बच्चे की बर्थ पुजिशन: ऑक्सिपुट एंटीरियर पुजिशन
इस पुजिशन में शिशु का सिर तो नीचे की तरफ रहता है लेकिन, उसकी दिशा बर्थ कैनाल की तरफ नहीं रहती है। इस पुजिशन में शिशु की चिन ऊपर की तरफ उठ जाती है। शिशु के सिर की दिशा बर्थ कैनाल की तरफ ना होने से उसे वजायना से बाहर आने में दिक्कत होती है। इस पुजिशन के दौरान शिशु का चेहरा पेल्विक की तरफ होता है।
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एक्सटर्नल सिफैलिक वर्जन (External cephalic version)

डॉक्टर के अनुसार यदि उसे 37 हफ्तों के बाद यदि शिशु की पुजिशन ठीक नहीं होती है तो उसे एक्सटर्नल सिफैलिक वर्जन दिया जाता है। इस तकनीक में बिना किसी ऑपरेशन के शिशु को बाहर से ही उसकी उसकी पोजिशन ठीक की जाती है। ज्यादातर मामलों में डॉक्टर इसमें अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल करता है। हालांकि, इस प्रक्रिया के दौरान शिशु की दिल की धड़कन पर पैनी निगाह बनाए रखी जाती है।
एक जमाने में जब वैज्ञानिक तकनीक इतनी उन्नत नहीं थी तब यह तकनीक ज्यादा चलन में हुआ करती थी। उस वक्त की मिडवाइफ भी इस तकनीक को अपनाया करती थीं लेकिन, वर्तमान समय में इसकी कमी है, जिसके चलते पुजिशन ठीक ना होने पर सिजेरियन डिलिवरी की जाती है।
बच्चे की बर्थ पुजिशन: शिशु की पुजिशन ठीक करने के कुछ अन्य तरीके
- बैठकर पेल्विक को आगे की तरफ टिल्ट करें।
- एक्सरसाइज करें या बर्थ बॉल पर बैठकर कुछ समय गुजारें
- बैठते वक्त हमेशा ध्यान रखें की आपके हिप्स घुटनों से ऊंचे हों।
- यदि आप ऑफिस में अधिकतर समय कुर्सी पर बैठकर गुजारती हैं तो आपको बीच में उठकर थोड़ा चलना फिरना चाहिए।
- कार में बैठते वक्त नीचे की तरफ एक तकिया रखें। कमर के निचले हिस्से को आगे की तरफ टिल्ट करें।
- बैठते वक्त कुछ समय तक अपने हाथों को घुटनों पर रखें। ऐसा दिन में कई बार करें, जिससे शिशु को एंटीरियर पुजिशन में मूव करने में मदद मिलेगी।
उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से इस बारे में जानकारी जरूर प्राप्त करें।
नोट: इस प्रकार की टिप्स हमेशा कारगर साबित नहीं होती हैं। यदि लेबर के शुरू होने पर आपका शिशु पोस्टीरियर पुजिशन में तो इसके पीछे पेल्विक का आकार एक बड़ा कारण हो सकता है। उपरोक्त किसी भी तरीके को अजमाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। बेहतर होगा कि शिशु की बर्थ पुजिशन के बारे में कोई भी शंका होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।