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मां के स्तनों में दूध कम आने की आखिर वजह क्या है? जाने इससे निपटने के उपाय

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/09/2020

    मां के स्तनों में दूध कम आने की आखिर वजह क्या है? जाने इससे निपटने के उपाय

    एक महिला में गर्भावस्था और डिलिवरी को लेकर कई तरह के डर होते हैं। उन्हीं में से एक है डिलिवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क का कम बनना। चाइल्ड बर्थ के बाद जब न्यू मदर्स ब्रेस्टफीडिंग कराना शुरू करती है तो शिशु को ठीक से ब्रेस्टफीडिंग न करा पाने का डर उसके मन में बना रहता है। लेकिन, स्तनों में दूध कम आना लगभग सिर्फ आपकी ही समस्या नहीं हैं। ऐसी बहुत-सी माएं हैं, जिन्हें ब्रेस्ट मिल्क कम बनने की समस्या का सामना करना पड़ता है। स्तनों में दूध कम आना किन वजहों से होता है, इस आर्टिकल में इस ही विषय पर ही चर्चा की गई है। साथ ही यहां लो ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई बढ़ाने के उपाय भी बताए गए हैं।

    लो ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई (Low Breast Milk Supply) क्या है?

    मदरहुड के शूरूआती दिनों में न्यू मॉम के स्तनों में कम दूध बनने की समस्या हो सकती है। जब मां अपने नवजात शिशु की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त दूध का उत्पादन करने में सक्षम नहीं होती है, तो माना जाता है कि मां के स्तनों में दूध कम बन रहा है। ज्यादातर महिलाएं इन स्थितियों में मानती हैं कि दूध की आपूर्ति कम है:

  • निपल्स से दूध का रिसाव न होना,
  • ब्रेस्ट्स पहले से कम भरे हुए महसूस होना,
  • बच्चे को अधिक दूध की आवश्यकता होती है,
  • शिशु के नियमित फीड्स कम होना।
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    लो ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई के लक्षण क्या हैं?

    बच्चों में दिखने वाले कुछ लक्षणों के जरिए पता चलता है कि मां के स्तनों में दूध कम बन रहा है। इन लक्षणों में से हैं:

    • शिशु नियमित रूप से स्टूल पास नहीं करता है। दिन में लगभग 5-6 बार से कम पूप करना या लिक्विड पूप्स करना बताता है कि बच्चे को उचित मात्रा में ब्रेस्ट मिल्क नहीं मिल रहा है।
    • यदि शिशु के यूरिन का रंग गहरा पीला है तो यह स्तनों से दूध कम आने की ओर इशारा करता है। जन्म के 6 महीने तक केवल मां के दूध से ही शिशु हाइड्रेट होता है। इससे पता चलता है कि बच्चा पर्याप्त रूप से हाइड्रेट नहीं हो पा रहा है और उसे ज्यादा दूध की जरूरत है।
    • एक न्यू बॉर्न बेबी दिन में लगभग 8-10 बार टॉयलेट करता है। यदि वह इससे कम बार यूरिन पास कर रहा है, तो मतलब है कि मां के स्तनों से दूध कम आ रहा है।
    • शिशु का वजन न बढ़ना। जो शिशु सही से ब्रेस्टफीडिंग करते हैं उनका औसतन वजन एक सप्ताह में दो से तीन किलो तक बढ़ जाना चाहिए। अगर शिशु का वेट सही दर से रहा है तो हो सकता है उसे पर्याप्त ब्रेस्ट मिल्क न मिल पा रहा हो।

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    स्तनों में दूध कम आना हो सकता है इन कारणों से

    ग्लैंड्यूलर टिश्यू में कमी

    कुछ महिलाओं के स्तन सामान्य रूप से (विभिन्न कारणों से) विकसित नहीं होते हैं जिसकी वजह से ब्रेस्ट्स में मिल्क डक्ट्स भी सही से विकसित नहीं हो पाती हैं। हालांकि, हर प्रेग्नेंसी के दौरान मिल्क डक्ट्स डेवलप होती हैं और स्तनपान ज्यादा नलिकाओं और टिश्यू के विकास को उत्तेजित करता है। इसलिए, दूसरी या तीसरी गर्भावस्था में लो ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई की समस्या कम हो सकती है। स्तनों में दूध कम आना कोई गंभीर समस्या नहीं है। इसके लिए आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। पम्पिंग या ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के लिए मेडिसिन लेने की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं। इसके साथ ही शिशु को फॉर्मूला मिल्क भी दिया जा सकता है। हालांकि, मां का दूध बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली, दिमाग के विकास और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सबसे बेस्ट होता है।

    ब्रेस्ट सर्जरी की वजह से स्तनों में दूध कम आना

    मेडिकल और कॉस्मेटिक कारणों के वजह से की गई ब्रेस्ट सर्जरी लो ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई का कारण बन सकती है। इससे मिल्क डक्ट्स को नुकसान पहुंच सकता है जिससे स्तनपान प्रभावित होता है। हालांकि, ब्रेस्ट सर्जरी की वजह से स्तनों में दूध कम आना कई चीजों पर निर्भर करता है जैसे सर्जरी कैसे की गई थी, सर्जरी और शिशु के जन्म के बीच कितना समय था आदि।

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    हॉर्मोनल या एंडोक्राइन समस्याओं की वजह से स्तनों में दूध कम आना

    पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस), लो या हाई थायरॉयड, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) या अन्य हार्मोनल प्रॉब्लम्स की वजह से गर्भधारण करना मुश्किल होता है। इन स्वास्थ्य समस्याओं का असर ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई पर भी पड़ सकता है क्योंकि दूध बनाना कुछ हॉर्मोन्स पर निर्भर करता है। इसके लिए आप अपनी हेल्थ प्रॉब्लम्स का ट्रीटमेंट सही तरीके से करवाएं। स्वास्थ्य समस्या का उपचार आपको स्तनों में दूध बनने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने में मदद करेगा।

    बर्थ कंट्रोल मेथड्स के स्तनों में दूध कम आना

    स्तनपान कराने वाली बहुत सी महिआएं बर्थ कंट्रोल पिल्स का सेवन करती हैं जिसकी वजह से ब्रेस्ट मिल्क प्रभावित हो सकता है। हालांकि, उनके मिल्क प्रोडक्शन में कोई बदलाव नहीं आता है। लेकिन कुछ महिलाओं में हॉर्मोनल बर्थ कंट्रोल (दवाएं, पैच या इंजेक्शन) मेथड्स से ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई में कमी आ सकती है। शिशु के चार महीने पूरे होने से पहले अगर आप गर्भ निरोधक तकनीकों का उपयोग शुरू करती हैं, तो इसकी संभावना ज्यादा रहती है।

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    स्तनों में दूध कम आना की वजह हर्ब्स

    जहां मेथी जैसी जड़ी-बूटियाँ दूध की आपूर्ति को बढ़ाने में मददगार साबित होती हैं। वहीं, कुछ ऐसी भी हर्ब्स हैं जो आपके दूध की आपूर्ति को कम कर सकती हैं। पुदीना, अजवायन, लेमन बाम और अजमोद कुछ ऐसी ही हर्ब्स हैं जिनक ज्यादा मात्रा में लेने से ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मिल्क सप्लाई कम हो सकती है।

    बच्चे की सकिंग एबिलिटी

    शिशु को पर्याप्त दूध न मिल पाना सिर्फ लो ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई नहीं बल्कि बच्चे की सकिंग एबिलिटी की वजह से भी हो सकता है। कभी-कभी शिशु का स्तनों से दूध निकालना मुश्किल हो सकता है। अगर बच्चे के मुंह के निचले हिस्से में टिशु की पतली झिल्ली बच्चे की जीभ को कसकर पकड़ लेती है,तो इस स्थिति में शिशु स्तनपान कर पाने में सक्षम नहीं होता है। इस सिचुएशन में डॉक्टर से सलाह लें। इससे बच्चे की ब्रेस्टफीडिंग करने की क्षमता में जल्दी सुधार होगा।

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    रात में ब्रेस्टफीडिंग न कराना

    कई महिलाएं रात के समस्या में शिशु को फीडिंग नहीं करा पाती हैं जिससे ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन और सप्लाई प्रभावित होती है। दरअसल, अगर स्तनों को पूरी तरह से जल्दी खाली नहीं किया जाता है, तो दूध की आपूर्ति कम हो सकती है। स्तनों से दूध कम आना की समस्या से बचने के लिए शिशु को रात में दूध पिलाना आवश्यक है।

    बर्थ मेडिकेशन

    डिलिवरी के समय उपयोग की जाने वाली दवाएं, जैसे कि एपिड्यूरल एनेस्थेटिक या डेमेरोल, स्तनपान कराने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। कुछ स्टडीज की माने तो इन दवाओं का प्रभाव एक महीने तक दिखाई दे सकता है। वहीं, पीलिया नवजात शिशुओं में होने वाली एक सामान्य स्थिति है। इसके चलते शिशु सामान्य से भी अधिक नींद आ सकती है, जिससे वह स्तनपान के लिए नियमित अंतराल पर उठता नहीं है। दोनों ही मामलों में, बेहतर मिल्क सप्लाई के लिए मां को ब्रेस्ट मिल्क पंप करने की आवश्यकता हो सकती है।

    धूम्रपान और एल्कोहॉल

    स्मोकिंग और शराब के इस्तेमाल की वजह से भी स्तनों में दूध कम आना शुरू हो सकता है। इसकी वजह ब्रेस्ट मिल्क में कमी की समस्या हो सकती है।

    मां का दूध बढ़ाने के तरीके क्या हैं?

    ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के कई तरीके हैं, जिनमें से संतुलित और पौष्टिक भोजन लेना सबसे सही है। उचित डायट से स्तनों में दूध कम आना की समस्या से बचा जा सकता है।

    ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के लिए क्या खाएं?

    • स्तनपान कराने वाली महिलाओं को सौंफ का सेवन करना चाहिए। इससे लो ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई को ठीक किया जा सकता है। इसके लिए आप सौंफ वाली चाय भी पी सकती हैं।
    • मां का दूध बढ़ाने में कच्चा पपीता भी मदद करता है। दरअसल, इसको खाने से ऑक्सिटॉसिन का लेवल बढ़ता है, जो स्तनों में दूध बढ़ाने में मदद करता है।
    • काले तिल में कैल्शियम पाया जाता है, जो दूध बढ़ाने में हेल्प कर सकता है।
    • मेथी दाने का उपयोग दूध बढ़ाने में काफी कारगर साबित होते हैं। हालांकि, इनका स्वाद थोड़ा कड़वा लग सकता है लेकिन, ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने में मदद मिलेगी।
    • लो ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई को दूर करने के लिए आप लहसुन का सेवन भी कर सकती हैं।
    • न्यू मदर्स के लिए शतावरी काफी फायदेमंद मानी जाती है। विटामिन-के, फाइबर और विटामिन-ए से भरपूर यह हर्ब ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने में मदद करती है।
    • जीरे की संतुलित मात्रा भी दूध बढ़ाने में आपकी हेल्प कर सकती है।
    • गाजर में विटामिन-ए, एल्फा और बीटा-कैरोटीन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इनको खाने से ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई को प्रेरित किया जा सकता है।
    • पालक को डायट में शामिल करें। इससे स्तनों में दूध बढ़ने के साथ ही खून की कमी की समस्या भी दूर होगी।

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    स्तनपान के दौरान न खाएं ये चीजें

    ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कॉफी, खट्टे फल, ब्रोकली, हाई- मरक्यूरी फिश, एल्कोहॉल, मसालेदार भोजन, शैलफिश आदि से दूर रहना चाहिए।

    स्तनों में दूध कम आना दूर करने के प्राकृतिक तरीके क्या हैं?

    • नवजात शिशु को दिन में आठ से 10 बार ब्रेस्टफीडिंग कराएं।
    • स्ट्रेस की वजह से भी स्तनों में दूध कम बनने की समस्या हो सकती है। इससे ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन रिलीज होने में समस्या आती है।
    • एल्कोहल और निकोटीन का सेवन करने से बचें।
    • ध्यान दें जब आप ब्रेस्टफीडिंग कराएं, दोनों ब्रेस्ट्स से स्तनपात कराएं। ऐसा करने से बॉडी में मिल्क प्रोडक्शन की जरुरत बढ़ेगी।
    • स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट रखें। इससे बच्चे को देर तक स्तनपान करने में आसानी मिलेगी और ज्यादा देर ब्रेस्टफीडिंग करने से ज्यादा दूध बनेगा।

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    अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

    लो ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई होने पर क्या मुझे चिंता करने की आवश्यकता है?

    नहीं, स्तनों में दूध कम आना एक आम समस्या है। कभी-कभी कुछ फूड्स का सेवन भी मिल्क प्रोडक्शन को प्रभावित कर सकते हैं। वहीं, हॉर्मोनल असंतुलन की वजह से भी देखी जा सकती है। डॉक्टर के परामर्श और ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने वाली दवाओं के सेवन से इसे दूर किया जा सकता है।

    क्या मुझे पर्याप्त ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए ज्यादा खाना चाहिए?

    इसमें कोई दो राय नहीं है कि हेल्दी डायट मिल्क सप्लाई पर असर डालती है। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिला को हर दिन 500 एक्स्ट्रा कैलोरी की जरूरत होती है। लेकिन इसके लिए आपको ज्यादा खाने से अधिक इस बात का ध्यान रखना है कि हेल्दी खाएं। स्तनों में दूध कम आना ऐसा करने से दूर किया जा सकता है।

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    क्या स्तनों में दूध कम आना शिशु की सेहत को प्रभावित कर सकता है?

    छह महीने तक शिशु का आहार मां का दूध ही होता है। इसकी कमी से बच्चे में विकास संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। आमतौर पर शुरुआती दिनों में ब्रेस्ट मिल्क की कमी से मानसिक और शारीरिक विकास में बाधा आ सकती है।

    क्या स्तनों की मालिश करने से दूध कम बनने की समस्या निपटा जा सकता है?

    नहीं, ब्रेस्ट मसाज से मां के दूध को नहीं बढ़ाया जा सकता है। लेकिन, इससे ब्रेस्ट मिल्क निकलना थोड़ा आसान हो सकता है। साथ ही इससे स्तनों की सूजन कम होती है।

    मां का दूध बेशक शिशु के लिए अमृत का काम करता है जिससे उसे उचित पोषण मिलता है। ऐसे में स्तनों में दूध कम आना मां के लिए चिंता का विषय है। इसलिए, हर मां को लो ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई के कारण और दूध बढ़ाने के उपाय जानना जरूरी है। हम उम्मीद करते हैं कि यह आर्टिकल आपके लिए फायदेमंद साबित होगा।

    डिस्क्लेमर

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