उपरोक्त जानकारी एक्सपर्ट की राय नहीं है। अगर आपको सी-सेक्शन और वजायनल डिलिवरी से जुड़ी अधिक जानकारी चाहिए तो बेहतर होगा कि आप इस बारे में डॉक्टर से जानकारी प्राप्त करें।